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Last Modified: मंगलवार, 29 अगस्त 2017 (19:48 IST)

प्रसिद्ध साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार श्याम कश्यप कैंसर को दे रहे हैं मात

प्रसिद्ध साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार श्याम कश्यप कैंसर को दे रहे हैं मात - Shyam Kashyap,  Senior Journalist, Cancer
नई दिल्ली। जाने माने साहित्यकार, पत्रकार और प्रोफेसर श्याम कश्यप ने अपने लेखन के माध्यम से दुनियाभर में छाप छोड़ी है और लोगों को हमेशा जिंदगी के अच्छे पहलुओं को शान से जीने और खराब समय से लड़ने के लिए प्रेरित किया है। दुनिया को लड़ने की ताकत देने वाला कलम का यह सिपाही आज अपनी जिंदगी के अंतिम समय में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहा है और इसको पूरी तरह से बराबर की टक्कर दे रहा है।
 
श्याम कश्यप पिछले 90 दिन से पटपड़गंज के मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती हैं और 68 साल की इस उम्र में उनकी 4 मेजर सर्जरी हो चुकी हैं, फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और समाज के लिए कुछ और अच्छे लेखन देने को इच्छुक हैं। 
 
मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. मुदित अग्रवाल ने बताया कि 90 दिन पहले जब डॉक्टर ने उन्हें देखा था तो बोला था की इनकी स्थति बहुत खराब है और वे कुछ दिन ही जीवित रह सकते हैं, लेकिन उनका दृढ़ निश्चय और साहस देखकर हम सब लोग अचंभित हैं। 
 
21 नवंबर 1948 में पंजाब के नवा शहर में जन्मे श्याम कश्यप ने राजनीति विज्ञान में एमए करने के बाद पत्रकारिता एवं जनसंचार में पीएचडी की और उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय समेत कई राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रहे हैं। 
 
वे 40 साल से अधिक समय तक प्रिंट और टीवी पत्रकारिता में सक्रिय रहे, साथ ही दैनिक भास्कर, नईदुनिया, देशबंधु, लोकमत समेत कई मीडिया संस्थानों में भी उच्चतम पद पर कार्यरत रहे।   
 
उन्होंने अपने सक्रिय जीवनकाल में 25 से अधिक पत्रकारिता और साहित्य विषय पर 25 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें गेरू से लिखा हुआ नाम और लहू में फंसे शब्द, मुठभेड़, साहित्य की समस्याएं और प्रगतिशील दृष्टिकोण, परसाई रचनावली, हिन्‍दी साहित्य का इतिहास, रास्ता इधर है, पहल का फांसीवाद-विरोधी प्रमुख हैं।