ओटीटी और सोशल मीडिया के लिए केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। जिसके तहत कई तरह की नियम लागू किए जाएंगे। सरकार का कहना है कि ओटीटी पर वेबसीरीज को लेकर मंत्रालय को कई शिकायतें मिलती रहीं हैं। ठीक इसी तरह से सोशल मीडिया पर भी आपत्तिजनक और नुकसान पहुंचाने वाली सामग्री पोस्ट और शेयर की जाती रही है।
ऐसे में देश में अब तक कई ऐसे विवाद होते रहे हैं, जिनकी वजह से ओटीटी प्लेटफॉर्म बेहद चर्चा में आया। कुछ को ऐसे कंटेट से कोई आपत्ति नहीं थी तो दूसरे वर्ग ने इसे सुटेबल नहीं माना। आइए जानते हैं वेबसीरीज के कुछ ऐसे विवादों के बारे में जिनसे देशभर में कई बार हंगामा मचा।
आश्रम हुआ बदनाम
एमएक्स प्लेयर पर रिलीज हुई बॉबी देओल की वेब सीरीज आश्रम अपने कंटेंट की वजह से काफी विवादों में रही। आश्रम को लेकर पहले हिंदू समाज के लोग काफी ज्यादा नाराज थे। उनका आरोप था कि हमेशा फिल्मों और सीरीयलों में हिंदू धर्म से जुड़ी चीजों को नाकारात्मक रुप से दिखाया जाता है। बाद में वेब सीरीज आश्रम से हरिजन समाज नाराज हो गया है। 'जातिगत भेदभाव' के मामले में प्रकाश झा और बॉबी देओल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
देश में छिड़ा तांडव
वेब सीरीज 'तांडव' में कुछ सीन ऐसे दिखाए गए थे। जिसमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगे थे। सीरीज के पहले एपिसोड के ही एक सीन में एक्टर जीशान अयूब भगवान शंकर से मिलता-जुलता रूप बनाए हुए हैं। उनके हाथ में त्रिशूल और गले में रुद्राक्ष की माला। एक्टर ने इस सीन में कोट-पैंट पहन रखा है। भगवान शिव के रूप में वह कहते हैं- आखिर आपको किससे आजादी चाहिए तभी मंच पर संचालक की भूमिका में नारद मुनि का किरदार आता है। वो कहता है-नारायण-नारायण प्रभु कुछ कीजिए। रामजी के फॉलोअर्स लगातार सोशल मीडिया पर बढ़ते ही जा रहे हैं
नॉट सुटेबल इन इंडिया
पिछले दिनों ऑनलाइन स्ट्रीमिंग वेबसाइट नेटफ़्लिक्स के बहिष्कार की मांग की गई थी। जिसके चलते कई घंटों तक #BoycottNetflix ट्विटर पर टॉप ट्रेंड बना हुआ था। इसकी वजह नेटफ़्लिक्स के एक फिल्म 'अ सूटेबल बॉय' के कुछ दृश्य थे। इस फिल्म के एक सीन में एक लड़का और लड़की मंदिर प्रांगण में चूमते नजर आते हैं और बैकग्राउंड में भजन चल रहे हैं। इस बात पर भी आपत्ति जताई गई थी कि इसकी पटकथा के अनुसार एक हिंदू महिला एक मुस्लिम युवक को प्रेम करती है।
बदनाम मिर्जापुर
एक वेब सिरीज़ 'मिर्ज़ापुर' के ख़िलाफ़ भी नोटिस जारी किया गया था। उत्तर प्रदेश पुलिस की टीम इस सिरीज़ के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर के सिलसिले में भी मुंबई गई थी। 'मिर्ज़ापुर' बनाने वालों पर आरोप था कि उनकी सिरीज़ की वजह से मिर्ज़ापुर शहर का नाम बदनाम हुआ है। मिर्ज़ापुर का सीज़न-2 कुछ समय पहले रिलीज़ हुआ था, पहला सीज़न 2018 के नवंबर महीने में रिलीज़ हुआ था।
ऑस्ट्रेलिया और फेसबुक विवाद
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान जहां ज्यादातर मीडिया हाउस को नुकसान उठाना पड़ा, वहीं फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों ने मोटा मुनाफा कमाया है। इस दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म न्यूज लिंक शेयर कर के जमकर पैसा कमाते रहे।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए ऑस्ट्रेलिया सरकार ने एक कानून बनाया है, इस कानून के मुताबिक सोशल मीडिया साइट यदि न्यूज कंटेंट शेयर करेंगी, तो उन्हें संबंधित कंपनी से प्रॉफिट शेयर करना होगा। फेसबुक और गूगल इसे मानने तैयार नहीं था और वह ऑस्ट्रेलिया में सेवाएं बंद करने की धमकी दे रहे थे।
इसके साथ ही भारत में अब तक धार्मिक भावनाओं, जातिसूचक, सांप्रदायिक और अश्लीलता आदि को मुद्दा बनाकर ओटीटी और आम लोगों का विवाद होता रहा है। ठीक इसी तरह सोशल मीडिया जैसे ट्विटर और फेसबुक पर भी पोस्ट और विचार शेयर करने को लेकर अहमतियां बनती रही हैं। ऐसे में अब केंद्र सरकार ने ओटीटी और सोशल मीडिया को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है।
क्या है नई गाइड लाइन
फेसबुक, टि्वटर और व्हाट्सएप पर नजर
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अपना मॉडरेटर रखना होगा जो इनके जरिए फैलाई जा रही सामग्री के लिए जिम्मेदार होगा। अगर उनके मॉडरेशन में गलती पाई गई तो सजा दी जा सकेगी।
सरकारी दूसरे स्तर पर नियामक एजेंसी बनाएगी जिसमें हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हो सकते हैं।
तीसरे स्तर पर सरकारी संस्थाएं होंगी जो इन प्लेटफॉर्म पर निगरानी रखेंगे और मामले सामने आने पर दोषी कंपनी को दंडित कर पाएंगे। उनकी सबसे अहम शक्ति सामग्री को ब्लॉक करने की होगी। इनके आदेश पर कुछ मामलों में कंपनियों को 24 घंटे में और बाकियों में 15 दिन में कार्यवाही करनी होगी।
'यू' से 'ए' की रेटिंग देनी होगी
नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम, जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म को तीन स्तरीय निगरानी प्रणाली के तहत रखा जाएगा।
किसी शो को 'यू' (सभी के लिए उपयुक्त) से लेकर 'ए' (केवल वयस्कों के लिए) जैसी रेटिंग देनी होगी।
मैसेज पकड़ने के अधिकार
ऐसे मैसेजेस को पकड़ने के अधिकार सरकारी एजेंसियों को मिलनी है, जो उन्हें लगता है कि फर्जी हैं और लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह किसी एसएमएस की तरह हो सकता है, जिसे किसने शुरू किया, यह टेलीकॉम कंपनियों के जरिए पकड़ा जा सकता है। सोशल मीडिया कंपनियों को इसके लिए अपनी निजता नीति एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन के नियमों में कुछ ढील देनी पड़ सकती है।