पाठ्यक्रम से नहीं हटाई जाएगी कवि 'पाश' की कविता
नई दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) ने कहा है कि पंजाबी के क्रांतिकारी कवि शहीद अवतार सिंह 'पाश' की मशहूर कविता, 'सबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना' को पाठ्यपुस्तक से हटाया नहीं जाएगा।
एनसीआरटी के निदेशक हृषिकेश सेनापति ने आज इन आशंकाओं को निराधार बताया कि पाश की कविता एनसीआरटी की किताबों से हटाई जाएगी। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि पाश ही नहीं किसी कवि लेखक की किसी भी रचना को पाठ्यक्रम से नहीं हटाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केवल मीडिया में इस तरह की ख़बरें आती हैं। हमने पहले भी स्पष्ट किया था कि टैगोर की कविता एनसीआरटी की किताबों से नहीं हटाई जा रही है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने भी संसद में साफ़ कहा था कि टैगोर की कोई रचना किताबों से हटाई नहीं जाएगी।
सेनापति ने यह स्पष्टीकरण तब दिया है जब गत दिनों एक अंग्रेजी दैनिक में यह खबर प्रकाशित हुई कि भटिंडा में पाश की 67वीं जयन्ती के मौके पर उनकी इस मशहूर कविता के पोस्टर को जारी किए जाने के अवसर पर बुद्धिजीवियों ने कहा कि सांप्रदायिक और फासीवादी ताकतें इस कविता को एनसीआरटी की किताबों से हटाने में लगी हैं।
गौरतलब है कि मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार, संघ परिवार से जुड़े दीनानाथ बत्रा ने एनसीआरटी को पत्र लिखकर पाश और अन्य लेखकों की रचनाएं हटाने की मांग की थी।
9 सितम्बर 1950 को जालंधर के तलवंडी सालेम गांव में जन्मे पाश और उनके मित्र हंसराज की २३ मार्च 1988 को आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पाश अमेरिका में रहते थे और वीसा के लिए भारत आए थे। उन्हें अगले दिन ही अमेरिका लौटना था।
पाश की हत्या के बाद उनकी कविताएं साहित्य जगत में काफी लोकप्रिय हुईं और नई पीढ़ी के वे नायक बन गए। हिन्दी में उनकी कविताओं का काफी अनुवाद भी हुआ। (वार्ता)