वह एक सुंदर बाघिन थी...दाढ़ में इंसानी खून लगने से और खूंखार हो गई थी। इंसानी खून की यही भूख उसे धीरे-धीरे मौत के करीब आई थी। यवतमाल इलाके में यह बाघिन दहशत का पर्याय बन गई थी। शुक्रवार रात को यवतमाल जिले के पांढरकवड़ा के वन क्षेत्र में आदमखोर बाघिन अवनि (टी-1) को मार दिए जाने पर लोगों ने जश्न मनाया। अवनि के लिए सेना की तरह अभियान चलाया गया था। उसे ढूंढने के लिए 6 लाख का शिकारी कुत्ता और अमेरिका से विशेष मेल परफ्यूम मंगाया गया था।
खबरों के मुताबिक खौफ का पर्याय बन चुकी अवनि ने 14 लोगों को अपना शिकार बना लिया था। एक ओर जहां अवनि को खत्म करने के लिए वन विभाग की 200 लोगों की टीम लगी थी, वहीं दूसरी ओर अवनि को बचाने के लिए प्रयत्न और सेव द टाइगर एनजीओ ने 'लेट अवनि लिव' अभियान चलाया था। नरभक्षी बन चुकी अवनि को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया गया, लेकिन कानून ने 'आदमखोर' बाघिन पर हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखा। अवनि को पकड़ने या मारने के लिए सेना की तरह अभियान चलाया गया था। इतना ही नहीं अवनि को ढूंढने के लिए 6 लाख का शिकारी कुत्ता और अमेरिका से विशेष मेल परफ्यूम मंगाया गया था।
इंसानों और जानवरों को बनाया अपना शिकार : एक जानकारी के अनुसार अवनि (बाघिन) ने 1 जून, 2016 से अब तक 4 लोगों की जान ले ली थी। इसके अलावा उसने कई घोड़ों और गायों को भी अपना शिकार बनाया था।
नरभक्षी थी अवनि, जांचों से हुई पुष्टि : डीएनए जांच, कैमरा ट्रैप्स और पंजों के निशानों के चलते जांचकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि पांच साल की यह मादा बाघ अब आदमखोर हो गई है और मानव मांस के लिए शिकार कर रही है।
कोर्ट को बदलना पड़ा आदेश : वन्यजीव प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे की भोपाल स्थित एनजीओ 'प्रयत्न' और सेव टाइगर कैंपेन के सिमरत सिंधु ने बाघिन को शूट करने के वन विभाग के आदेश को पहले बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बैंच में चुनौती दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बाघिन (टी-1) को गोली मारने के आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन कुछ ही महीनों बाद उसने फिर दो लोगों को मार दिया, जिसके बाद उसे गोली मारने का आदेश जारी किया गया।
इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर में इस दया याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस केएम जोसफ की बेंच के समक्ष दायर की गई थी। ऐसा पहली बार हुआ जब बाघिन को बचाने के लिए याचिका दायर की गई।
200 लोगों की टीम ने किया पकड़ने का प्रयत्न : यवतमाल जिले में इस बाघिन को पकड़ने के लिए वन विभाग के अधिकारियों समेत कुल 200 लोगों की टीम सर्च ऑपरेशन चला रही थी। इस ऑपरेशन में 4 हाथियों और वन्यजीव पशु चिकित्सा विशेषज्ञों की एक टीम को भी लगाया गया था। मेल परफ्यूम का इस्तेमाल : अवनि को आकर्षित करने के लिए एक खास कंपनी का मेल परफ्यूम इस्तेमाल किया जा रहा था, ताकि वह उसकी गंध से सर्च टीम के करीब आए। यह खासतौर से अमेरिका से मंगवाया गया था। 2010 में छपी वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार एक खास तरह के परफ्यूम की गंध की वजह से दो तेंदुए 11 मिनट तक शिकार छोड़कर आसपास ही घूमते रहे थे।
पैराग्लाइडर्स और कुत्तों के जरिए अवनि की खोज : बाघिन को पकड़ने के लिए 100 कैमरे लगाए गए थे। गोल्फर ज्योति रंधावा के शिकारी कुत्तों और पैराग्लाइडर्स को भी अवनि को ढूंढने के काम में लगाया गया था। नरभक्षी बन चुकी बाघिन अवनि का क्षेत्र में इतना खौफ था कि उसे ढूंढने के लिए 6 लाख का शिकारी कुत्ता मंगवाया गया था।
शॉर्पशूटर की नियुक्ति पर विवाद : वन विभाग द्वारा इस काम के लिए हैदराबाद से शार्पशूटर नवाब शफात अली खान को बुलाया गया था। शफात के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 500 से अधिक जंगली जानवरों का शिकार किया है। शफात की नियुक्ति पर भी विवाद हुआ। शफात राज्य के वन विभाग द्वारा ऐसे मामले के लिए भले ही अधिकृत शार्प शूटर हैं लेकिन उनके गृह राज्य तेलंगाना के साथ कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ राज्यों ने उनके खिलाफ बैन लगा रखा है।
स्थानीय लोगों ने मनाई खुशियां : आदमखोर बाघिन के मारे जाने की सूचना मिलते ही यवतमाल के स्थानीय लोगों ने जश्न मनाया। लोगों ने पटाखे जलाकर और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मनाईं।
(Photo courtesy ANI)