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रामभरोसे थी नगरोटा के सैन्य शिविर की सुरक्षा...

रामभरोसे थी नगरोटा के सैन्य शिविर की सुरक्षा... - Nagrota military camp, terrorism, terrorist attack
श्रीनगर। नगरोटा के सैन्य शिविर पर हुए हमले के बाद सुरक्षा के प्रति किए जा रहे दावों के बीच अब यह स्वीकार किया जाने लगा है कि नगरोटा स्थित 16वीं कोर मुख्यालय से सटे जिस 166वीं फील्ड रेजीमेंट पर आतंकियों ने आत्मघाती हमला बोला था, उसकी सुरक्षा रामभरोसे थी। 
दरअसल, इस इलाके में आतंकी कभी हमला कर सकते हैं, ऐसा सोचा भी नहीं गया था जिस कारण सुरक्षा शिविर के आसपास थोड़ी सी ही ऊंचाई पर तारबंदी और छोटी चारदिवारी करके काम चला लिया गया था।
 
इसे अब आधिकारिक तौर पर भी स्वीकार किया गया है कि नगरोटा में सैन्य शिविर पर हमला करने वाले आतंकियों ने इसके पिछले हिस्से में जंगली इलाके से परिसर में प्रवेश किया था। यह जानकारी आज आधिकारिक सूत्रों ने दी। सूत्रों ने दावा किया कि सैन्य शिविर के पीछे वन क्षेत्र से आतंकियों ने वहां घुसपैठ की थी। उन्होंने कहा कि इलाका चारों तरफ से कंटीले तारों और छोटी दीवार से घिरा था।
 
नगरोटा स्थित 16वीं कोर के मुख्यालय तथा आसपास स्थित अन्य सैन्य शिविरों के सिर्फ मुख्य गेटों पर ही सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिलती थी। कभी कभार आरओपी नजर आती थी। दरअसल नगरोटा का सैन्य गैरीसन 20 से 22 किमी के घेरे में है और इस क्षेत्र में जंगल, गहरी खाइयों तथा नालों के चलते यह कभी सोचा भी नहीं गया था कि आतंकी इनको पार करके हमला बोल सकते हैं।
 
अतीत में जब से कश्मीर में आतंकवाद फैला हुआ है नगरोटा स्थित सैन्य गैरीसन को सुरक्षित माना जाता था जिस कारण उसकी सुरक्षा को बहुत हल्के से लिया गया था। इस गैरीसन का दौरा करने पर यह सामने आता है कि सिर्फ 16वीं कोर के मुख्यालय की दीवारें ऊंचाई वाली हैं और बाकी सभी सैन्य शिविरों की दीवारें इतनी ही ऊंची हैं जिन्हें आसानी से फांदा जा सकता था। हालांकि 8 अगस्त 2006 को राज्य पुलिस के जवानों ने नगरोटा के जगती गांव में दो आतंकियों को मार गिराया था लेकिन उस घटना को भूला दिया गया था।
 
याद रहे नगरोटा में सेना के 16वीं कोर मुख्यालय के पास स्थित सैन्य शिविर पर 29 नवम्बर को आतंकियों के साथ आठ घंटे चली मुठभेड़ में सेना के 2 अधिकारी और 5 जवान शहीद हो गए थे। हमले में 3 आतंकी भी मारे गए थे। सैन्य इकाई नगरोटा में कोर मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
 
हमले के तुरंत बाद सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि आतंकियों ने ग्रेनेड फेंककर और जवानों पर गोलीबारी कर अधिकारियों के मेस में घुसपैठ की थी। बहरहाल सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने यहां एक समारोह के इतर कहा कि घटना की जांच जारी है और अंतिम रिपोर्ट में हर बात स्पष्ट हो जाएगी।
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