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  4. Psychological revelation of the crime of Sonam Raghuvanshi who murdered her husband Raja Raghuvanshi on honeymoon!
Last Updated : बुधवार, 11 जून 2025 (18:22 IST)

हनीमून पर पति राजा रघुवंशी का मर्डर करने वाली सोनम रघुवंशी के क्राइम का मनोवैज्ञानिक पर्दाफाश!

Sonam Raghuvanshi
इंदौर के ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी की हत्याकांड मामले में पत्नी सोनम रघुवंशी के मास्टरमाइंड के तौर पर सामने आने के बाद हर कोई हैरान है। शादी के चंद दिनों के बाद ही जिस तरह से सोनम रघुवंशी ने हनीमून के बहाने अपने पति की हत्या की पूरी साजिश रची इसको देख और सुन हर कोई दंग है। एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली नौकरीपेशा सोनम रघुवंशी ने जिस तरह से पूरे हत्याकांड की साजिश की स्क्रिप्ट लिखी उसके बाद इस पूरे अपराध के मनोविज्ञान को समझने की जरूरत है।

'वेबदुनिया' ने “ओवरथिंकिंग से आज़ादी” किताब के लेखक और मध्यभारत के सुप्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकान्त त्रिवेदी से बातचीत कर राजा रघुवंशी हत्याकांड की मुख्य सोनम रघुवंशी की मनोदशा के साथ अपराध की पृष्ठिभूमि को समझने की कोशिश की।

'वेबदुनिया' से चर्चा मे मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि एक मनोचिकित्सक के नाते जब वह पूरी घटना को देखते है तो एक बात समझ में आती है कि इसके पीछे गहरे सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण काम कर रहे हैं। अब मीडिया में जिस तरह से अब खबरें आ रही है कि सोनम रघुवंशी अपने प्रेमी राज कुशवाह से शादी करना चाहती थी लेकिन परिवार के दबाव में उसने राजा रघुवंशी से शादी की है ऐसे में इस पूरी घटना मे सामाजिक मनोदशा बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर ऐसी घटनाओं को समाजिक एंगल से देखा जाए तो भारत के परिवारों में आमतौर पर युवाओं को कहीं न कहीं ना कहने की आजादी नहीं मिल पाती और अगर लड़कियों की बात करें तो यह आजादी का प्रतिशत और कम हो जाता है।

वह कहते हैं कि आज भी हमारे सामाजिक ढांचे में शादी को एक सम्मान को द्योतक माना जाता है और यह माना जाता है कि शादी के मामले में लडकी अपने माता-पिता का कहना ही मानेगी और उनके अनुसार ही करेगी। देखा जाएं तो पुरुष प्रधान मानसिकता वाले समाज में लड़कियों को शादी के मामले में ज्यादा आजादी नहीं है और उनकी पंसद-नापंसद को परिवार के अंदर दबा दिया जाता है। लड़कियों को शादी के लिए न कहने की आजादी नहीं है ऐसे में उनकी इच्छाएं दबी रह जाती जो कि बाद में विस्फोटक रूप लेती है और ऐसी घटनाएं हमें देखने को मिलती है। ऐसे में आज परिवार को सामाजिक बदलाव को पहचाना होगा और लड़कियों की हां-नां को महत्व देना जरूरी है, नहीं तो ऐसी सामाजिक विकृतियां सामने आ सकती है और ऐसे दंश को दो परिवारों को पीढ़ियों का झेलना पड़ सकता है।  

इसके साथ ही डॉ. सत्यकांत कहते हैं कि आज के दौर में सामाज में जिस तरह से हिंसा का सामान्यीकरण करने के साथ वेब सीरिज जैसे टूल्स के जरिए हिंसा का महिमामंडन कर अपराधी का नायकीकरण कर समाज में एक तरह से आत्मसात करने जैसा दिखाया जा रहा है वह बेहद घातक है और हमें इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही है।

डॉ. सत्यकांत कहते हैं कि आज वेब सीरीज़ के माध्यम से अपराध को आकर्षक रूप में पेश किया जा रहा है जिससे युवा पीढ़ी उसके प्रति आकृषित हो रहे है और जघन्य हत्या जैसी वारदात को अंजाम दे देते है। वेब सीरिज के प्रभाव से सही-गलत का अंतर धुंधला पड़ जाता है और वे इन भ्रामक छवियों को वास्तविक समझने लगते हैं। वहीं वेब सीरिज मे अपराधियों को बेहद चालाक और स्मार्ट के साथ क्राइम के प्लानर के तौर पर दिखाया जाता है, ऐसे में प्रभाव में लोग Cognitive Bias डेवलप कर लेते है कि वह ऐसे प्लान कर लेगे कि लोगों को कानों-कान खबर नहीं होगी और वह कानून से बच जाएंगे।