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Last Updated : मंगलवार, 19 जुलाई 2016 (00:34 IST)

संसद का मानसून सत्र प्रारंभ, राजनाथ बोले- घरेलू मामलों में दखल न दे पाक

संसद का मानसून सत्र प्रारंभ,  राजनाथ बोले- घरेलू मामलों में दखल न दे पाक - Parliament monsoon season
नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। इस सत्र में सबकी निगाहें जीएसटी बिल पर रहेगी, जबकि विपक्ष ने सरकार को कश्मीर, अरुणाचल, उत्तराखंड, महंगाई और विदेश नीति पर घेरने की तैयारी कर ली है। सत्र की शुरुआत में शहडोल के भाजपा सांसद दलपत सिंह परस्ते के निधन के चलते लोकसभा में उन्हें श्रद्धांजलि देकर सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी जाएगी। 

कश्मीर हिंसा मामले पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब देते हुए कहा-



* 1948 नागरिक घायल हुए, 1671 सुरक्षा कर्मी घायल हुए
* दो टुकड़ों में बंटा पाकिस्तान भारत की चिंता करेगा
* कश्मीर की जम्हूरियत पर इंसानियत का स्थान हो सकता है, हैवानियत का नहीं  
* युवाओं को बहलाने का काम करता था बुरहान वानी 
* 25 संपत्तियों को आग लगाई 
* 204 नागरिक अस्पताल में 
* हिज्बुल, जैश पाक के इशारे पर हमले करता है 
* कहने को पाक है पर हरकतें सब  नापाक हैं 
* बुरहान वानी पर 15  केस दर्ज  थे 
* पीएम ने कहे थे समाधान के तीन शब्द 
* जनमत संग्रह की बात का कोई महत्व नहीं 
* घाटी के लोगों को भड़काने की कोशिश 

*जेटली ने कहा हमें ऐसे मसले पर दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर देखना चाहिए। इस आंदोलन से वहां के युवा अपने को अलग रखें।


 

* देश के बंटवारे के वक्त से आज तक पाकिस्तान यह कभी स्वीकार नहीं कर पाया कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इसीलिए वह आज तक किसी न किसी तरीके से कश्मीर में आग लगाता रहा। एक तरीका यह था कि दो बार युद्ध हुआ। लेकिन उससे जब कुछ हासिल नहीं हुआ तो उसने आतंकवाद का रास्ता अपना लिया।

* जेटली ने कहा 2008 और 2010 में हिंसा का दौर हमने देखा। सुरक्षसकर्मियों के पास कोई चारा नहीं बचता जब उनपर हमला होता है तो। उन्होंने कहा कि घटना यह है कि सूबे की पुलिस को आतंकवादियों के बारे में जानकारी होती है और वे आतंकी को मार गिराते हैं इस मुठभेड़ में पुलिस केा भी नुकसान हुआ लेकिन यह सोशल मीडिया का जमाना है जिसका उपयोग वहां किया गया। वहां जो मारा गया आतंकी है उसका प्रभाव युवाओं में था। यह हिंसा कोई गंठबंधन की सरकार की कारण नहीं हुआ और न ही नेताओं के भाषण के कारण। कोई भी देश यह सहन नहीं करेंगा कि उसके देश में ऐसा कार्रवाई हो और वह प्रतिक्रिया न दे। 
 
* जेटली ने कहा कि जम्मू-कश्‍मीर में कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं था। वहां मात्र एक ही गंठबंधन की सरकार बन सकती थी जो अभी वहां मौजूद है। हम जानते हैं कि हमारे पीडीपी के साथ मतभेद थे लेकिन फिर भी हमने देश की भलाई के लिए वहां सरकार बनाई। वहां गंठबंधन की सरकार या टेलीविजन पर चर्चा के कारण हिंसा नहीं हो रही है। इस हिंसा का मूल कारण पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान है। पाकिस्तान ने कभी यह नहीं माना कि कश्‍मीर भारत का हिस्सा है। इस मामले को लेकर तीन बार युद्ध भी हुए जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा जब वे भारत से परास्त होते चले गए तो उन्होंने आतंकवाद के माध्‍यम से हमें परेशान करना शुरू किया।
 
* चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद अरुण जेटली ने कहा कि मैं गुलाम नबी आजाद की बातों से सहमत हूं। वहां की स्थिति चिंता का विषय है लेकिन केवल यह सोच लेना कि यह भाजपा और पीडीपी के गठबंधन की सरकार के कारण वहां की स्थिति ऐसी है सोच लेना गलत है। मैं कांग्रेस की इतिहास को उलटना नहीं चाहता। समय मिले तो वे खुद उसे देख लें। 

* अरुण जेटली ने कहा कि केवल ये सोचना की भाजपा की पीडीपी के साथ सरकार बन गई तो इसलिए ये सब हो रहा है। ये एक राजनीतिक सोच हो सकती है। आज ये वो वक्त नहीं है कि आजाद साहब की पार्टी का इतिहास बताऊं। उन्होंने कश्मीर के साथ किस तरह खिड़वाड़ किया।

* आजाद ने कहा कि पाकिस्तान का वजूद सब बीमारियों की जड़ है। आज जो हिंदू और मुसलमानों के बीच मनमुटाव बढ़ रहा है वह पाकिस्तान की ही देन है। पाकिस्तान के सहारे यहां के मुसलमान नहीं रहना चाहते। बंटवारे के वक्त हमने अपना देश चुन लिया था वह अपनी चिंता करे। हम अपनी चुनी हुई सरकार से सब मांग लेंगे। आज वह काला दिवस तना रहे हैं लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि यदि वे अपने देश में हुए ऐसे कृत्य पर काला दिवस मनायेंगे तो रोज वहां काला दिवस मनाने की जरूरत पड़गी। उन्होंने कहा कि जिनके घर खुद शीशे के हो वह दूसरे के घरों में पत्थर नहीं फेंका करते। आजाद ने अंत में मामले को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की। 
 
* आजाद ने कहा कि मैं गृह मंत्री से आग्रह करता हूं कि मामले को गंभीरता से लें। मैं प्रेस की आजादी के समर्थन में हूं। वहां इंटरनेट बंद है केबल बंद है।पहले हम सामाचार का इंतजार करते थे लेकिन आज प्राईम टाईम में हिंदू और मुस्लिम को लड़ाने का काम करते हैं। भारत के लोग समझदार हैं नहीं तो वह इन चैनलों को देखकर मार काट मचा देते। उन्होंने कहा कि जाकिर नाइक का सिर लाने वाले का आपकी पार्टी मारने की धमकी देते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। मैं कहता हूं कि यदि नाईक गुनहगार है, तो उसे सजा दो नहीं तो ये सब बंद किया जाना चाहिए।
 
* मैं दुआ करता हूं कि वहां की स्थिति समान्य हो जाए लेकिन मेरे चाहने से यह नहीं होगा। वहां दस दिन से कर्फ्यू जारी है फिर भी वहां का माहौल सामान्य नहीं हो रहा है। यदि ऐसी स्थिति दूसरे राज्य की होती तो एक दिन में स्थिति सामान्य हो जाती। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां के लोगों के मन में क्या चल रहा है। हम इस मामले पर राजनीति नहीं करेंगे। जब मैंने इस्तीफा दिया था तो सभी ने आग में घी डालने का काम किया था।
 
* आजाद ने कहा कि हमारे लिए गर्व की बात है कि यहां मुस्लिमों की आबादी दुनिया में दूसरे नंबर पर है लेकिन आतंकी संगठन आइएसआइएस से जुड़े होने वाले युवकों की संख्‍या न के बराबर है। यहां जो माहौल आज बना है वह हमने नहीं बनाया वह बनाया है रूलिंग पार्टी के नेता बनाते हैं। उनके भाषण से हिंसा होती है लेकिन उनके खिलाफ एक्शन नहीं लिया जाता है। भाजपा को कश्‍मीर घाटी में विश्‍वास जमाने में वर्षों लगेंगे। हमने कहा था कि हम सरकार नहीं बनायेंगे लेकिन उन्होंने डर से वहां सरकार बना ली कि कहीं कांग्रेस सूबे में सरकार न बना लें। हमने सरकार बनाने से वहां उन्हें मना किया था क्योंकि भाजपा पर घाटी के लोग विश्‍वास नहीं बना सकेंगे जब हमने अभी तक पूरा विश्‍वास उनके बीच इतने वर्षों में नहीं बना पाया तो आप कैसे बना सकेंगे।
 
