13 साल की उम्र में हथगोले से उखड़ गई थीं बांहें, इच्छाशक्ति से बदला जिदंगी जीने का नजरिया, पढ़िए मालविका अय्यर की कहानी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिला दिवस के अवसर पर सोशल मीडिया अकाउंट्स को दिनभर के लिए उन 7 महिलाओं को सौंप दिया, जिन्होंने अपने हौसले और जुनून से जिंदगी जीने का नजरिया बदल दिया। ये महिलाएं दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा बनीं। प्रधानमंत्री के ट्विटर अकाउंट पर दूसरी कहानी मालविका अय्यर की शेयर हुई।
मालविका अय्यर जब महज 13 साल की थीं तभी 2002 में अचानक हथगोला फटने से उनकी बांहें उड़ गई थीं। उस समय वे अपने माता-पिता के साथ राजस्थान के बीकानेर में रहती थीं। इस घटना में उनकी टांगों में भी पक्षाघात हो गया था।
जिस घटना में उनकी मौत भी हो सकती थी उसी घटना से मालविका का जिंदगी जीने का नजरिया बदल गया। मालविका दूसरों लोगों के लिए प्रेरणा बन गईं। उनकी प्रेरणा से अमेरिका, नार्वे और दक्षिण अफ्रीका समेत दुनिया के अन्य देशों में अशक्तों की जिंदगी में आशा की किरणों का संचार हुआ।
चेन्नई की इस 29 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने अपनी इच्छाशक्ति से अपनी विकलांगता के सदमे पर विजय पा ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसी साल मार्च में उन्हें प्रतिष्ठित 'नारी शक्ति पुरस्कार 2017' से सम्मानित किया।