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Last Modified: भोपाल , शनिवार, 12 अप्रैल 2025 (23:11 IST)

लालकिला परिसर में 3 दिवसीय सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन का हुआ शुभारंभ

Samrat Vikramaditya Mahanatya started in the Red Fort complex
  • उपराष्ट्रपति धनखड़ बोले- शासकों के लिए आज भी आदर्श हैं सम्राट विक्रमादित्य
  • दिल्ली की शाम हुई मालवा की संस्कृति से मनोहारी
  • 14 अप्रैल तक चलेगा महानाट्य, 250 कलाकार कर रहे अभिनय
Samrat Vikramaditya Mahanatya : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि सम्राट विक्रमादित्य ने अपने शासन से उस काल को और भारत को गौरवान्वित किया। हमारी सांस्कृतिक चेतना के विकास में सम्राट विक्रमादित्य का अतुल्य योगदान रहा। वे शासकों के लिए आज भी एक आदर्श हैं। वे बड़े प्रजा वत्सल थे। उन्होंने शासकों को सिखाया कि एक राजा को किस तरह अपनी प्रजा की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने अपने शासनकाल में कला संस्कृति, साहित्य और विज्ञान के संरक्षण और संवर्धन से भारत राष्ट्र को समृद्ध किया।

उपराष्ट्रपति धनखड़ शनिवार शाम को दिल्ली के लाल किला परिसर स्थित माधादास पार्क में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति धनखड़़ एवं अन्य अतिथियों ने इस तीन दिवसीय सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन आयोजन का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन 14 अप्रैल तक लगातार जारी रहेगा। महामंचन की शुरुआत राष्ट्र गान से हुई।

उपराष्ट्रपति धनखड़़ ने कहा कि हमारी संस्कृति एक मिसाल है कि भारतीय जीवन मूल्यों के साथ जीवन कितना सहज और सरल हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है। सम्राट विक्रमादित्य ने अपने शासनकाल में राष्ट्र के निर्माण में अमूल्य योगदान दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में हमारा देश बदल रहा है।

भारत में भूतल की गहराई से आकाश की ऊंचाइयों तक हर तरफ विकास ही विकास हो रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की दूरदर्शिता से भारत की पुरानी प्रतिष्ठा पुनर्स्थापित और जीवंत हो रही है। उन्होंने कहा कि भाषा हमारी सांस्कृतिक चेतना की धुरी है। हमें अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए। हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी भारत की सांस्कृतिक चेतना के प्रसार और भारतीय ज्ञान परम्पराओं पर आधारित शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिल्ली में किए जा रहे इस महा आयोजन के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को बधाई और साधुवाद देते हुए कहा कि केंद्र एवं दिल्ली सरकार के साथ मिलकर यह सिलसिला आगे भी जारी रहना चाहिए। हमें हमारी संस्कृति के संवर्धन के लिए हमेशा प्रयास करना चाहिए और उन्हें खुशी है कि मध्यप्रदेश में यह कार्य बड़ी लगन और कुशलता से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजे रखना है। हमें इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने के लिये प्रयास करना चाहिए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा, धीरता, वीरता, संवेदनशीलता के प्रतीक थे सम्राट वीर विक्रमादित्य : मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सम्राट वीर विक्रमादित्य के शासनकाल को भारतीय इतिहास का गौरवशाली काल बताते हुए कहा कि हमारी संस्कृति को सहेजने और संवारने में विक्रमादित्य का अमिट योगदान है। उन्होंने सिर्फ़ शासन को सुशासन की व्यवस्था में बदला। वे अदम्य साहस, धीरता, वीरता और संवेदनशीलता के प्रतीक थे। उन्होंने अपनी प्रजा को कर्जमुक्त किया।

