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Last Modified: सोमवार, 4 मई 2015 (01:16 IST)

62वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में प्रतिभाएं सम्मानित

62वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में प्रतिभाएं सम्मानित - National Film Award
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने रविवार को बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रानावत को ‘क्वीन’ में उनकी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और नवोदित निर्देशक चैतन्य तम्हाने को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के तौर पर 62वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित किया।
इस वर्ष का दादा साहब फाल्के पुरस्कार पाने वाले वरिष्ठ अभिनेता शशि कपूर खराब स्वास्थ्य के चलते समारोह में शामिल नहीं हो सके। उन्हें मुंबई में एक विशेष समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
 
पुरस्कार वितरण समारोह में राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं शशि कपूर को विशेष रूप से बधाई देना चाहूंगा, जिन्हें इस वर्ष के दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सिनेमा में उनका बहुमुखी और शानदार योगदान रहा है। वह सही मायने में जिंदा किवदन्ती हैं।’ केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने भी शशि कपूर को बधाई दी और भारतीय सिनेमा में उनके परिवार के योगदान की सराहना की।
 
उन्होंने कहा, ‘उनके शानदार परिवार का भारतीय सिनेमा में गहन योगदान है और शशि कपूर ने कई सार्थक फिल्मों का निर्माण कर तथा जाने माने अंतरराष्ट्रीय प्रोडक्शन में अपनी अभिनय प्रतिभा को दिखाकर अद्भुत भूमिका निभाई है।’ 
 
एक सदी से अधिक समय में फिल्म उद्योग में विषय वस्तु के हिसाब से नए आयाम छूने के लिए राष्ट्रपति और सूचना प्रसारण मंत्री ने फिल्म जगत की सराहना करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के ‘साफ्ट पावर’ का अभिन्न अंग करार दिया।
 
28 वर्षीय कंगना ने विकास बहल की फिल्म के लिए अपने करियर का दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। उन्हें रजत कमल और 50 हजार रुपए की धनराशि दी गई। कंगना ने समारोह से पूर्व कहा, ‘मैंने जो कुछ भी सीखा, वह मूवी सेट्स पर सीखा है क्योंकि मुझे कुछ महान निदेशकों के साथ काम करने का मौका मिला।’
 
विभु महापात्रा के गाउन में सजी कंगना इस समारोह में सबके आकर्षण का केंद्र थीं और उनके प्रशंसक लगातार उनके साथ फोटो खींचवाने और आटोग्राफ लेने के लिए उतावले नजर आए। वह राष्ट्रपति से पुरस्कार ग्रहण करने के तुरंत बाद वहां से चली गईं। 
 
बहल और निर्माता विक्रमादित्य मोटवानी को भी ‘क्वीन’ के लिए पुरस्कार दिया गया । फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म के लिए दूसरा पुरस्कार जीता है। दोनों को रजत कमल और एक. एक लाख रूपये दिए गए।
 
न्यायिक प्रक्रिया की दुनिया का ताना बाना पेश करती शक्तिशाली फिल्म ‘कोर्ट’ को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार दिया गया। इसके तहत एक स्वर्ण कमल और ढाई लाख रूपये की राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की गयी। राष्ट्रपति के भाषण में भी फिल्म के निदेशक चैतन्य तम्हाने का जिक्र आया।
 
कन्नड फिल्म ‘नानू अवानाल्ला अवालू’ (मैं लड़का नहीं, लड़की हूं) में एक पुरुष के शरीर में कैद महिला के चरित्र को जानदार और शानदार तरीके से निभाने के लिए विजय को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की ट्रॉफी दी गई।
 
विशाल भारद्वाज और सुखविंदर सिंह को फिल्म ‘हैदर’ के लिए क्रमश: सर्वश्रेष्ठ संगीत निदेशक और सर्वश्रेष्ठ गायक का पुरस्कार प्रदान किया गया। इस पुरस्कार के तहत दोनों को 50-50 हजार रुपए की राशि प्रदान की गयी। हैदर शेक्सपियर के हेमलेट का कश्मीरी पृष्ठभूमि में रूपांतरण है।
 
‘हैदर’ को सर्वाधिक पांच पुरस्कार मिले जिनमें डॉली आहलूवालिया को सर्वश्रेष्ठ परिधान, भारद्वाज को सर्वश्रेष्ठ डॉ यलाग और सुदेश अधाना को सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी के पुरस्कार शामिल हैं।
 
डॉली ने कहा, ‘मैं विशाल के नजरिए के साथ न्याय करना चाहती थी और श्रद्धा को कश्मीर की कली की तरह पेश किया। शाहिद को कपड़े पसंद आए और वह एक ड्रेस घर ले गए।’
 
