किरण बेदी ने जनता को दिया कामकाज का हिसाब
नई दिल्ली। मोदी सरकार के सभी मंत्रालयों द्वारा 3 साल के कार्यकाल में किए गए कामकाज का ब्योरा जनता के समक्ष पेश किए जाने की परिपाटी की तर्ज पर केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में भी इस तरह की पहल देखने को मिली है, जहां उपराज्यपाल किरण बेदी ने अपने 1 साल के कार्यकाल के कामकाज का हिसाब जनता को दिया है।
किरण बेदी की इस पहल के साथ ही किसी निर्वाचित सरकार वाले राज्य में राज्यपाल या उपराज्यपाल द्वारा अपने कामकाज का ब्योरा पेश करने की नई शुरुआत पुडुचेरी के राजनिवास से हुई है, हालांकि जानकारों की राय में इस तरह की पहल किसी राज्य में राज्यपाल या उपराज्यपाल द्वारा करने की परंपरा या परिपाटी नहीं है।
देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बेदी को मोदी सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 22 मई 2016 को पुडुचेरी का उपराज्यपाल नियुक्त किया था। अपने कार्यकाल का पहला साल पूरा करने के बाद बेदी ने अपने कामों का लेखा-जोखा जनता के बीच रखते हुए इस पर जनता से संवाद भी कायम किया और इस अनूठी पहल के माध्यम से राजनिवास के कामकाज पर जनता की राय भी ली।
बेदी ने बताया कि 2 दिन के इस कार्यक्रम में पहले दिन 2 जून को राज निवास के अधिकारियों के साथ एक साल के कामकाज की समीक्षा की गई और 3 जून को अपने कामकाज पर जनता के साथ संवाद किया गया।
जनता को पेश रिपोर्ट कार्ड के हवाले से उन्होंने बताया कि राजनिवास के दरवाजे आम जनता के लिए खोलना रिपोर्ट कार्ड की सबसे अहम पहल रही। इसके तहत बीते एक साल में हुए जनसंवाद के राजनिवास की ओर से जारी ब्यौरे के मुताबिक 8,386 लोगों ने उपराज्यपाल से मुलाकात कर अपनी समस्याओं का निराकरण कराया जबकि 2,595 लोगो की दिक्कतें फोन कॉल से ही दूर हो गईं।
रिपोर्ट कार्ड में बेदी ने जनता के कामों को लेकर अधिकारियों और संगठनों के साथ 386 टाउन हॉल मीटिंग करने और राजनिवास द्वारा छात्रों और स्थानीय परिवारों के लिए फिल्म श्रृंखला के आयोजन का भी उल्लेख किया।
उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि के बारे में पूछे जाने पर बेदी ने बताया कि राजनिवास के कामकाज को प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ जनहित पर भी केंद्रित करना सबसे अहम शुरुआत कही जा सकती है।
उन्होंने कहा कि इस पहल का नतीजा यह रहा कि राजनिवास को अब जनता के कार्यालय के रूप में देखा जाने लगा है। इसमें समाज के हर वर्ग की पहुंच आसान हुई है और राजनिवास सचिवालय ने भी हर जरूरतमंद की समस्या के निराकरण को अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार किया है।
हालांकि राज्य में चुनी हुई सरकार से इतर राजनिवास के दरवाजे भी जनता के लिए खोलने को सामानांतर सरकार शुरू करने की दलील से असहमति जताते हुए बेदी ने कहा कि यह पहल जनता की सहूलियत बढ़ाने की दिशा में सकारात्मक कदम है। इसे समानांतर सरकार इसलिए नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि इसमें सरकार और राजनिवास के क्षेत्राधिकार की लक्ष्मण रेखा का सजगता से ध्यान रखने की प्राथमिकता का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है। (भाषा)