Handwara Encounter : सेना की वर्दी थी शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा का एकमात्र सपना, 13 प्रयासों के बाद मिली थी कामयाबी
नई दिल्ली। अशुभ माना जाने वाला अंक ‘13’ थलसेना में शामिल होने के लिए कर्नल आशुतोष शर्मा के लिए भाग्यशाली रहा था और फौज में भर्ती होने के लिए अपनी साढ़े छ: साल की कोशिश के बाद वे आखिरकार 13वें प्रयास में कामयाब हुए थे। सेना की वर्दी पहनने के अलावा उनका कोई और सपना नहीं था।
उल्लेखनीय है कि उत्तर कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान रविवार सुबह शहीद होने वाले 5 सुरक्षाकर्मियों में कर्नल शर्मा भी शामिल थे। आतंकवाद का मुकाबला करने के दौरान अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वे 21वीं राष्ट्रीय राइफल्स के दूसरे कमांडिंग ऑफिसर हैं।
कर्नल शर्मा को याद करते हुए उनके बड़े भाई पीयूष ने कहा कि वे हमेशा ही अपने तरीके से काम किया करते थे, चाहे जो कुछ क्यों न हो जाए। जयपुर में एक दवा कंपनी में काम करने वाले पीयूष ने कहा कि उनका एकमात्र सपना थलसेना में भर्ती होना था, कुछ और नहीं।
पीयूष ने पीटीआई से फोन पर कहा कि 13वें प्रयास में सफलता हासिल करने तक वे थलसेना में शामिल होने के लिए जी-जान से जुटे रहे थे। कर्नल शर्मा अपने बड़े भाई पीयूष से 3 साल छोटे थे। कर्नल शर्मा 2000 के दशक शुरुआत में थलसेना में शामिल हुए थे।
अपने भाई के साथ 1 मई को हुई बातचीत को याद करते हुए पीयूष ने कहा कि यह राष्ट्रीय राइफल्स का स्थापना दिवस था और उसने हमें बताया कि उन लोगों ने कोविड-19 महामारी के बीच इसे कैसे मनाया।
उन्होंने अपनी आंखों से आंसुओं को गिरने से रोकने की कोशिश करते हुए कहा कि मैं उसे कई बार आगाह किया करता था और उसने इसका एक ही जवाब तय कर रखा था- ‘मुझे कुछ नहीं होगा, भैया’।
उन्होंने बताया कि कर्नल शर्मा ने कुछ तस्वीरें भेजी थीं और परिवार के पास यह उसकी आखिरी यादें हैं। कर्नल शर्मा की बेटी तमन्ना छठी कक्षा में पढ़ती है। पीयूष ने कहा कि मुझे यह जरूर लगता है कि वह बहादुर पिता की बहादुर बेटी है...। (भाषा)