स्वायत्तता को लेकर RBI और सरकार के बीच अनबन, बढ़ सकता है विवाद
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्वायत्तता को लेकर छिड़े विवाद के बीच सरकार ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान करती है और दोनों पक्षों के बीच समय-समय पर होने वाले विचार-विमर्श के अंतिम निर्णय को ही सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इस बीच, इस तरह की खबरें भी आ रही हैं कि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में यह कहा गया है कि आरबीआई अधिनियम के तहत प्रदत्त केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता शासन के लिए जरूरी है। सरकार इसका सम्मान करती है। सरकार और आरबीआई दोनों की कार्यप्रणाली लोकहित और भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुसार होनी चाहिए।
इस उद्देश्य के साथ सरकार और आरबीआई के बीच समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर व्यापक विचार विमर्श होता है। अन्य नियामकों के साथ भी ऐसा होता है। सरकार ने कभी भी विचार-विमर्श की विषयवस्तु को सार्वजनिक नहीं किया। सिर्फ अंतिम निर्णय ही सार्वजनिक किए जाते हैं। सरकार इस विचार-विमर्श के माध्यम से मुद्दों पर अपनी राय रखती है और संभावित सुझाव देती है। आगे भी सरकार ऐसा करती रहेगी।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में भारी वृद्धि के लिए आरबीआई को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि वह वर्ष 2008-14 के दौरान वह बैंकों द्वारा मनमाने ढंग से ऋण दिए जाने पर रोक लगाने में असफल रहा।
वित्तमंत्री ने यह बयान ऐसे समय में दिया जब केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य आरबीआई की स्वायत्तता का मुद्दा उठा चुके हैं। आचार्य ने आरबीआई की स्वायतत्ता को कमजोर करने की सरकारी कोशिशों पर सवाल उठाते हुए कुछ दिन पहले कहा था कि इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
कुछ छिपा रही है सरकार : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक के अनुच्छेद 7 को लागू करने का मतलब है कि अर्थव्यवस्था को लेकर स्थिति गंभीर है और सरकार इस बारे में कुछ तथ्य छिपा रही है।
चिदंबरम ट्वीट किया कि रिपोर्ट आ रही है कि सरकार ने रिजर्व बैंक अधिनियम के अनुच्छेद 7 को लागू कर दिया है और इसके तहत रिजर्व बैंक को अभूतपूर्व निर्देश जारी किए गए हैं। यह निर्देश डर पैदा कर रहा है। मुझे लगता है कि कुछ गलत खबर मिलने वाली है। हमारी सरकार ने 1991 या 1997 या 2008 और 2013 में कभी अनुच्छेद 7 का इस्तेमाल नहीं किया।
आरबीआई के इतिहास में पहली बार : आरबीआई के 83 वर्ष के इतिहास में इससे पहले कभी भी किसी सरकार ने सेक्शन 7 का इस्तेमाल नहीं किया था। यदि केंद्र सरकार को लगता है कि सार्वजिनक हित के लिए आरबीआई को खास तरह के निर्देश दिए जाना चाहिए तो अनुच्छेद 7 उसे यह अधिकार देता है।