शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. सेना के सफल ऑपरेशनों से टूटी आतंकियों की कमर, हर दूसरा आतंकी बनने लगा कमांडर
Last Modified: शनिवार, 30 नवंबर 2019 (21:18 IST)

सेना के सफल ऑपरेशनों से टूटी आतंकियों की कमर, हर दूसरा आतंकी बनने लगा कमांडर

Indian Army | सेना के सफल ऑपरेशनों से टूटी आतंकियों की कमर, हर दूसरा आतंकी बनने लगा कमांडर
जम्मू। कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों के सफल ऑपरेशनों का एक पहलू यह है कि अब कश्मीर में सक्रिय हर दूसरा आतंकी कमांडर बनने लगा है। दरअसल, सीमा पार जाकर हथियारों की ट्रेनिंग लेने जाना मुश्किल होने तथा अभिभावकों की पुकार पर वापस लौटने वालों का सिलसिला तेज होना भी एक कारण है कि नई भर्ती मुश्किल होती जा रही है।

इस साल कश्मीर में अभी तक मारे गए 160 आतंकियों में आधे से अधिक कमांडर रैंक के ही आतंकी थे। यह बात अलग है कि उनमें से चौथाई पर ही इनाम इसलिए घोषित किए गए थे क्योंकि सुरक्षबलों के लिए वे चुनौती साबित हो रहे थे।

आतंकवाद के शुरुआती दौर में कश्मीर में आतंकी कमांडरों का मारा जाना बहुत बड़ी सफलता के साथ ही खुशी का कारण माना जाता था लेकिन अब प्रत्येक दूसरे आतंकी को कमांडर का रैंक दिए जाने के बाद अब यह खुशी सिर्फ इनामी कमांडरों के मारे जाने से ही मिल रही है।

इतना जरूर था कि इस साल अभी तक जो 160 आतंकी मारे गए हैं उनमें से सबसे ज्यादा मई महीने में मारे गए हैं। मई महीने मरने वाले आतंकियों की संख्या 29 थी। इससे पहले सबसे अधिक आतंकी क्रमशः जून में 78, मार्च में 27 और फरवरी में 20 मारे गए थे।

इतना जरूर था कि इस साल अभी तक कश्मीर में मारे गए आतंकियों की संख्या पिछले साल 12 महीनों में मारे गए 270 आतंकियों से कम है तथा वर्ष 2010 के बाद सबसे अधिक है। कश्मीर में मौतों के सिलसिले में सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इस साल अभी तक कश्मीर में 278 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि अभी दिसंबर के महीने के 31 दिन बाकी हैं। इस साल मारे गए 278 लोगों में 160 आतंकी, 78 सुरक्षाकर्मी तथा 40 नागरिक भी शामिल हैं।

जानकारी के लिए वर्ष 2008 में भी 90 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे और वर्ष 2007 के बाद नागरिकों की मौत का आंकड़ा ढलान पर था। ऐसे में यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि कश्मीर में हिंसा तेज हुई है और उसका खामियाजा सुरक्षाबलों के साथ-साथ नागरिकों को भी भुगतना पड़ रहा है।
ये भी पढ़ें
झारखंड में 64.44% मतदाताओं ने 189 उम्मीदवारों के भाग्य का किया फैसला