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Last Updated : गुरुवार, 18 मई 2017 (19:47 IST)

कुलभूषण जाधव मामला, यदि पाकिस्तान नहीं माना तो...

कुलभूषण जाधव मामला, यदि पाकिस्तान नहीं माना तो... - Kulbhushan Jadhav case
भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में मुंह की खाई है, लेकिन भारत का यह पड़ोसी देश आसानी से मान जाएगा ऐसा लगता नहीं है। हेग कोर्ट के फैसले के तत्काल बाद पाकिस्तान की टिप्पणी भी आ गई, जिसमें कहा गया कि उसे यह फैसला मंजूर नहीं है। उसने तो कोर्ट की प्रक्रिया पर ही यह कहकर सवाल खड़ा कर दिया कि उसे इसकी सुनवाई का अधिकार नहीं है। 
 
यदि पाकिस्तान नहीं माने तो... : अगर पाकिस्तान कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए अपने अड़ियल रवैये पर कायम रहता है तो भारत के पास सुरक्षा परिषद में जाने का रास्ता भी है। संयुक्त राष्ट्र का अधिकार-पत्र (जिसे इसका संविधान माना जाता है) के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र का हर सदस्य अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस का फैसला मानने के लिए बाध्य है। यदि कोई सदस्य देश ऐसा नहीं करता है तो दूसरा पक्ष रखने वाला देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मदद ले सकता है।
 
यह भी कहा जाता है कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का फैसला घरेलू अदालतों के फैसलों की तरह अनिवार्य रूप से लागू नहीं किया जा सकता। यह फैसले से जुड़े देशों पर भी है कि वे इस फैसले को मानते हैं या नहीं। ऐेसे में यदि पाकिस्तान इस फैसले को नहीं मानता तो सुरक्षा परिषद में जाकर पाकिस्तान पर प्रतिबंध की मांग कर सकता है। 
 
हालांकि यह राह भी आसान नहीं दिखाई देती क्योंकि सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान को चीन का अंध समर्थन प्राप्त है। क्योंकि चीन का पिछला रिकॉर्ड देखें तो उसने भारत के खिलाफ जाकर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का समर्थन कर आतंकवाद के ही हाथ मजबूत किए हैं। ऐसे में यह उम्मीद करना बेमानी होगा कि वह पाकिस्तान का साथ नहीं देगा। 
 
अगस्त 1999 में पाकिस्तान पहुंचा था अंतरराष्ट्रीय कोर्ट : इससे पहले 10 अगस्त 1999 को पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में दस्तक दी थी, जब भारतीय वायुसेना ने कच्छ (गुजरात) में एक पाकिस्तानी समुद्री टोही विमान अटलांटिक को सीमा में घुसकर निरीक्षण करते समय मार गिराया था। इसमें पाकिस्तान के 16 नौसैनिक मारे गए थे। 
 
उस समय अंतरराष्ट्रीय कोर्ट की 16 सदस्यीय पीठ ने 21 मई, 2000 को 14-2 मतों से पाकिस्तान  के दावे को खारिज कर दिया था। यह फैसला कोर्ट का अंतिम आदेश था, जिसके खिलाफ फिर से अपील करने का भी कोई प्रावधान नहीं था। हालांकि यह मामला मात्र 4 दिन में ही खत्म हो गया।

विदेश नीति के जानकारों का मानना है कि यदि कुलभूषण मामला सही तरीके से नहीं सुलझा तो सीमा पर भी तनाव का कारण भी बन सकता है क्योंकि जिस तरह से पाकिस्तान भारतीय राजनयिकों को कुलभूषण से नहीं मिलने दे रहा है, उससे कहीं न कहीं उसकी नीयत में ही खोट नजर आता है।