Mayawati gets angry, warns to resign from Rajyasabha
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Last Updated :नई दिल्ली , मंगलवार, 18 जुलाई 2017 (12:49 IST)
मायावती को आया गुस्सा, दी इस्तीफे की धमकी...
नई दिल्ली। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा में सहारनपुर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सहारनपुर घटना केंद्र की साजिश थी। इसके बाद हंगामा होने लगा और मायावती ने उपसभापति को कहा कि आप मुझे बोलने नहीं देंगे तो मैं सदन से इस्तीफा दे देती हूं।
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान अपनी बात नहीं रखने देने से बिफरी सुश्री मायावती ने सदन से बहिर्गमन के बाद कहा कि मैंने स्थगन प्रस्ताव के तहत नोटिस दिया था जिसमें बोलने के लिए तीन मिनट की कोई सीमा नहीं होती। जब मैंने सहारनपुर जिले के सबीरपुर गांव का मामला उठाने की कोशिश की तो सत्ता पक्ष के सदस्य खड़े होकर हंगामा करने लगे और मुझे नहीं बोलने दिया गया।
यदि मैं दलितों-वंचितों का मामला सदन में नहीं उठा सकती तो मेरा राज्यसभा में आने का क्या फायदा। इसलिए मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि वह आज ही अपना इस्तीफा सौंप देंगी।
सुश्री मायावती ने आरोप लगाया कि जब से भाजपा की सरकार सत्ता में आई है, पूरे देश में दलितों, पिछड़ों, मुस्लिमों, इसाइयों, किसानों, मजदूरों और मध्यम वर्ग का शोषण हो रहा है। आंध्रप्रदेश में रोहित वेमुला कांड और गुजरात में उना कांड हुआ। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से लगातार दलितों पर कभी गोरक्षा के नाम पर तो कभी किसी अन्य बहाने से हमले हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सबीरपुर में प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में दलितों का उत्पीड़न किया गया। उनके 60 से 70 घर जला गए दिए गए, माताओं-बहनों का उत्पीड़न किया गया। उन्होंने कहा कि पहले उन्हें हेलीकॉप्टर से वहां जाने की इजाजत नहीं दी गई। सड़क मार्ग से जाने पर भी जगह-जगह उनके लिए दिक्कत पैदा की गई। उनके पास जेड प्लस की सुरक्षा होने के बावजूद उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि उन्होंने वहां किसी प्रकार की भड़काने वाली बात नहीं की। मैंने लोगों से भाईचारे से रहने की अपील की जो सरकार को अच्छा नहीं लगा। सुश्री मायावती ने आरोप लगाया कि जिन लोगों के घर जल गए थे और जो घायल हुए थे उन्हें आर्थिक मदद के लिए ड्राफ्ट सौंपने से भी जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने उन्हें मना कर दिया। हालांकि, 15-16 दिन बाद उन्हें आर्थिक मदद की अनुमति दी गई।
सुश्री मायावती ने कहा कि पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। कोई भी वर्ग सुरक्षित नहीं है, लेकिन दलितों को विशेष तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी सरकार के रहते, ऐसे हाउस में जहां मुझे बोलने ही नहीं दिया जा रहा है, मेरे आने का कोई फायदा नहीं है।
उन्होंने कहा कि संसद दबे-कुचले लोगों के मुद्दे उठाने के लिए है। स्वयं बाबा साहब अंबेडकर को भी हिंदू कोड विधेयक नहीं रखने दिया गया था और उन्हें भी कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था और फिर मीडिया में आकर अपने इस्तीफे का कारण बताना पड़ा था। उनकी अनुयायी होने के कारण मैंने भी इस्तीफा देने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि सुश्री मायावती का राज्यसभा का छह साल का कार्यकाल मार्च 2018 में समाप्त हो रहा है। (वार्ता)