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Last Modified: सोमवार, 22 मार्च 2021 (19:04 IST)

लोकसभा में बिल पास, LG की बढ़ेगी ताकत, केजरीवाल को लग सकता है झटका

लोकसभा में बिल पास, LG की बढ़ेगी ताकत, केजरीवाल को लग सकता है झटका - Lok Sabha passed National Capital Territory Governance (Amendment) Bill 2021
नई दिल्ली। लोकसभा ने राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 को सोमवार को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) की कुछ भूमिकाओं और अधिकारों को परिभाषित किया गया है। इस बिल को दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार के लिए झटका माना जा रहा है।

निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि संविधान के अनुसार दिल्ली विधानसभा से युक्त सीमित अधिकारों वाला एक केंद्र शासित राज्य है। उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा है कि यह केंद्र शासित राज्य है। सभी संशोधन न्यायालय के निर्णय के अनुरूप हैं।
 
उन्होंने कहा कि कुछ स्पष्टताओं के लिए यह विधेयक लाया गया है, जिससे दिल्ली के लोगों को फायदा होगा और पारदर्शिता आएगी। उन्होंने कहा कि इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं लाया गया और तकनीकी कारणों से लाया गया है ताकि भ्रम की स्थिति नहीं रहे।
 
मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। गृह राज्य मंत्री ने कहा कि दिसंबर, 2013 तक दिल्ली का शासन सुचारु रूप से चलता था और सभी मामलों का हल बातचीत से हो जाता था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में विषयों को लेकर उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय में जाना पड़ा क्योंकि कुछ अधिकारों को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी।
 
गृह राज्यमंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि मंत्रिपरिषद के फैसले, एजेंडा के बारे में उपराज्यपाल को सूचित करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि कुछ विषयों पर कुछ स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। इनके अभाव में दिल्ली के लोगों पर असर हो रहा है। दिल्ली का विकास भी प्रभावित होता है। यह जरूरी है कि प्रशासनिक अस्पष्टताओं को समाप्त किया जाए ताकि दिल्ली के लोगों को बेहतर प्रशासन मिल सके।
 
रेड्डी ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश है। यह सभी लोगों को समझना चाहिए कि इसकी सीमित शक्तियां हैं। इसकी तुलना किसी अन्य राज्य से नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए किसी से कोई अधिकार नहीं छीना जा रहा है। पहले से ही स्पष्ट है कि राष्ट्रपति केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक के रूप में दिल्ली के उपराज्यपाल को नियुक्त करते हैं। अगर कोई मतभेद की स्थित हो तब विषय को राष्ट्रपति के पास भेजा जा सकता है।
 
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, इस विधेयक में दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में ‘सरकार’ का आशय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल से होगा। इसमें दिल्ली की स्थिति संघ राज्य क्षेत्र की होगी जिससे विधायी उपबंधों के निर्वाचन में अस्पष्टताओं पर ध्यान दिया जा सके। इस संबंध में धारा 21 में एक उपधारा जोड़ी जाएगी।
 
इसमें कहा गया है कि विधेयक में यह भी सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है कि उपराज्यपाल को आवश्यक रूप से संविधान के अनुच्छेद 239क के खंड 4 के अधीन सौंपी गई शक्ति का उपयोग करने का अवसर मामलों में चयनित प्रवर्ग में दिया जा सके।
 
विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि उक्त विधेयक विधानमंडल और कार्यपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों का संवर्धन करेगा तथा निर्वाचित सरकार एवं राज्यपालों के उत्तरदायित्वों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के शासन की संवैधानिक योजना के अनुरूप परिभाषित करेगा।
 
दिल्ली के लोगों को फायदा होगा : वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बी. चंद्रशेखर ने कहा कि इस विधेयक से दिल्ली की निर्वाचित सरकार और उपराज्यपाल की शक्तियों का स्पष्ट रूप से बंटवारा हो सकेगा, जिससे दिल्ली के लोगों को फायदा होगा।
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