क्या लोकसभा चुनाव 2019 से पहले टूट जाएगा NDA...?
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय राजनीति के समीकरण भी बदल रहे हैं। आने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए सियासी हलचलें तेज हो गई हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन के बाद एनडीए (NDA) से सहयोगी दलों का मोहभंग हो जा रहा है। चन्द्रबाबू नायडू भी पहले ही एनडीए का साथ छोड़कर यूपीए का दामन थाम चुके हैं। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या लोकसभा 2019 के चुनावों से पहले ही एनडीए बिखर जाएगा? भाजपा से सहयोगी शिवसेना पहले ही नाराज चल रही है।
2014 में बीजेपी को पूर्ण जनादेश मिला था, लेकिन इस बार उसके सहयोगी ही उसकी नैया को पार लगा सकते हैं इसलिए उसे अपने सहयोगियों से तालमेल बैठाना होगा, वरना 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे महागठबंधन की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
बिहार में पिछले दिनों ही राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए छोड़ने का ऐलान किया था। लोकसभा चुनाव में विरोधी दलों के प्रस्तावित गठबंधन की कवायद को बिहार से ताकत मिल सकती है। कुशवाहा कांग्रेस नेताओं से मुलाकात भी कर चुके हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल 3 राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने के बहाने उपेंद्र कुशवाहा से मिले थे। राजद और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर पहले से सहमति है। मांझी भी महागठबंधन का हिस्सा बनने पर अपनी सहमति दे चुके हैं।
दिल्ली में गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ राजद नेता तेजस्वी यादव, रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा और हिन्दुस्तान आवामी मोर्चा के जीतनराम मांझी की बैठक में रालोसपा औपचारिक रूप से बिहार के महागठबंधन में शामिल होने का ऐलान कर सकती है। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव के लिहाज से सीटों की साझेदारी को लेकर चर्चा भी हो सकती है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इसे आरंभिक चर्चा के रूप में देखा जाना चाहिए। अभी किसी फॉर्मूले को लेकर हम नहीं बैठेंगे, लेकिन बिहार में भाजपा-जदयू की अगुवाई वाले एनडीए को हराने के मकसद से समान विचारधारा वाले दलों की एकजुटता दिखेगी। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बिहार में गठबंधन होना तय है। फिलहाल एक साथ आने को तैयार दलों में बातचीत होगी। बाद में इसका दायरा बढ़ भी सकता है।
क्या लोजपा भी छोड़ देगी साथ : लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के रास्ते पर चलते दिखाई दे रहे हैं। बुधवार को एक निजी चैनल के कार्यक्रम में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रशंसा कर केंद्र सरकार पर भी तंज कसा। फिर कहा कि घर की बात घर में ही रहनी चाहिए, उन्हें ज्यादा सीटें नहीं चाहिए।
लोजपा के बिहार अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने भाजपा को 31 दिसंबर तक सीटों का बंटवारा कर लेने का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि पहले से कम सीटें उन्हें मंजूर नहीं। एक चैनल पर चिराग ने एक सवाल पर कहा कि राहुल गांधी बड़े नेता हैं। हाल के दिनों में उनमें कई सकारात्मक बदलाव आए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सबके विकास के लिए जो योजनाएं बनीं, उनमें से कई तो धरातल पर उतरी ही नहीं।