उत्तरप्रदेश के शहर मथुरा में जवाहर बाग़ में अतिक्रमण हटाने गए पुलिस प्रशासन के दस्ते पर तमंचो, राइफलों और देशी बमो से हमला करने वाले सत्याग्रहियों की असली कहानी सुनेंगे तो चौंक जाएंगे आप।
जी हाँ सत्याग्रह के नाम पर दो दिनों के धरने पर बैठे स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन के तथाकथित सत्याग्रहियों ने मथुरा प्रशासन से दो दिनों के लिए जवाहर बाग़ में धरने की अनुमति ली थी। इस दल के नेता है मप्र के सागर के रामवृक्ष यादव, बताया जाता है की पहले यह जय गुरुदेव के अनुयायी थे लेकिन बाद में इन्होंने खुद का दल बना लिया। जिन मांगो के लिए ये सत्याग्रह करने पर तुले है वे जान कर आपको इनकी बुद्धि और सोच पर तरस आएगा। इनकी मांगे है की भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के चुनाव रद्द किए जाएं। 1 रूपए में 40 लीटर पेट्रोल और 1 रुपए में 60 लीटर डीजल दिया जाए।
इन बेतुकी मांगों के सहारे करीब 2000 लोगो ने जवाहर बाग़ पर कब्जा कर लिया और वहां के दफ्तरों और अन्य इमारतों को भी हथिया लिया। देखते ही देखते यहां मप्र, यूपी से 2-3 हजार लोग और आ गए। इन्होंने जवाहर बाग को जमकर नुकसान पहुंचाया। पेड़ काट दिए, किसी को अंदर आने की अनुमति नहीं दी जाती थी। बताया जाता है की यहां कई तरह के अवैध काम भी चलते थे। प्रशासन ने यह भी दावा किया कि इनके साथ कुछ नक्सली भी मिले हुए थे।
कब्जा हटाने के अदालत के आदेश के बावजूद विरोध की वजह से जमीन खाली नहीं कराई जा सकी थी। हाल ही में हाईकोर्ट ने प्रशासन को जगह खाली कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद हुई कार्यवाही में एसपी और एसओ समेत 22 लोगों की मौत हुई।
अगले पन्ने पर... जानिए कौन थे शहीद एसपी मुकुल द्विवेदी...
मथुरा में शहीद हुए मुकुल द्विवेदी औरैया जिले के विधूना थाने में मानी कोठी के रहने वाले हैं। एक भाई दुबई में नौकरी करता है। घर पर माता पिता व एक नौकर है। 280 एकड़ में फैले जवाहर बाग पर एक गैर सरकारी संगठन के लोगों ने सत्याग्रह के नाम पर कब्जा जमा रखा था।
हाईकोर्ट ने जवाहर बाग को खाली कराने के आदेश दिए थे लेकिन जमीन खाली कराने गई पुलिस पर बाग में कब्जा जमाए लोगों की तरफ से भारी गोलीबारी की गई। करीब 5 घंटे तक बाग के अंदर से पुलिस पर गोलीबारी होती रही और रात करीब 10 बजे पुलिस ने बाग पर कब्जा किया और सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया।
बताया जाता है कि एसपी और कलेक्टर में इस कार्रवाई को लेकर मतभेद था, कलेक्टर शनिवार को कार्रवाई चाहते थे पर एसपी ने इसे गुरुवार को ही ऑपरेशन शुरू कर दिया।
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जैसे ही पुलिस अतिक्रमण हटाने पहुंची तकरीबन 280 एकड़ में फैले जवाहर बाग के कई हिस्सों में उपद्रवियों ने आग लगा दी। देखते ही देखते उपद्रवियों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी। पुलिस को संभलने का मौका ही नहीं मिला और ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे एसपी मुकुल द्विवेदी शहीद हो गए। एसओ संतोष यादव की मौत हो गई है। फायरिंग में 19 उपद्रवियों की भी मौत हुई है। 12 पुलिसवाले जख्मी हुए हैं जबकि 40 से अधिक लोग घायल हैं।
हालांकि बाद में जवाहर बाग को खाली करा लिया गया। बाद में तलाशी के दौरान अंदर से भारी मात्रा में हथियार मिले हैं। मौके पर अतिरिक्त पुलिस बल को भेजा गया है। सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मामले की जांच के भी आदेश दे दिए गए हैं।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से फोन पर बात की और शहीद हुए पुलिस अधिकारियों के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। राजनाथ सिंह ने अखिलेश को केंद्र की तरफ से हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
अगले पन्ने पर... कौन है रामवृक्ष यादव...
रामवृक्ष यादव बाबा जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका है। उसने जयगुरुदेव के विरासत के लिए भी दावेदारी की कोशिश की थी। वहां समर्थन न मिलने पर रामवृक्ष अलग गुट बनाकर मथुरा के जवाहरबाग में 270 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया।
वह 2014 में करीब 200 लोगों के साथ मथुरा आया था और इसने प्रशासन से यहां रहने के लिए दो दिन की इजाजत ली थी। लेकिन दो साल बाद भी वो यहां से हटा नहीं। शुरुआत में वो यहां एक छोटी सी झोपड़ी बना कर रहता था, धीरे-धीरे यहां पर और झोपड़ियां बनीं, इसके बाद उसने 270 एकड़ में अपनी सत्ता चलाने लगा। वह इतना ताकतवर हो गया कि प्रशासन भी उसका कुछ नहीं कर पा रहा था।
मथुरा में 2014 से लेकर 2016 तक उस पर 10 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं। जिसमें पुलिस अधिकारयों पर हमला, सराकरी संपत्ति पर अवैध कब्जा शामिल है। हादसे के बाद से ही रामवृक्ष फरार है और पुलिस उन्हें जगह-जगह तलाश रही है।