तमिल फिल्म ‘साइवम’ के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का पुरस्कार पाने वाली 10 वर्षीय उत्तरा उन्नीकृष्णण ने ‘अझागे अझागे’ की अपनी प्रस्तुति से सभी का मनमोह लिया। राष्ट्रपति और सूचना एवं प्रसारण मंत्री दोनों ने उत्तरा की बहुत तारीफ की। 
 
‘पगड़ी : द ऑनर’ फिल्म की हरियाणवी अभिनेत्री बलजिन्दर कौर को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया जबकि तमिल फिल्म ‘जिगरतंडा’ पर माफिया डॉन की भूमिका निभाने वाले बॉबी सिन्हा को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार दिया गया।
 
मुक्केबाज मेरी कॉम के जीवन पर आधारित, प्रियंका चोपड़ा अभिनीत फिल्म ‘मेरी कॉम’ को सभी का मनोरंजन करने के लिए सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय सिनेमा का पुरस्कार दिया गया। फिल्म के निर्माता और निर्देशक दोनों को ‘स्वर्ण कमल’ और दो-दो लाख रूपए की राशि पुरस्कार में दी गई।
 
सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार निर्देशक आदित्य विक्रम सेनगुप्ता को उनकी बंगाली फिल्म ‘आशा जावार माझे’ के लिए दिया गया। सेनगुप्ता और फिल्म के निर्माता दोनों को स्वर्ण कमल और सवा-सवा लाख रुपए की राशि दी गई।
 
बंगाली फिल्म ‘छोटोदेर छोबी’ को सामाजिक मुद्दों पर सर्वश्रेष्ठ सिनेमा का पुरस्कार दिया गया। तमिल फिल्म ‘काक्का मुत्तई’ के जे. विग्नेश और रमेश को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार पुरस्कार जबकि एम. मणिकरण निर्देशित फिल्म और मराठी सिनेमा ‘एलिजाबेथ एकादशी’ को संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ बाल सिनेमा का पुरस्कार दिया गया।
 
क्षेत्रीय भाषा श्रेणी में हेमंत कुमार दास निर्देशित ‘ओथेलो’ को सर्वश्रेष्ठ असमी फिल्म का पुरस्कार मिला। इनके अलावा बंगाली में ‘निर्बासितो’, हिन्दी में ‘क्वीन’, कन्नड़ में ‘हारिवु’, कोंकणी में ‘नाचोम-अल कुम्पसर’, मलयालम में ‘एन’, मराठी में ‘किला’, ओडिया में ‘आदिम विचार’, पंजाबी में ‘पंजाब 1984’, तमिल में ‘कुत्तरम कदिथाई’, तेलुगु में ‘चंदामामा कथालु’, हरियाणवी में ‘पगड़ी: द ऑनर’ और राभा में ‘ओरोंग’ को पुरस्कृत किया गया। 
 
‘ओरोंग’ राभा भाषा के लिए पुरस्कृत होने वाली पहली फिल्म है। मलयालम भाषा की फिल्म ‘एन’, कोंकणी के ‘नाचोम-अल कुम्पसर’ और मराठी के ‘किला’ तथा अमिताभ बच्चन अभिनीत हिन्दी फिल्म ‘भूतनाथ रिटर्न्‍स’ को ज्यूरी द्वारा विशेष सम्मान दिया गया।
 
मराठी फिल्म ‘खावड़ा’ को लोकेशन साउंड रेकार्डिस्ट का जबकि बंगाली फिल्म ‘आशा जोवार माझे’ को साउंड डिजाइनर का पुरस्कार मिला।
 
तमिल फिल्म ‘जिगरतंडा’ को सर्वश्रेष्ठ एडिटिंग के लिए विवेक हषर्न को पुरस्कार मिला जबकि कोंकणी फिल्म ‘नाचोम-अल कुम्पसर’ को सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्शन डिजाइन के लिए पुरस्कृत किया गया।
 
गैर फीचर फिल्म श्रेणी में ‘टेंडर इज द साइट’ को उसकी संवेदनशीलता और दस साल के दृष्टि बाधित बच्चे के लिरिकल पोट्रेयल के लिए पुरस्कृत किया गया।
 
‘गूंगा पहलवान’ के लिए मीत जानी, प्रतीक गुप्ता और विवेक चौधरी को सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म के निर्देशक का पुरस्कार मिला जबकि मानवविज्ञान के क्षेत्र में ‘क्वीसा-ए-पारसी : द पारसी स्टोरी’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला। (भाषा)