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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Updated :श्रीनगर , बुधवार, 1 अक्टूबर 2014 (17:19 IST)

बाढ़ग्रस्त श्रीनगर को बसाने में लगेंगे कई साल

बाढ़ग्रस्त श्रीनगर को बसाने में लगेंगे कई साल -
श्रीनगर। कश्मीर के बाढ़ग्रस्त इलाकों से आज दसवें दिन पानी का लेवल कम होने लगा है, पर श्रीनगर में यह कम नहीं हो पा रहा है। कारण स्पष्ट है कि श्रीनगर की स्थिति कटोरे की तरह होने से अभी भी कई इलाकों में 5 से 15 फुट पानी है जिसे निकालने के लिए पंपिंग सेटों की जरूरत है। 
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अब राहत भिजवाने वालों को पंपिंग सेट भिजवाने की गुजारिश की है। साथ ही उनका कहना था कि श्रीनगर से पानी को निकालने में अभी कई दिन लगेंगे और इसको पुनः बसाने में कई साल लग जाएंगें। इस बीच श्रीनगर समेत कश्मीर वादी के कई इलाकों में आज दसवें दिन भी राहत कार्य जारी रहा था। हजारों की संख्या में लोगों को प्रतिदिन सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। राहत कर्मियों, बोटों इत्यादि की संख्या में भी लगातार इजाफा किया जा रहा है। 
 
वायुसेना और सेना के लिए यह देश का सबसे बड़ा और सबसे लंबा चलने वाला राहत अभियान बन गया है क्योंकि डेढ़ लाख से अधिक जवान राहत कार्यों में जुटे हैं तो 100 से अधिक विमान और हेलीकॉप्टर दिन-रात उड़ानें भर रहे हैं। इसमें दुनिया का सबसे बड़ा मालवाहक विमान भी अपनी अहम भूमिका निभा रहा है।
 
वक्त लगेगा पानी कम होने में : राहत और बचाव के काम में लगे अधिकारियों का कहना है कि श्रीनगर समेत कश्मीर घाटी के कई इलाकों में पानी का लेवल बिल्कुल कम होने में वक्त लगेगा। अधिकारियों का कहना है कि श्रीनगर की भौगोलिक स्थिति कटोरे जैसी है। उनके मुताबिक जिस तरह कटोरे में बिल्कुल बीच में किनारों की तुलना में ज्यादा गहराई होती है, उसी तरह इसके बीच के इलाकों का स्तर काफी नीचे है। यही वजह है कि उन इलाकों में दो-तीन मंजिलों तक पानी भरा हुआ है। पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है, फिर भी इसका लेवल काफी ऊंचा है। यही वजह है कि श्रीनगर के राजबाग, जवाहर नगर, गोगजी बाग, बेमिना, मेहजूर नगर, करन नगर और कमरवारी इलाके अब भी पानी में डूबे हुए हैं। 
 
सेना के एक्सपर्ट बता रहे हैं कि उत्तराखंड में जब पिछले साल बाढ़ आई थी, तो पानी तेजी से बह गया था, लेकिन कश्मीर में चारों ओर से पहाड़ियां होने और घाटी में आबादी की वजह से पानी ठहर-सा गया है। इसी कारण से कश्मीर घाटी में पानी का लेवल कम होने में कई दिन लग सकते हैं। पानी को निकालने की खातिर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अब देशभर के लोगों से पंपिंग सेट भिजवाने का आग्रह कर रहे हैं।
 
लाखों बचाए, लाखों जुटे बचाने में : बाढ़ प्रभावित इलाकों से अभी तक डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। बचाव एवं राहत कार्यों का आज दसवां दिन है। बचाव एवं राहत कार्यों में वायुसेना एवं सेना के हवाई कोर के 100 से अधिक परिवहन विमानों एवं हेलीकॉप्टर को लगाया गया है।हेलीकाप्टर एवं विमानों ने अभी तक 930 उड़ानें भरी हैं जिनमें से 97 उड़ानें आज भरी गईं। वायुसेना ने 1237 टन राहत सामग्री गिराई है। उन्होंने कहा कि सेना की 224 नावों और एनडीआरएफ की 148 नावों को सेवा में लगाया गया है।

