मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. miracle seen in the river ancient statue of lord vishnu like ramlala of ayodhya found
Last Modified: रायचूर , बुधवार, 7 फ़रवरी 2024 (17:05 IST)

चमत्कार, नदी से मिली रामलला जैसी मूर्ति, दशावतार भी हैं अंकित

मूर्ति के साथ शिवलिंग भी मिला

चमत्कार, नदी से मिली रामलला जैसी मूर्ति, दशावतार भी हैं अंकित - miracle seen in the river ancient statue of lord vishnu like ramlala of ayodhya found
कृष्णा नदी से मिली मूर्ति 
वेंकटेश्वर जैसी है यह मूर्ति 
मूर्ति के चारों ओर दशावतार
 
कर्नाटक के रायचूर जिले के एक गांव में कृष्णा नदी से हाल ही में भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति मिली है। इसमें सभी दशावतार को उसकी ‘आभा’ चारों ओर उकेरे हुए हैं। इस मूर्ति के साथ एक प्राचीन शिवलिंग भी मिला है। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह मूर्ति इस तथ्य को देखते हुए उल्लेखनीय है कि इस मूर्ति की विशेषताएं अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में हाल ही में प्रतिष्ठित ‘रामलला’ की मूर्ति से मिलती जुलती हैं।
 
दशावतार का वर्णन : रायचूर यूनिवर्सिटी में प्राचीन इतिहास और पुरातत्व के लेक्चरर डॉ. पद्मजा देसाई ने विष्णु की इस मूर्ति के बारे में बताया कि कृष्णा नदी बेसिन में पाई गई इस विष्णु मूर्ति में कई खास विशेषताएं हैं। उन्होंने कहा कि इस में भगवान विष्णु के चारों ओर की आभा मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिम्हा, वामन, राम, परशुराम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि जैसे ‘दशावतार’ को दर्शाया गया है।
 
क्या हैं विशेषताएं : मूर्ति की विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि इस मूर्ति में विष्णु खड़ी अवस्था में हैं और उनकी चार भुजाएं हैं। उनके दो ऊपरी हाथों में ‘शंख’ और ‘चक्र’ हैं, वहीं दो निचले हाथ (‘कटि हस्त’ और ‘वरदा हस्त’) वरदान देने की स्थिति में हैं।
 
गरूड़ की जगह महिलाएं : प्रसिद्ध पुरातत्वविद ने कहा कि यह मूर्ति वेंकटेश्वर से मिलती जुलती है, जैसा कि शास्त्रों में बताया गया है। हालांकि, इस मूर्ति में गरुड़ नहीं है, जो आमतौर पर विष्णु की मूर्तियों में पाया जाता है। इसके बजाय दो महिलाएं हैं। उन्होंने बताया, ‘चूंकि भगवान विष्णु को सजावट का शौक है, इसलिए मुस्कुराते हुए विष्णु की इस मूर्ति को मालाओं और आभूषणों से सजाया गया है।
 
डॉ. देसाई ने कहा कि यह मूर्ति किसी मंदिर के गर्भगृह की शोभा रही होगी। ऐसा प्रतीत होता है कि मंदिर को नुकसान पहुंचाने के दौरान इसे नदी में फेंका गया होगा. उनका मानना ​​है कि यह मूर्ति ईसा पश्चात 11वीं या 12वीं शताब्दी की है। इनपुट भाषा  (Photo courtesy : Twitter)
ये भी पढ़ें
सिलक्यारा-बारकोट सुरंग में 2019 में न कोई हिस्सा धंसा था, न कोई गुहा बनी थी : नितिन गडकरी