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Last Updated : शुक्रवार, 16 अगस्त 2024 (14:48 IST)

किसानों के मुद्दे पर संकटमोचक बन पाएंगे नरेंद्र मोदी के सिपहसालार शिवराज सिंह चौहान?

किसानों के मुद्दे पर संकटमोचक बन पाएंगे नरेंद्र मोदी के सिपहसालार शिवराज सिंह चौहान? - Shivraj Singh Chauhan the new trouble shooter of Modi government on farmers issue?
किसान आंदोलन मोदी 2.0 सरकार की सबसे बड़ी चुनौती थी। किसान आंदोलन ने मोदी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने के साथ विपक्ष को भी संजीवनी दी थी वहीं अब मोदी 3.0 सरकार में मोदी सरकार किसानों को पूरी ताकत के साथ साधने में जुटी है। प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल का पदभार संभालते ही पहले ही दिन पीएम किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त जारी करने से जुड़ी फाइल पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका सीधा फायदा 9 करोड़ से अधिक किसानों को हुआ। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान सरकार की प्राथमिकता में पहले पायदान पर है वहीं अब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर किसानों को लालकिले पर हुए मुख्य कार्यक्रम में अतिथि के रुप में बुलाकर सरकार ने किसानों को साधने की कोशिश की।

‘मन की बात’ की तर्ज पर ‘किसान की बात’?-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में अपनी कैबिनेट में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जिस उम्मीद और भरोसे के साथ कृषि मंत्रालय का जिम्मा सौंपा है उस पर शिवराज सिंह चौहान अब तक पूरी तरह खरे उतरते हुए साबित हो रहे है। किसान आंदोलन की सबसे बड़ी वजह थी किसानों के साथ संवाद नहीं होना। यहीं कारण है कि अब कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के साथ लगातार संवाद करने का फैसला किया है।

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम को देखने आए देश भर के किसानें से संवाद करते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कहा मोदी जी के मन की बात कार्यक्रम की तर्ज पर किसान की बात कार्यक्रम जल्द ही शुरू किया जाएगा। कृषि वैज्ञानिक, विभाग के अधिकारी बैठेंगे और किसानों को जानकारी देंगे। सितंबर से शुरु होने वाले महीने में एक बार आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में खुद शिवराज सिंह चौहान भी किसानों के साथ संवाद करेंगे। किसानों को खेती-किसानी से संबंधित जानकारी देने और उनकी समस्या का समाधान करने के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है.

किसानों को लेकर विपक्ष पर हमलावर शिवराज-वहीं कृषि मंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान किसानों को लेकर लगातार विपक्ष पर हमलावर नजर आ रहे है। पिछले दिनों खत्म हुए संसद के सत्र में जहां शिवराज सिंह कृषि से जुड़े विषयों पर सदन में काफी मुखर नजर आए है वहीं मोदी सरकार के किसानों के लिए किए गए कार्यों को भी सदन के अंदर जमकर गिनाया।  

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर किसानों के लिए आयोजित कार्यक्रम मे विपक्ष पर हमला बोलते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज कल कुछ लोग किसानों की बात करते हैं, जिनका कभी खेती से कोई वास्ता नहीं रहा। जिन्होंने गांव नहीं देखें, गांव की गलियां नहीं देखीं, खेत नहीं देखे, पगडंडियां नहीं देखी, जिन्हें नहीं पता गेहूं की बाल कैसे लगती, जिन्हें हरी मिर्च लाल मिर्च में समझ नहीं आई और वो खेती की बात करने की कोशिश करते हैं।

शिवराज ने कहा कि मैं जब कृषि मंत्री बना तब मैंने सोचा कि लाल किले का भाषण सबसे महत्वपूर्ण होता है। मैंने सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण पढ़े, मैं आश्चर्यचकित रह गया कि पंडित नेहरु ने 1947 में एक बार किसान का नाम नहीं लिया, 48 में एक बार लिया, 1959 में एक बार और 1962 में एक बार नाम लिया। दिल में किसान होगा तभी तो किसान जुबान पर आएगा। पिछली सरकार की प्राथमिकता कभी किसान नहीं रहे। पहले के जमाने में लेवी वसूली जाती थी। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद और बधाई देते हैं जिन्होंने किसानों को स्वतंत्रता दिवस पर बुलाया। आजादी के महोत्सव में देश के गाँव-गाँव से किसान भाई पधारे हैं। आप देश की धड़कन हैं और जनता के दिल की धड़कन हैं। आप जो पैदा करते हैं, उससे सभी के दिल धड़क रहे हैं। आप हमारे लिए भगवान हैं। हमें अन्नदाता को सुखी और समृद्ध बनाना है।

किसान आंदोलन की धार कुंद करना क्यों जरूरी?- मोदी 3.0 सरकार की पहली प्राथमिकता किसानों को साधना है और इसमें मोदी के सिपाहसालार के तौर पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरी ताकत के साथ जुटे है। अगर मोदी सरकार लगातार किसानों को साधने की कोशिश कर रही है तो इसकी सबसे बड़ी वजह हरियाणा के साथ-साथ महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में चुनाव होना है। हरियाणा जैसे राज्य जो किसान आंदोलन का गढ़ रहे है वहां पर किसानों को साधना भाजपा के लिए बेहद जरूरी है। वहीं महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में किसान की बड़ी संख्या और उनकी समस्याओं का समाधान करना भाजपा के लिए बेहद जरूरी है।

पिछले कुछ दिनों से जब एक बार फिर किसान आंदोलन की सुगबुगाहट होने लगी है और किसानों ने टैक्टर मार्च कर फिर अपने तेवर दिखाने शुरु कर दिए है तब किसानों के साथ उनके संगठन के नेताओं के साथ लगातार संवाद करना सियासी रणनीति के नजरिए से बेहद जरूरी है और इसी काम में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार जुटे है।