नोटबंदी से असुविधा, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ब्योरा मांगा
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र से कहा कि वह विमुद्रीकरण के बाद से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों, जो अधिकतर सहकारी बैंकों पर भी निर्भर हैं, को हो रही परेशानी और असुविधा कम करने के हेतु किए गए उपायों का विवरण की जानकारी दे।
प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड की पीठ ने नोटबंदी के विभिन्न पहलुओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दारैरान सरकार से इसकी जानकारी मांगी।
पीठ ने कहा कि सभी पक्षों को मिल-बैठकर उन मामलों को श्रेणीबद्ध करके एक सूची तैयार करनी चाहिए जिन्हें उच्च न्यायालय को भेजा जा सकता है और जिन पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हो सकती है।
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि सरकार सहकारी बैंकों में स्थिति से अवगत है, जहां अनुसूचित बैंकों की तुलना में उचित आधारभूत ढांचे और तंत्र की कमी है।
उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से दायर अतिरिक्त हलफनामे का पूरा चैप्टर सहकारी बैंकों के मुद्दे को समर्पित है। ऐसा नहीं है कि हम स्थिति से अवगत नहीं है लेकिन इनमें (सहकारी बैंकों में) अनुसूचित बैंकों की तुलना में उचित सुविधाओं, तंत्र और उचित आधारभूत ढांचे की कमी है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने जान-बूझकर सहकारी बैंकों को इस अभियान से बाहर रखा है, क्योंकि इनके पास नकली मुद्रा की पहचान करने की विशेषज्ञता नहीं है। रोहतगी ने कहा कि नोटबंदी के बाद विभिन्न पहलुओं को लेकर प्रत्येक गुजरने वाले दिन कई मामले विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर होते हैं तथा केरल, कोलकाता, जयपुर और मुंबई में मामलों से एकसाथ निपटना संभव नही हैं। इन सभी मामलों को साथ जोड़कर उन्हें किसी एक उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के नरा भेजा जाना चाहिए। (भाषा)