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Last Updated : सोमवार, 27 जून 2022 (14:18 IST)

Maharashtra Crisis : मुखपत्र 'सामना' के जरिए शिंदे कैंप पर बरसी शिवसेना, बागियों को कहा 'नचनिया'

Maharashtra Crisis : मुखपत्र 'सामना' के जरिए शिंदे कैंप पर बरसी शिवसेना, बागियों को कहा 'नचनिया' - maharashtra crisis through mouthpiece saamana shiv sena attacked on shinde camp called rebels nachaniya
Maharashtra Crisis : महाराष्ट्र का सियासी संग्राम सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। इस बीच नेताओं के बीच जुबानी जंग भी जारी है। शिवसेना बागी विधायकों पर तीखे और निजी हमले करने में लगी हुई है और पार्टी के सांसद और प्रवक्ता संजय राउत लगातार बयान दे रहे हैं। इस बीच पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए बागियों पर एक बार फिर हमला किया है। सामना के संपादक संजय राउत ही हैं।
सामना में कहा गया है कि महाराष्ट्र के सियासी लोकनाट्य में केंद्र की डफली, तंबूरे वाले कूद पड़े हैं और राज्य के 'नचनिये' विधायक उनकी ताल पर नाच रहे हैं। इधर शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए दोपहर 2 बजे गुवाहाटी के होटल में बैठक बुलाई। बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई को भी होटल में ही देखेंगे। 
जिंदा लाश वाले बयान पर राउत की सफाई : बागी विधायकों को जिंदा लाश वाले बयान पर सफाई दी है। राउत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जो लोग 40-40 साल तक पार्टी में रहते हैं और फिर भाग जाते हैं, उनका ज़मीर मर गया है, तो उसके बाद क्या बचता है? ज़िंदा लाश। यह राममनोहर लोहिया साहब के शब्द हैं। मैंने किसी की भावना को ठेस पहुंचाने का काम नहीं किया, मैंने सत्य कहा है।

वाय प्लस सुरक्षा देने पर उठाए सवाल : महाराष्ट्र के शिवेसना के बागी विधायकों को केंद्र की ओर से 'वाई प्लस' सुरक्षा दिए जाने के बाद सोमवार को पार्टी ने दावा किया कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भाजपा ही यह सब 'तमाशा' कर रही है। शिवेसना के मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले पार्टी के बागी विधायकों पर आरोप लगाया गया है कि वे 50-50 करोड़ रुपये में 'बिक' गए हैं।
पार्टी ने दावा किया कि बागी विधायकों को वाई प्लस सुरक्षा मुहैया कराकर महाराष्ट्र के खिलाफ भाजपा की 'गद्दारी' का पर्दाफाश हो गया है। संपादकीय में कहा गया है कि केंद्र ने बैठक के तत्काल बाद बागी विधायकों को 'वाई प्लस' सुरक्षा प्रदान कर दी, जैसे कि वे 'लोकतंत्र के रक्षक' हों। 'सामना' में पूछा गया है कि क्या केंद्र सरकार को इस बात का डर था कि वे राज्य में वापस आने के बाद अपनी पार्टी में लौट जाएंगे? 
 
15 विधायकों को सुरक्षा : केंद्र सरकार ने रविवार को शिवसेना के कम से कम 15 विद्रोही विधायकों को सीआरपीएफ कमांडो के घेरे वाली 'वाई प्लस' सुरक्षा प्रदान की। अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि जिन विधायकों को सुरक्षा मुहैया कराई गई है, उनमें रमेश बोर्नारे, मंगेश कुदलकर, संजय शिरसत, लताबाई सोनवाने, प्रकाश सुर्वे और 10 अन्य विधायक शामिल हैं।

अधिकारियों ने कहा था कि महाराष्ट्र में रह रहे उनके परिवारों को भी सुरक्षा प्रदान की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, विधायकों के महाराष्ट्र लौटने के बाद प्रत्येक पाली में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के लगभग चार से पांच कमांडो उनकी सुरक्षा करेंगे।
वडोदरा में शाह से हुई थी मुलाकात : 'सामना' के संपादकीय में कहा गया है, ' भाजपा अंतत: बेनकाब हो गई। वे कह रहे हैं कि शिवसेना में विद्रोह आंतरिक मामला है।' संपादकीय में दावा किया गया है, 'वडोदरा में एकदास (एकनाथ) शिंदे और देवेंद्र फड़णवीस की गुप्त बैठक हुई थी। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे।' संपादकीय में कहा गया है, 'अब यह स्पष्ट हो गया है कि केंद्र और राज्य के भाजपा नेताओं ने ही इन अभिनेताओं (विद्रोही विधायकों) के लिए पटकथा लिखी है और वह पूरे तमाशे का निर्देशन कर रहे हैं।