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हिंदी के प्रति हीनता को खत्म कर उस पर करें गर्व, बनाएं रोजगार की भाषा

हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रामदेव भारद्धाज से खास बातचीत

हिंदी के प्रति हीनता को खत्म कर उस पर करें गर्व, बनाएं रोजगार की भाषा - Proud to be HINDI language
भोपाल। आज हिंदी के सामने हिंदी भाषी लोग ही चुनौती बने हुए हैं। यह कहना है देश के पहले और अपने तरह के एकमात्र हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति का। हिंदी दिवस पर वेबदुनिया ने भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रामदेव भारद्धाज से खास बातचीत की।

हिंदी दिवस पर इस खास बातचीत में प्रोफेसर रामदेव भारद्धाज कहते हैं कि आज बाजारवाद के इस युग में भाषा रोजगार का एक सशक्त माध्यम बन गई है और यही बाजारवाद हिंदी के लिए एक चुनौती बन गया है। बातचीत में वह कहते हैं कि आज हिंदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों की हिंदी के प्रति सोच है। वह कहते हैं कि आज माता-पिता हिंदी की जगह आंग्ल भाषा में अपने बच्चों को शिक्षा देने को प्राथमिकता देते हैं।

आज आवश्यकता इस बात की है कि लोगों में हीनता के प्रति सोच खत्म करनी होगी। वह कहते हैं कि हिंदी के प्रति उत्सुकता बढ़ाने के लिए आज समाज को आगे आना होगा, केवल सरकार और सामाजिक संस्थाओं के प्रयासों से कुछ नहीं होगा।

अंतरराष्ट्रीय स्वरूप में बढ़े हिंदी : वेबदुनिया से खास बातचीत में कुलपति प्रोफेसर रामदेव भारद्धाज कहते हैं कि आज हम जिस युग में रह रहे है वह अंतरराष्ट्रीयतावाद का युग है और इस युग में बाजावाद हावी हो गया है। आज भाषा का बहुत महत्व हो गया इसके लिए सभी को एकजुट होकर काम करना होगा।

वह कहते हैं कि आज हिंदी का जो भी प्रचार–प्रसार हो रहा है वह सतही स्तर पर हो रहा है। वह कहते हैं कि जिस तरह अन्य भाषा के लोग अपने ऊपर गर्व करते हैं, वैसे ही हिंदी भाषा के लोगों को भी अपने ऊपर गर्व करना होगा।
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