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Last Modified: अवंतिपुरा , रविवार, 18 जून 2017 (08:10 IST)

अंतिम विदाई के वक्त याद आया शहीद का यह फेसबुक पोस्ट, नम हुई आंखें..

अंतिम विदाई के वक्त याद आया शहीद का यह फेसबुक पोस्ट, नम हुई आंखें.. - last procession of martyr remembered his facebook post
अवंतिपुरा। जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में अचाबल में संदिग्ध लश्कर आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में शहीद हुए छह पुलिसकर्मियों में शामिल फिरोज अहमद डार (32) को शुक्रवार रात पुलवामा जिले के डोगरीपुरा गांव स्थित उनके परिवार के पैतृक कब्रिस्तान में दफना दिया गया। डार के परिवार और मित्र जब उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी कर रहे थे, तो उन्हें डार द्वारा 18 जनवरी 2013 को लिखे गए शब्द याद आ रहे थे।
 
डार के परिवार और मित्र जब उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी कर रहे थे, डार द्वारा 18 जनवरी 2013 को लिखे गए शब्द सभी को याद आ रहे थे। उन्होंने लिखा था, 'क्या आपने एक पल के लिए भी रूककर स्वयं से सवाल किया कि मेरी कब्र में मेरे साथ पहली रात को क्या होगा? उस पल के बारे में सोचना जब तुम्हारे शव को नहलाया जा रहा होगा और तुम्हारी कब्र तैयार की जा रही होगी।'
 
डार ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा था, 'उस दिन के बारे में सोचो जब लोग तुम्हें तुम्हारी कब्र तक ले जा रहे होंगे और तुम्हारा परिवार रो रहा होगा..उस पल के बारे में सोचो जब तुम्हें तुम्हारी कब्र में डाला जा रहा होगा।'
 
डार के गांव के लोगों की आंखें नम थीं। ग्रामीण डार को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उनके घर के बाहर एकत्रित हुए थे। डार की दो पुत्रियां, छह वर्षीय अदाह और दो वर्षीय सिमरन नहीं समझ पा रही थीं कि अचानक उनके घर के बाहर लोग क्यों जमा हुए हैं। डार की पत्नी मुबीना अख्तर और उनके वृद्ध माता पिता चिल्ला रहे थे और अपनी छाती पीट रहे थे।
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