वे अनेकानेक गुणों से युक्त थे। गरीबों, लाचारों, वंचितों को उनका हक दिलाने की प्रेरणा हमें सम्राट विक्रमादित्य से ही मिलती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य हमारे लिए सदैव स्तुत्य रहेंगे, उन्होंने हमें जनता की सेवा की सीख दी है। वे अपनी प्रजा का सुख-दुख जानने के लिए भेष बदलकर प्रजा के बीच जाते थे। उनकी यह संवेदनशीलता बताती है कि प्रजा के सुख में ही शासक का सुख है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी संस्कृति सदैव समृद्ध रही है और आगे भी रहेगी। हमारी संस्कृति मां गंगा की अविरल धारा की तरह सदैव अक्षुण्ण रहेगी। हमें अपने अतीत पर गर्व है और यह भावना हमें भावी पीढ़ी तक भी पहुंचानी है। देश की राजधानी दिल्ली में विक्रमादित्य महानाट्य के महामंचन के मूल में हमारी यही मंशा है। उन्होंने सभी से इस आयोजन का लाभ उठाकर अपने इतिहास के गौरवशाली काल को देखने, समझने और आनंद लेने की अपील की।

केन्द्रीय मंत्री शेखावत बोले- सांस्कृतिक उत्कर्ष का सोपान था विक्रमादित्य का शासन : केन्द्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिल्ली में सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का आयोजन देश के इतिहास को जीवंत करने के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक चेतना को भी सशक्त कर रहा है। उन्होंने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य का शासनकाल भारत की सांस्कृतिक ऊंचाइयों का उत्कर्ष था।

उनके शासन पर आधारित महानाट्य का मंचन विक्रमादित्य के उस स्वर्णिम युग का मंचन है। वे ज्ञान, विज्ञान कौशल के पोषक और वीरता की मिसाल थे। वे आदर्श शासक थे। उन्होंने अपने नवरत्नों के जरिए भारत की संस्कृति को उच्चतम स्तर पर ले जाने का प्रयास किया। वीर विक्रमादित्य के शासनकाल का मंचन एक नई धारा है, एक नया सोपान है, जिसका आगाज मध्यप्रदेश सरकार ने किया है। उन्होंने इस पहल के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

सीएम श्रीमती गुप्ता ने कहा, दिल्ली और मेरे लिए परम सौभाग्य की बात : दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव का आभार जताया। उन्होंने कहा कि डॉ. यादव ने दिल्ली की जनता को विक्रमादित्य के चरित्र और शौर्य से साक्षात्कार करने का अवसर दिया है। मेरा और दिल्ली का परम सौभाग्य है कि आज सम्राट विक्रमादित्य को और अधिक समझने का अवसर प्राप्त हुआ। सौभाग्य की बात है कि शौर्य और पराक्रम के प्रतीक सम्राट विक्रमादित्य पर महानाट्य का महामंचन यहां हो रहा है। दिल्लीवासी आज इतिहास से रुबरु हो रहे हैं। वे सम्राट विक्रमादित्य के शौर्य, पराक्रम, वीरता, कुशलता और सुशासन को अपनी आंखों से देख रहे हैं इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव का बहुत-बहुत धन्यवाद।

14 अप्रैल तक चलेगा महानाट्य का महामंचन : रविवार 13 अप्रैल को आयोजित होने वाले महानाट्य के महामंचन में मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा शामिल होंगे। सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन 13 एवं 14 अप्रैल को भी होगा। इसमें 250 कलाकार सम्राट विक्रमादित्य की जीवन गाथा को जीवंत कर रहे हैं। इस महानाट्य के दृश्यों को सजीव बनाने के लिए पालकी, रथ, घोड़ों और एलईडी ग्राफिक्स के स्पेशल इफेक्ट का प्रयोग किया जा रहा है।
कार्यक्रम में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा ‘विक्रमादित्यकालीन मुद्रा और मुद्रांक’ की प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है। भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर केंद्रित ‘आर्ष भारत’ प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। इसमें 100 से अधिक ऋषियों के जीवन और योगदान को प्रदर्शित किया जा रहा है। जनसम्पर्क विभाग द्वारा ‘मध्यप्रदेश का विकास एवं उपलब्धियां’ विषय पर और पर्यटन एवं उद्योग विभाग द्वारा भी प्रदर्शनियां भी यहां लगाई गई हैं।
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