गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Statement of meteorologists regarding monsoon
Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024 (19:16 IST)

Weather Update : कमजोर अल नीनो के बीच मिले अच्छे मानसून के संकेत, मौसम वैज्ञानिकों ने जताया अनुमान

Weather Update : कमजोर अल नीनो के बीच मिले अच्छे मानसून के संकेत, मौसम वैज्ञानिकों ने जताया अनुमान - Statement of meteorologists regarding monsoon
Statement of meteorologists regarding monsoon : देश के बड़े हिस्से में गर्मी पड़नी शुरू हो गई है और मौसम वैज्ञानिकों ने इस साल कम होती अल नीनो स्थितियों और यूरेशिया में कम बर्फबारी के कारण अनुकूल मानसूनी मौसम के शुरुआती संकेत देखे हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि बड़े पैमाने पर जलवायु संबंधी घटनाएं दक्षिण-पश्चिम मानसून के लिए अनुकूल हैं, जो बड़े पैमाने पर वर्षा पर निर्भर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
महापात्र ने कहा, इस वर्ष अल नीनो फीका पड़ रहा है। जून की शुरुआत तक यह तटस्थ स्थिति बन सकती है। उन्होंने यह बात मध्य प्रशांत महासागर के गर्म होने का जिक्र करते हुए कही, जिसे दक्षिण पश्चिम मानसून को प्रभावित करने वाले कारकों में से एक माना जाता है।
 
ला नीना भारतीय मानसून के लिए अच्छा : उन्होंने कहा कि जुलाई-सितंबर मानसून मौसम की दूसरी छमाही में ला नीना की स्थिति देखी जा सकती है, जो मध्य प्रशांत महासागर के ठंडा होने को संदर्भित करती है। महापात्र ने कहा, ला नीना भारतीय मानसून के लिए अच्छा है। और तटस्थ स्थितियां अच्छी हैं। हालांकि अल नीनो अच्छा नहीं है। 60 प्रतिशत मामलों में अल नीनो का भारतीय मानसून पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, लेकिन पिछले वर्ष इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा।
 
दक्षिण-पश्चिम मानसून से होती है भारत की 70 प्रतिशत वार्षिक वर्षा : उन्होंने कहा, इस साल भी बर्फ का आवरण कम है। यह एक और सकारात्मक कारक है। इसलिए बड़े पैमाने पर प्रक्रियाएं मानसून के लिए अनुकूल हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून से भारत की लगभग 70 प्रतिशत वार्षिक वर्षा होती है, जो कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। कृषि क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 14 प्रतिशत है और इसकी 1.4 अरब आबादी में से आधे से अधिक को रोजगार देता है।
भारत में 2023 के मानसूनी मौसम में 868.6 मिमी की दीर्घावधि के औसत की तुलना में 820 मिमी की औसत से नीचे संचई वर्षा हुई, जिसके लिए मजबूत अल नीनो को जिम्मेदार ठहराया गया था। आईएमडी इस महीने के अंत में दक्षिण-पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान जारी करेगा। आईएमडी मानसून सीजन की बारिश का पूर्वानुमान जताने के लिए तीन बड़े पैमाने की जलवायु घटनाओं पर विचार करता है।
पहला है अल नीनो, दूसरा है हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) जो भूमध्यरेखीय हिंद महासागर के पश्चिमी और पूर्वी किनारों के अलग-अलग तापमान के कारण होता है और तीसरा, उत्तरी हिमालय और यूरेशियन भूभाग पर बर्फ का आवरण है, जो भूभाग के अलग-अलग गर्माहट के माध्यम से भारतीय मानसून पर भी प्रभाव डालता है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
ये भी पढ़ें
भाजपा का सत्ता में आना क्यों जरूरी, PM नरेन्द्र मोदी ने बताया