'राधे मां' के कुंभशाही स्नान का विरोध
नासिक। द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मांग की है कि व्यापारी से संत बने सच्चिदानंद गिरि और साध्वी त्रिकाल भवंत एवं राधे मां को नासिक के कुंभ मेले में ‘शाही स्नान’ में भाग लेने से रोक दिया जाना चाहिए।
शंकराचार्य का बयान ऐसे समय में आया है, जब महज कुछ दिन पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने शराब के धंधे एवं आपराधिक गतिविधियों में सच्चिदानंद की कथित संलिप्तता पर उठे विवाद को लेकर उन्हें पवित्र मेले में आने से रोक दिया था। सच्चिदानंद को पिछले ही सप्ताह महामंडलेश्वर का पद प्रदान किया गया था।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि परी अखाड़ा की साध्वी त्रिकाल भवंत, मुंबई की राधे मां और सच्चिदानंद गिरि को शाही स्नान में बतौर संत भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें आम नागरिक के रूप में स्नान करना चाहिए। वे नासिक के समीप तीर्थनगर त्र्यम्बकेश्वर में ठहरे हुए हैं।
पहला शाही स्नान 29 अगस्त को है जबकि 2 अन्य शाही स्नान क्रमश: 13 एवं 25 सितंबर हैं। शाही स्नान साधुओं और महंतों का आनुष्ठानिक स्नान है। खुद को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष होने का दावा करने वाले महंत ज्ञानदास ने भी शंकराचार्य की हां में हां मिलाई है।
महंत ज्ञानदास ने दावा किया कि साधुओं एवं महंतों के पवित्र क्षेत्र में ढकोसलेबाजों का प्रवेश बढ़ता जा रहा है। त्रिकाल भवंत, राधे मां और सच्चिदानंद, जो शराब कारोबारी हैं, को शाही स्नान में भाग नहीं लेने देना चाहिए। (भाषा)