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Last Modified: पटना , रविवार, 21 मई 2017 (08:54 IST)

मोदी सरकार के तीन साल, जदयू ने पूछे यह सात सवाल...

मोदी सरकार के तीन साल, जदयू ने पूछे यह सात सवाल... - Modi govt three years, JDU asks 7 questions
पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 26 मई को भाजपा सरकार के तीन साल पुरे होने जा रहे हैं। इस अवसर पर सभी मोदी सरकार के काम की समीक्षा अपनी तरह से कर रहे हैं। बिहार में सत्ताधारी जदयू ने भी केंद्र नरेन्द्र मोदी सरकार से इन सात 7 सवालों का जवाब मांगा है।
 
पटना स्थित जदयू के प्रदेश कार्यालय में जदयू प्रवक्ता संजय सिंह, नीरज कुमार ने रविवार को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि 2 करोड़ नौकरियों का वादा करने वाली  भाजपा की केंद्र सरकार 20 हजार नौकरी भी नहीं दे पा रही है।
 
उन्होंने पूछा कि अनूसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों की भर्ती में 90  फीसदी की कमी आई है। मात्र 8,436 भर्तियां हुईं। क्या इसे पिछड़ा विरोधी न कहा जाए?  जदयू प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि देश के युवाओं को हसीन सपने दिखाने वाले लोग  रिक्त स्थानों पर भी भर्तियां नहीं कर रहे हैं? कुल सरकारी नौकरी में 89 प्रतिशत की कटौती  करते हैं, ऐसे में क्या इन्हें युवा विरोधी सरकार कहना गलत होगा? 
 
उन्होंने आरोप लगाया कि 6 महीने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सिर्फ 12,000 नौकरियां पैदा  हुई हैं जबकि इस सेक्टर लिए मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया का अभियान चलाया गया।  इस पर केंद्र सरकार का क्या कहना है? आईटी व अन्य निजी क्षेत्रों में भारी छंटनी चल रही  है जिसमें तकरीबन 10 लाख के निकाले जाने की संभावना है। कटौती को रोकने के लिए केंद्र  सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? 
 
जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि उनकी पार्टी ये सवाल राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं पूछ रही है,  बल्कि यह राष्ट्र निर्माण से जुड़ा सवाल है। बेरोजगार युवाओं से कैसे राष्ट्र निर्माण करेंगे?  कैसे बनेगा भारत विश्व शक्ति अगर हमारे देश के युवाओं को आगे बढ़ने का मौका नहीं ही  मिलेगा तो? 
 
जदयू प्रवक्ताओं ने यह भी पूछा कि क्या भाजपा कार्यकर्ताओं के बच्चों को सरकारी नौकरी  मिल रही है? उन्हें ये सवाल केंद्र सरकार से करना चाहिए की क्या भाजपा के सपनों में क्या  सिर्फ पूंजीपतियों को ही जगह मिलेगी? 
 
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 10 सालों में रोजगार सबसे निचले स्तर पर है। रोजगार की नीति नीचे पहुंच गई है। साल 2009 में 12.56 लाख लोगों को रोजगार मिला था और साल 2015 में  यह आंकड़ा 1.35 लाख रह गया। पिछले 4 साल से हर दिन 550 नौकरियां गायब होती चली  जा रही हैं। इस हिसाब से 2050 तक भारत में 70 लाख नौकरियों की कमी हो जाएगी।
 
जदयू प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि किसान, छोटे खुदरा, वेंडर, दिहाड़ी मजदूर और  इमारती मजदूरों के सामने जीवन का संकट खड़ा होता जा रहा है। (भाषा)
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