• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. मध्यप्रदेश
  4. Political meaning of Rahul Gandhi's lame horse statement
Last Updated : बुधवार, 4 जून 2025 (17:47 IST)

राहुल गांधी का लंगड़े घोड़े वाला बयान कमलनाथ, दिग्विजय की सियासत से रिटायरमेंट का संकेत?

Rahul Gandhi lame horse statement
भोपाल। मध्यप्रदेश के 2023 विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की करारी हार के बाद अब सूबे में पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने का फॉर्मूला काग्रेस हाईकमान ने तैयार कर लिया है। मंगलवार को एक दिन के भोपाल दौरे पर आए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी में कई ऐसे कार्यकर्ता हैं जो पूरी ताकत के साथ पार्टी के लिए काम करते हैं, जबकि ऐसे भी कई कार्यकर्ता हैं जो अब थक चुके हैं.ऐसा लग रहा है कि वह रेस में थक चुके हैं, ऐसे में अब समय आ गया है कि रेस के घोडे़ और बारात के घोड़े को अलग करना पड़ेगा।

इतना ही नहीं राहुल गांधी ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि मैं पहले कहा करता था कि दो टाइप के घोड़े हैं लेकिन अब मैं ये मानता हूं कि दो नहीं बल्कि तीन टाइप के घोड़े हैं। एक रेस का घोड़ा, एक बारात का घोड़ा और तीसरा लंगड़ा घोड़ा। अब समय आ गया है कि हम लंगड़े घोड़े को अलग करें. ऐसे कार्यकर्ता अगर बांकी घोड़ों यानी कार्यकर्ताओं को तंग करेंगे तो उनपर कार्रवाई होगी।

राहुल गांधी का अपनी ही पार्टी के नेताओं की तुलना घोड़े से करना और बारात के घोड़े और लंगड़ा घोड़ा को पार्टी से अलग करने के क्या मायने है, इस पर कांग्रेस की अंदरूनी सियासत तेज हो गई है। क्या राहुल गांधी का यह बयान पार्टी के उन सीनियर नेताओं की ओर साफ इशारा है जिनके आसपास कई दशकों से पार्टी की सियासत घूमती आई है।

अगर देखा जाए तो मध्यप्रदेश कांग्रेस बीते कई दशकों से पार्टी के दो दिग्गज दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और अजय सिंह के इर्द-गिर्द ही घूमती आई है। राहुल ने जिस तरह सख्त लहजे में कहा कि  लंगड़े घोड़े को अब घास चरने भेज दो, पानी पियो, रिलैक्स करो, लेकिन बाकी घोड़ों को तंग मत करो, वरना कार्रवाई होगी, यह बयान साफ तौर पर कांग्रेस में दिग्गज नेताओं की गुटबाजी और खेमेबंदी की ओर इशारा करती है। दरअसल 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस में बड़े नेताओं की परिक्रमा करने वाले और पट्ठेबाजी करने वाले नेताओं को टिकट देकर उपकृत किया गया, उसका सीधा चुनाव परिणाम पर पड़ा और पार्टी बुरी तरह हार गई।

वहीं विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद जब राहुल के निर्देश पर पार्टी की कमान युवा चेहरे माने जाने वाले जीतू पटवारी और उमंग सिंघार जैसे नेताओं के हाथों में सौंपी गई तब भी पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी थमी नहीं। कमलनाथ, अजय सिंह औऱ दिग्गिजय सिंह जैसे दिग्जज नेताओं की पार्टी के प्रदेश नेतृत्व से नाराजगी की खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरी। कमलनाथ और अजय सिंह ने तो सीधे-सीधे जीतू पटवारी के नेतृत्व पर ही सवालिया निशाना लगा चुके है।

ऐसे में राहुल गांधी के बयान के बाद प्रदेश के सियासी हलकों में इस बात की चर्चा जोरों से है कि क्या अब कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और अजय सिंह जैसे नेताओं का सूबे की सियासत से रिटायर होने का वक्त आ गया है। राहुल गांधी ने जिस अंदाज में बूथ लेवल से पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने के संकेत देते हुए युवा और नए चेहरों को आगे लाने का संकेत दिया है, उससे साफ है कि आने वाले वक्त में कांग्रेस में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते है।
ये भी पढ़ें
census in india : 1 मार्च 2027 से 2 चरणों में होगी जनगणना, जाति की भी होगी गिनती