उदयपुर चिंतन शिविर से कांग्रेस को कितना फायदा, क्या बदलेगी कांग्रेस की राजनैतिक दशा-दिशा?
राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस की तीन दिन चली चिंतन बैठक से पार्टी को कितना फायदा पहुंचा और क्या उदयपुर चिंतन कांग्रेस की राजनैतिक दशा-दिशा में परिवर्तन ला पाएगा इस पर बहस तेज हो गई है। दरअसल कांग्रेस के नव संकल्प शिविर में नेतृत्व के साथ-साथ, पार्टी को फिर से खड़ा करने और पार्टी के आगे बढ़ने के रोडमैप पर विस्तार से चर्चा हुई। उदयपुर चिंतन बैठक के बाद अब पार्टी ने आगे के रोडमैप पर आगे बढ़ना शुरु भी कर दिया है। उदाहरण के तौर पर चिंतन बैठक में राजनीतिक समिति की बैठक में ईवीएम को हैक करने को लेकर प्रजेंटेंशन देने वाले मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सोमवार को ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने का मुद्दा फिर से उठा दिया है।
कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस चुनाव आयोग से मांग करेगी कि ईवीएम पर लोगों को शक है इसलिए बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाए। इसके साथ ही कांग्रेस चुनाव आयोग से यह भी मांग करेगी कि ऐसा सिस्टम किया जाए कि ईवीएम से वोटिंग के दौरान (बटन दबाने पर) बैलेट भी निकल कर आए, जिससे वोट की विश्वसनीयता बनी रहे।
पिछले 8 सालों में दो लोकसभा चुनाव और कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को उठाने और संगठन को फिर से खड़ा करने के लिए राहुल गांधी पार्टी की सियासी जमीन मजबूत करने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा करेंगे। इसके साथ बैठक में इस बात पर भी मंथन हुआ कि पार्टी मौजूदा हालातों से निकलकर कैसे अपने पुराने वैभव को हासिल कर सकती है। दरअसल बैठक में पूरा मंथन इस बात पर केंद्रित रहा कि कैसे पार्टी को फिर से पुनर्जिवित किया जा सके।
उदयपुर चिंतन बैठक से कांग्रेस की राजनैतिक दशा और दिशा पर क्या असर होगा इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि उदयपुर बैठक के बाद अब इस पर नजर रहेगी कि तीन दिन के चिंतन बैठक में विभिन्न समितियों की तरफ से जो प्रस्ताव आए है उस पर पार्टी क्या फैसला लेती है। दरअसल उदयपुर चिंतन बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने क्राइसिस को पहचाना है। कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी के अंदर की क्राइसिस बाहर की क्राइसिस दोनों को बखूबी रेखाकिंत करने का काम किया है।
रामदत्त त्रिपाठी आगे कहते हैं कि कांग्रेस उदयपुर चिंतन बैठक के जरिए एकजुटता का संदेश देने में काफी हद तक कामयाब भी रही। बैठक में पार्टी से बागी समझे जाने वाले G-23 के नेताओं का शामिल होना और पार्टी नेतृत्व के फैसले के साथ खड़ा होना कांग्रेस नेतृत्व की एक बड़ी कामयाबी है। इसके साथ बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की मजबूती के लिए सबसे एकजुटता का आव्हान भी किया है। रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि जहां अध्यक्ष के चुनाव की बात है तो पार्टी में चुनाव की पूरी प्रक्रिया के बाद ही अध्यक्ष का चुनाव होगा।
उदयपुर चिंतन बैठक से 2024 को लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अपने को कैसे खड़ा कर पाएगी इस पर रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि वर्तमान में देश की जो राजनीतिक और सामाजिक परिस्थिति को देखा जाए तो कांग्रेस के हाथ में बहुत कुछ है भी नहीं। ऐसे में अब देखना होगी शिविर में जो रिपोर्ट आई है उस पर पार्टी का नेतृत्व क्या निर्णय लेगा। दूसरे शब्दों में कहे तो पार्टी ने मर्ज की पहचान तो कर ली है लेकिन दवा क्या होगी यह देखना होगा।