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Last Updated : सोमवार, 12 अगस्त 2019 (21:14 IST)

डिप्रेशन के लिए रामबाण मानी जाती है सोलो संजीवनी, मोदी ने भाषण में किया था जिक्र

डिप्रेशन के लिए रामबाण मानी जाती है सोलो संजीवनी, मोदी ने भाषण में किया था जिक्र - Solo Sanjeevani Prime Minister Narendra Modi
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में 'सोलो संजीवनी' नाम एक पौधे का जिक्र किया है, तभी से यह पौधा चर्चाओं में बना हुआ है। 4,000 से 14,000 फुट की ऊंचाई पर उगने वाले इस पौधे के फलों को चमत्कारिक गुणों के कारण 'संजीवनी बूटी' माना जाता है। यह औषधि सियाचिन जैसी प्रतिकूल जगहों पर रह रहे भारतीय सेना के जवानों के लिए चमत्कार साबित हो सकती है।
 
खबरों के अनुसार अमेरिका की सरकारी एजेंसी नेशनल सेंटर फॉर कॉम्प्लीमेंट्री एंड इंटिग्रेटिव हेल्थ (एनसीसीआईएच) ने सोलो पौधों पर कुछ समय पहले रिसर्च किया था। इसमें यह सामने आया था कि इसके सेवन से डिप्रेशन दूर होता है।
 
वैज्ञानिकों का मानना है कि मिथकीय महाकाव्य 'रामायण' में राम के भाई लक्ष्मण को जीवनदान देने वाली जड़ी-बूटी 'संजीवनी' की तलाश पूरी हो गई है। इस जड़ी-बूटी को स्थानीय लोग 'सोलो' कहते हैं।
 
इस औषधि का नाम रहोडियोला (Rhodiola) है। इसके गुणों के बारे में लोगों को काफी समय तक जानकारी नहीं थी। स्थानीय लोग इस पौधे के पत्ती वाले हिस्सों को सब्जी के तौर पर प्रयोग करते हैं। सोलो की 3 प्रजातियां पाई जाती हैं- सोलो कारपो (सफेद), सोलो मारपो (लाल) और सोलो सेरपो (पीली)।
 
डिफेंस रिसर्च एंड डेवपलमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट के साथ मिलकर इस पौधे को बड़ी संख्‍या में उगाने के लिए काम कर रहा है।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि लद्दाख में सोलो नाम का एक पौधा पाया जाता है। जानकारों के मुताबिक यह पौधा हाई एल्टीट्यूड पर रहने वालों के लिए, बर्फीली जगहों पर तैनात सुरक्षाबलों के लिए संजीवनी का काम करता है।
 
कम ऑक्सीजन वाले स्थानों पर यह इम्यून सिस्टम को संभाले रखने में यह महती भूमिका निभाता है। पीएम मोदी ने भाषण में कहा था कि ऐसे अनगिनत पौधे, हर्बल प्रॉडक्ट जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हैं और उनकी पहचान होगी, बिक्री होगी तो वहां के किसानों को फायदा होगा।
 
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि इस पौधे की खेती बढ़ाने की दिशा में कार्य करना चाहिए जिससे कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस पौधे का विदेशों में प्रचार-प्रसार भी किया जाना चाहिए।
 
(Photo: twitter)
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