राष्ट्रपति ने लौटाया 'आतंकवादरोधी विधेयक'
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को गुजरात विधानसभा द्वारा पारित विवादास्पद आतंकवादरोधी विधेयक अतिरिक्त सूचना मांगते हुए लौटा दिया जिसके बाद इस विधेयक को वापस ले लिया गया। इसे केंद्र की पिछली संप्रग सरकार दो बार खारिज कर चुकी थी।
गुजरात आतंकवाद एवं संगठित अपराध विधेयक 2015 को राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय को लौटाते हुए विधेयक के कुछ प्रावधानों के बारे में और अधिक जानकारी मांगी है। गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी ने इसे साल 2003 में पेश किया था जिसके बाद से यह लटकता आ रहा है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय गुजरात सरकार से अतिरिक्त जानकारी पाने के बाद उसे राष्ट्रपति को मुहैया करेगा। गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को यह सूचना दी। इसके पहले इसने कहा कि वह विधेयक को वापस ले रहा है और उनकी मंजूरी के लिए अतिरिक्त जानकारी के साथ विधेयक सौंपेगा। यह विधेयक आरोपी के मोबाइल फोन की टैपिंग के जरिए जुटाए गए साक्ष्य की स्वीकार्यता या एक जांच अधिकारी के समक्ष दिए गए इकबालिया बयान को अदालत में मुहैया करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
इस विवादास्पद विधेयक को पिछले साल सितंबर में राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए उनके पास भेजा गया था। पिछले साल जुलाई में केंद्र की मोदी सरकार ने राज्य सरकार को विधेयक वापस भेजते हुए उससे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा उठाए गए कुछ खास मुद्दों को स्पष्ट करने को कहा था।
आईटी मंत्रालय ने टेलीफोन बातचीत की टैपिंग को अधिकृत किए जाने और अदालत में साक्ष्य के तौर पर उन्हें स्वीकार किए जाने के विधेयक में मौजूद प्रावधानों पर ऐतराज जताया था। गुजरात सरकार ने आईटी मंत्रालय के उठाए गए ऐतराजों का पुरजोर खंडन कर दिया था।
अपने जवाब में गुजरात सरकार ने ‘समवर्ती सूची’ में जिक्र किए गए विषयों का उल्लेख किया था, जिन पर केंद्र और राज्य दोनों ही कानून बनाने का अधिकार रखते हैं। केंद्र सरकार ने अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के साथ मशविरा करने के बाद आरोप-पत्र दाखिल करने की समय सीमा को 90 से बढ़ा कर 180 दिन किए जाने के प्रावधान को अपनी मंजूरी दे दी थी। (भाषा)