राहत कार्य जारी : 109 सालों के बाद आई सबसे भीषण बाढ़ से प्रभावित कश्मीर में 20 प्रतिशत जलापूर्ति बहाल हो गई है और संचार लिंक को बहाल करने के लिए घाटी में पूरे जोरशोर से कोशिशें की जा रही है। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सभी सरकारी कर्मचारियों को शाम तक ड्यूटी पर रिपोर्ट करने को कहा है ताकि हालात से निपटने के लिए प्रयास तेज किए जा सकें।
आधे कश्मीर में जलापूर्ति काफी हद तक प्रभावित हुई है। कंसल ने कहा कि राहत अभियान तेज करने की दिशा में प्रशासन ने राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों से इस शाम तक ड्यूटी पर रिपोर्ट करने को कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू एंड कश्मीर बैंक में खाताधारियों की सभी जमा राशि सुरक्षित है। बाढ़ प्रभावित घाटी में नुकसान का एक खाका देते हुए कंसल ने कहा कि कश्मीर के 12 जिलों में से आठ पूरी तरह से या आंशिक तौर पर प्रभावित हुए हैं। इससे 20 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। चार जिले पूरी तरह कटे हुए हैं।
 
कंसल ने कहा कि बाढ़ से 50 पुलों और 170 किलोमीटर सड़क क्षतिग्रस्त हो गई हैं। श्रीनगर के एसडीएम सैयद अबीद रशीद शाह ने बताया कि पहली प्राथमिकता असहाय लोगों को बचाना है। हालात से निपटने का यह समन्वित प्रयास है जिसमें एनडीआरएफ की महत्वपूर्ण भूमिका है। शाह ने कहा कि प्रशासन हालात सामान्य करने और समुदाय की मदद के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए और राहत आपूर्ति की जरूरत है।
 
पानी घट रहा, राहत के इंतजार में लाखों : कश्मीर में बाढ़ का पानी घट रहा है जिससे बचाव टीमों ने आज फंसे हुए 2000 और लोगों को निकाला और जलमग्न इलाके में बेसब्री से मदद का इंतजार कर रहे लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाई। सैन्य टीमों ने रातभर बचाव अभियान जारी रखा और श्रीनगर से 807 लोगों को निकाला। अनुमान के मुताबिक बाढ़ प्रभावित जम्मू कश्मीर में पांच से छह लाख लोग अभी भी सहायता के इंतजार में हैं।
 
अधिकारियों ने बताया कि फंसे हुए लोगों तक खाद्य और राहत सामग्री पहुंचाई गई। अब तक कुल 807 टन राहत सामग्री भेजी गई है। लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा कि पश्चिम श्रीनगर के सभी इलाकों में स्थिति पहले से बेहतर है। श्रीनगर में जलस्तर अपने उच्च स्तर से छह फुट कम हुआ है लेकिन शहर में ही कुछ इलाकों में अभी भी बाढ़ की स्थिति बनी हई है। उन्होंने कहा कि दक्षिण कश्मीर में अवंतीपुरा तक पानी घटा है। इसलिए इलाके में सड़क की स्थिति ठीक हुई है। वहां दिक्कत नहीं है। हमारी नजर अभी भी श्रीनगर शहर में राहत अभियान पर है और यह जारी रहेगा।
 
कई लोग अपना घर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं, ऐसे में सेना उन्हें खाद्य और पानी मुहैया कराने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि अब हम देख रहे हैं कि जलस्तर कुछ इलाके में घट रहा है लेकिन लोग अपना घर नहीं छोड़ना चाह रहे। इसलिए, आज और कल से हम कुछ इलाकों में इसके साथ ही बचाव अभियान पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। घर पर रहने वाले लोगों को हम खाद्य, पानी और कुछ दवाइयों की भी आपूर्ति कर रहे हैं।
 
लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साह ने भी कहा कि कुछ लोगों ने अपना घर छोड़कर जाने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ समय से हम इस तरह की चीजें देख रहे हैं। कुछ लोगों को सुबह में निकाला जाता है और कुछ दोपहर में अपने घर लौट जाते हैं। इससे समझा जा सकता है क्योंकि वे वापस घर जाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें अपने सामान की चिंता है। उन्हें खाद्य और सामग्री की जरूरत है और वे अपने घर लौटना चाहते हैं। 
 
संचार सेवा को दुरुस्त करने के लिए कड़ी मशक्कत की जा रही है। माल वाहक विमान और वायुसेना तथा आर्मी एविएशन कॉर्प्स के हेलीकॉप्टर लगातार लोगों को निकाल रहे हैं और राहत अभियान चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि सेना ने एक लाख सैनिकों को तैनात किया है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) टीमों ने भी राहत कोशिशें तेज कर दी हैं।