बिहार के लिए होगा मंगलवार 'बड़ा दिन'
राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू यादव के परिजनों पर छापे की कार्रवाई और राजनीतिक जोड़तोड़ के बीच कल यानी मंगलवार बिहार के लिए बड़ा दिन साबित होगा। राजद विधायक दल की बैठक के एक दिन बाद नीतीश कुमार भी अपने विधायकों, जिलाध्यक्षों और बड़े नेताओं की बैठक लेने जा रहे हैं। इस बैठक में कोई भी बड़ा फैसला बिहार की राजनीति में भूचाल ला सकता है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को राजद विधायक दल की बैठक में स्पष्ट कहा गया है कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे, साथ ही वे पार्टी विधायक दल के नेता भी बने रहेंगे। पूर्व मंत्री और राजद नेता ने अब्दुल बारी सिद्दिकी ने बैठक के बाद कहा कि तेजस्वी यादव राजद विधायक दल के नेता हैं और बने रहेंगे। सिद्दीकी ने कहा कि भाजपा पार्टी के खिलाफ साजिश कर रही है। प्रदेश में सत्तारूढ़ महागठबंधन सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि राजद अध्यक्ष लालूप्रसाद यादव को परेशान किया जा रहा है, वहीं देश में माहौल खराब बनाया जा रहा है।
सीबीआई के छापे के बाद चूंकि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज हो चुका है, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सुशासन बाबू यानी नीतीश कुमार अपनी साफ-सुथरी छवि को बचाने के लिए लालू पुत्र को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। संभवत: मंगलवार की बैठक में खासतौर से इसी मुद्दे पर चर्चा होगी। साथ ही नीतीश इस बात पर भी फैसला ले सकते हैं कि राजद के साथ अब गठबंधन को आगे बढ़ाया जाए या फिर यहीं खत्म कर दिया जाए।
यदि नीतीश तेजस्वी यादव को मंत्रिमंडल से बाहर करने का फैसला लेते हैं, जिसकी कि संभावना भी है, गठबंधन सरकार खतरे में पड़ जाएगी। राजद की बैठक में कहा भी गया है कि अगर नीतीश तेजस्वी को बाहर करते हैं तो सरकार संकट में आ जाएगी क्योंकि महागठबंधन में राजद ही 80 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल है।
हालांकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा बढ़ा दी गई है, क्योंकि नीतीश तेजस्वी के विरुद्ध कोई फैसला लेते हैं तो इससे राजद कार्यकर्ता भड़क सकते हैं। हिंसा की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। एक संभावना यह भी है कि यदि नीतीश राजद से नाता तोड़ भी लेते हैं तो उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं होगा क्योंकि उन्होंने पिछले कुछ दिनों में भाजपा के साथ करीबियां बढ़ा ली हैं। भाजपा जदयू की पुरानी गठबंधन सहयोगी भी है। साथ ही नीतीश सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि उनमें प्रधानंमत्री बनने की क्षमताएं नहीं हैं। ऐसे मोदी के साथ उनका 'ईगो' भी नहीं टकराएगा। ताजा घटनाक्रम को देखते हुए अटकलें हैं कि आने वाले समय में बिहार में काफी उठापटक देखने को मिल सकती हैं।