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Last Modified: मंगलवार, 21 मार्च 2017 (16:50 IST)

अयोध्या मामले पर बातचीत को तैयार हैं : पर्सनल लॉ बोर्ड

अयोध्या मामले पर बातचीत को तैयार हैं : पर्सनल लॉ बोर्ड - Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय की ओर से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को अदालत से बाहर सुलझाने के लिए कहे जाने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने 'अच्छी टिप्पणी' की है और वह इस मामले का हल अदालत से बाहर निकालने के लिए बातचीत को तैयार है।
 
पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने से कहा, उच्चतम न्यायालय ने अच्छी टिप्पणी की है। अगर मसले का हल बातचीत से निकल जाए तो यह अच्छी बात है और यह सबके लिए खुशकिस्मती होगी। हम बातचीत के लिए तैयार हैं। 
 
रहमानी ने कहा, उच्चतम न्यायालय की मध्यस्थता में अगर सभी पक्ष बातचीत के लिए बैठेंगे तो बेहतर होगा। यह कोशिश होनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने इस विवाद को संवेदनशील और भावनात्मक मामला बताते हुए आज कहा कि इसका हल तलाश करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को नए सिरे से प्रयास करने चाहिए।
 
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसे धार्मिक मुद्दों को बातचीत से सुलझाया जा सकता है और उन्होंने सर्वसम्मति पर पहुंचने के लिए मध्यस्थता करने की पेशकश भी की।
 
पीठ में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसके कौल भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, ये धर्म और भावनाओं से जुड़े मुद्दे हैं। ये ऐसे मुद्दे है जहां विवाद को खत्म करने के लिए सभी पक्षों को एक साथ बैठना चाहिए और सर्वसम्मति से कोई निर्णय लेना चाहिए। आप सभी साथ बैठ सकते हैं और सौहार्दपूर्ण बैठक कर सकते हैं। 
 
शीर्ष अदालत की आज की टिप्पणी का स्वागत करते हुए अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख और मुख्य इमाम डॉक्टर उमेर अहमद इलियासी ने कहा, अगर दोनों पक्षों के लोग बैठकर इस मामले को सुलझा लें तो इससे बेहतर कुछ नहीं होगा। दोनों तरफ के प्रमुख संतों और इमामों को इसमें आगे आना चाहिए। 
 
इलियासी ने कहा, इस मामले का बातचीत के जरिए समाधान होना हमारे समाज और देश दोनों के लिए बेहतर होगा। ऐसा होने पर पूरी दुनिया में बहुत अच्छा संदेश जाएगा। 'पीस फाउंडेशन ऑफ इंडिया' के प्रमुख मुफ्ती एजाज अरशद कासमी ने कहा, इस पूरे मामले से अवगत उच्चतम न्यायालय का कोई न्यायाधीश मध्यस्थता करे तो यह बहुत अच्छा होगा। न्यायाधीश की मध्यस्थता में दोनों पक्ष बैठकर बातचीत कर सकते हैं। (भाषा)
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