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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 25 जून 2021 (14:31 IST)

क्या काशी की पहचान गंगा आरती वाले दशाश्वमेध घाट से दूर हो जाएगी गंगा नदी?

एक्सपर्ट-गंगा पार बन रही नहर से बदल जाएगा गंगा का स्वरूप,घाटों से दूर हो जाएगी नदी

क्या काशी की पहचान गंगा आरती वाले दशाश्वमेध घाट से दूर हो जाएगी गंगा नदी? - New threat to Ganga river in Varanasi ?
जीवनदायिनी गंगा नदी लगातार चर्चा के केंद्र में है। पहले कोरोना काल में गंगा किनारे तैरते शव को लेकर जमकर हंगामा बरपा, फिर बनारस में गंगा के पानी के रंग को हरा होने को लेकर कई सवाल खड़े हुए वहीं अब नया विवाद काशी में गंगा पार रेती में बन रही नहर का लेकर खड़ा हो गया है।

गंगा नदी पर सालों से काम करने वाले साझा संस्कृति मंच के प्रो.यूके चौधरी ने इस पूरे प्रोजेक्ट पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पत्र लिखा है। अपने पत्र में यूके चौधरी ने पूछा है कि रेत पर नहर में डिस्चार्ज की गणना कैसे की गई। क्रॉस सेक्शन कैसे तय हुआ ढलान कैसे तय हुआ रेतमें रिसाव की दर की गणना कैसे हुई आदि।
 
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में प्रो यूके चौधरी दावा करते हुए कहते हैं कि नहर और गंगा के अंदर 200 मीटर लंबे और 150 मीटर चौड़ा स्पर के पक्के निर्माण के चलते धीरे-धीरे गंगा घाटों से दूर हो जाएगी। वह कहते हैं कि जैसे गंगा अस्सी घाट से दूर हो गई है वैसे ही अन्य घाटों से दूर हो जाएगी। वह कहते हैं कि नहर के निर्माण से घाटों के आसपास पानी की गहराई कम होने के साथ वेग कम हो जाएगी और गंगा नदी धीरे-धीरे घाटों को छोड़ देगी। 
 
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में वह कहते हैं कि वाराणसी के विपरीत दिशा में गंगा की रेत-तल पर बन रही नहर बाढ़ के पानी की गति को सहन नहीं कर सकती है। बिना वैज्ञानिक सिद्धांतों के यह नहर स्थिर नहीं हो सकती और गंगा में पानी की गहराई को कम करेगा।

इसके साथ मानसून के दौरान गहराई में कमी से वेग में कमी आएगी जो अंततः घाट-किनारे पर भारी गाद का कारण बनेगी। इस प्रकार गंगा घाटों को छोड़ देगी। ललिता-घाट पर निर्मित स्पर (दीवार) घाटों से प्रवाह को कम करने के साथ पानी की गहराई और वेग में कमी का कारण बनेगी,इससे घाट पर सेडिमेंटेशन भी हो जाएगा।

स्पर और नहर वाराणसी में गंगा के अर्धचंद्राकार आकार को बदल सकते हैं और जैसे अस्सी-घाट पर गंगा हमेशा के लिए घाट से निकल गई वैसा ही आने वाले समय में दशाश्वमेध तक घाटों पर दिख सकता है और गंगा नहीं घाटों को छोड़ सकती है।
 
वहीं संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वंभर नाथ मिश्र गंगा की आज की स्थिति के लिए काशी विश्वनाथ परिसर के विकास का कार्य को जिम्मेदार मानते है। वह कहते हैं कि निर्माण कार्य के दौरान गंगा तट के ललिता घाट पर गंगा के अंदर एक लम्बे प्लेटफार्म का निर्माण किया गया है जिसके कारण गंगा जी का सामान्य प्रवाह बाधित हो रहा हैI 
आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर रहे मिश्र कहते हैं कि डर इस बात का है कि गंगा के अंदर बने इस प्लेटफार्म की वजह से घाटों की तरफ सिल्ट का जमाव बढ़ेगा एवं गंगा जी घाटों से क्रमशः दूर होतो जाएंगीI वहीं  गंगा जी के पूर्वी तट पर एक नहर का निर्माण भी किया जा रहा है एवं कहा जा रहा है कि इस कार्य से गंगा जी के पश्चिमी तट पर पड़ने वाले जल दबाव में कमी आएगी एवं घाटों के नीचे हो रहे जल रिसाव में कमी आएगी हालाँकि इसका मुख्य उद्देश्य माल वाहक जलपोतों के आवागमन को सुचारू रूप प्रदान करना हैI
 
प्रोफ़ेसर विश्वंभर नाथ मिश्र दुख जताते हुए कहते हैं कि अजीब विडम्बना है कि काशी में गंगा जी का अर्ध चंद्राकार प्राकृतिक स्वरुप जो सदियों से बना हुआ है एवं काशी में गंगा जी की महत्ता को दर्शाता है आज उसे बचाने के नाम पर नष्ट करने का कार्य हो रहा है I ये जो भी कार्य हो रहे हैं वे प्रौद्योगिकी के विरुद्ध हैं इनके दुष्परिणाम अवश्य सामने आएंगे और इन कार्यों का अस्तित्व लम्बे समय तक नहीं रहेगा I
 
उधर इस पूरे मुद्दें पर प्रशासन का नजरिया एकदम अलग है। कलेक्टर कौशल राज शर्मा के मुताबिक नहर के बनने से गंगा नदीं का मूल स्वरुप नहीं बिगड़ेगा। वहीं प्रशासन नहर के निर्माण के चलते ड्रेजिंग से निकली बालू  को जल्द हटवाने की बात कह रहा है।
 
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