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Last Updated : सोमवार, 15 मई 2023 (14:16 IST)

ब्रेन सर्जरी का 'जीपीएस' कंप्यूटर नेविगेशन सिस्टम कर रहा ट्यूमर सहित कई अन्य सर्जरी में कमाल

मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का न्यूरो डिपार्टमेंट कर चुका है 350 से ज्यादा ऑपरेशन

dr rajnish kachhara
इंदौर, जिस तरह नए शहर में सही पते की तलाश करने के लिए हम गूगल का नेविगेशन का उपयोग करते है, ठीक उस तरह यदि दिमाग में ट्यूमर होने का पता लगाने और उसके बाद ऑपरेशन की स्थिति में कंप्यूटर नेविगेशन का उपयोग किया जा रहा है।

क्रॉनिकल एंड एडवांस्ड नेविगेशन सिस्टम मशीन से ब्रेन में हुए ट्यूमर की सही जगह और साइज की खोज कर उसके बाद ऑपरेशन प्लान किया जाता है। शहर के मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में इस तकनीक का उपयोग पिछले आठ सालों से हो रहा है और अब तक करीब 350 ऑपरेशन भी हो चुके हैं। इस ऑपरेशन के मरीजों के सिर में कम से कम चीरा लगाना पड़ता है, जबकि रिकवरी सटीक और काफी अच्छे से एवं तेजी से होती है।

मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी विभाग के सीनियर न्यूरो सर्जन व एचओडी डॉ. रजनीश कछारा ने बताया कि गूगल में जिस तरह से देश और दुनिया के सभी रास्तों की जानकारी डली हुई है, उसी तरह क्रॉनिकल एंड एडवांस्ड नेविगेशन सिस्टम में ब्रेन की सभी जानकारी पहले से मौजूद है। ब्रेन में किस जगह पर कौन-सी नस और उसकी क्षमता क्या है, सभी कुछ नेविगेशन मशीन में उपलब्ध है। यह मशीन जैसे ही मरीज के दिमाग के सिटी स्कैन से मैच की जाती है, वैसे ही चंद सेकण्ड में वह दिमाग की जांच कर बता देती है कि किस जगह पर ट्यूमर है।

सीटी स्कैन / एमआरआई से पहले केवल मरीज के ट्यूमर की जानकारी मिल जाती है, लेकिन क्रिटिकल हिस्से की नस में ट्यूमर का पता लगाने में काफी परेशानी होती थी। उक्त मशीन से ट्यूमर की सही जगह पता चल जाती है। इससे मरीज के सिर के ज्यादा हिस्से को काटना नहीं पड़ता है। मेदांता हॉस्पिटल शहर का एकमात्र हॉस्पिटल है, जहां में न्यूरो डिपार्टमेंट इस नेविगेशन सिस्टम की मदद से 350 से 400 ऑपरेशन कर चुका है। प्रत्येक मामले में इस सिस्टम की जरूरत नहीं होती है लेकिन ट्यूमर, पानी भर जाना, कम्पलीट रिमूवल जैसे मामलों में यह तकनीक उपयोग की जाती है, जिससे मरीज को होने वाला खतरा कम हो जाता है। साथ ही मरीज के परिजनों को संभावित अन्य खतरे की बात बताना भी आसान हो जाता है।

ब्रेन हेमरेज जैसी बीमारी में भी यह सिस्टम काफी मददगार है। सर्जरी के माध्यम से ब्रेन के घाव तक सीधे पहुंचकर उसे माइक्रोस्कोप की मदद से इसे निकालने में सफलता मिलेगी। इसका फायदा यह हुआ कि सर्जरी सटीक हो गई है ब्रेन के अंदर इधर उधर जाने का खतरा भी खत्म हो गया।

एडवांस न्यूरो नेविगेशन सिस्टम में मरीज के सिर का कंप्यूटर एमआरआई से मिलाया जाता है। इस नेविगेशन की मदद से चीरा लगाने के बिंदु और घाव तक पहुंचने के एंगल को निर्धारित करने में मदद मिलती है। यह न्यूरो नेविगेशनल सिस्टम सर्जरी के दौरान जीपीएस की तरह काम करता है।

नेविगेशन तकनीक का उपयोग मस्तिष्क और रीढ़ की सर्जरी में सर्जनों को सही समय पर सही जानकारी प्रदान करने के लिए किया जाता है। नेविगेशन तेजी से सर्जिकल रूटीन का एक अभिन्न अंग बनता जा रहा है। ये तकनीक सर्जरी के दौरान खोपड़ी या वर्टिब्रल कॉलम की सीमाओं के भीतर आसानी से नेविगेट करने में मदद करती हैं। मस्तिष्क की विभिन्न असामान्यताओं और छोटे ट्यूमर के इलाज में उपय़ोग के लिए स्टीरियोटैक्टिक सर्जरी में इसका उपयोग होता है। ब्रेन बायोप्सी, पिट्यूटरी सर्जरी, रीढ़ की हड्डी की सर्जरी में भी यह नेविगेशन सिस्टम अलग-अलग तरह से मदद करता है।
Edited: By Navin Rangiyal
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