* आजाद ने कहा कि जब राज्य में हमारा राज था या किसी दूसरे पार्टी का राज था तो भी इतनी हिंसा नहीं होती थी और हम आतंकियों को मारने का काम कर रहे थे। वहां के लोगों के साथ सरकार का स्वभाव अच्छा होना चाहिए।
 
* जिस प्रकार गोलियों का इस्तेमाल किया गया वह पहली बार है। आतंकवाद को खत्म करने के लिए जो हमने किया वह आप 50 साल तक में भी नहीं कर सकते हैं। आतंकियों और आम आदमी के बीच अंतर होनी चाहिए। हम आतंकियों के खिलाफ जिस गोली का इस्तेमाल करते हैं क्या उसी गोली का इस्तेमाल बच्चों बुढों और महिलाओं पर भी किया जाना चाहिए ? यदि आप इसी प्रकार का कृत्य करते रहे तो हम आपका साथ नहीं दे सकते, न ही हमारी पार्टी देगी। घाटी के सभी अस्पतालों में जख्‍मी भरे पड़े हुए हैं जो इस हिंसा का शिकार हुए हैं। 
 
 
* गुलाम नबी आजाद ने पाकिस्तान को भी खूब खरी खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि वे हमारे अंदरुनी हालात को बिगाड़ने का काम न करें। हम बख्श दें।
* गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'किसे क्या करना है, इस हिंसा में पाकिस्तान का क्या रोल है, केंद्र और राज्य सरकार को क्या करना है. मैं किसी को दोषी ठहरा रहा है। हम लोग मिलिटेंसी को खत्म करने के लिए सरकार के साथ हैं। लेकिन जनता के साथ ऐसा सुलूक होगा तो कैसे चलेगा। कोई भी मिलटेंसी का सपोर्ट नहीं करता, न हम, न विपक्ष और न कोई और…' बेहरमी से गोली का इस्तेमाल किया गया, 1990 में भी ऐसे हालात नहीं थे।   
*गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में कहा कि  मिलिटेंसी का कोई समर्थन नहीं करता, क्या मिलिटेंट और जनता के बर्ताव में फर्क नहीं होना चाहिए। अट्ठारह सौ लोग घायल है जो अस्पतालों में भरे पड़े हैं।

* मोदी ने कहा कि सरकार ने पिछले कुछ दिनों में विभिन्न राजनीतिक दलों से बातचीत की है और इस सत्र में उनका मूड अच्छा निर्णय लेने का है।
* प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश को आगे ले जाने के लिए संसद के मानसून सत्र में सभी को कंधे से कंधा मिलाकर काम करना चाहिए।
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सरकार विपक्ष को मनाने में जुटी है और विपक्ष जीएसटी पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कल सभी दलों की बैठक में कहा कि संसद को देश हित में और जनता के हित में चलाना चाहिए। आज से शुरू हो रहे संसद सत्र से पहले रविवार को दिनभर बैठकों का दौर चलता रहा। दिन में सरकार ने सभी दलों के साथ बैठक की तो शाम को लोकसभा स्पीकर की बैठक में तमाम दलों के नेता पहुंचे। सरकार ने सभी दलों की जो बैठक बुलाई थी उसमें जीएसटी बिल को लेकर चर्चा तो नहीं हुई लेकिन सरकार को उम्मीद है कि इस सत्र में बिल पास हो जाएगा।
 
कांग्रेस जहां मेरिट के आधार पर बिल के समर्थन की बात कह रही है वही बाकी विपक्ष इस बात से नाराज है कि सरकार सिर्फ कांग्रेस से ही क्यों बात कर रही है।