टीम वेबदुनिया
दशहरा-दिवाली की तरह मकर संक्रांति का त्योहार भी कोरोना ने बिगाड़ दिया है। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए प्रशासन ने सार्वजनिक स्थानों पर पतंगबाजी करने पर रोक लगा दी है। साथ ही हिदायत दी है कि 50 से अधिक लोग पतंगबाजी के लिए एक स्थान पर एकत्र नहीं हो पाएंगे।
कोरोना के कारण बाजार में वह चहल-पहल नहीं है जो महीनेभर पहले देखने को मिलती थी। इस बार अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव भी रद्द होने से कारखानों में पतंग का उत्पादन कम हुआ है। यही कारण है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पतंग की कीमतें 20 से 25 फीसदी तक बढ़ गई हैं। यही स्थिति मांझे के साथ भी है।
एक बंडल पर हजार रुपए बढ़े : अहमदाबाद के पतंग बाजार का नाम रायपुर है, वहां के पतंग व्यापारी मनीष भाई ने बताया कि महामारी के कारण कारखानों में पतंगें कम बनी हैं। कारखाने वालों को आशंका थी कि अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव रद्द हो गया तो माल कारखानों में ही पड़ा रहेगा। अब जो माल उपलब्ध है, होलसेल व्यापारियों ने उसके दाम बढ़ा दिए हैं।
पिछले वर्ष 1,000 पतंग का बंडल व्यापारियों को 2,500 से 2,800 रुपए में मिलता था, वहीं बंडल अब 3,500 से 3,800 रुपए में मिल रहा है यानी इस बंडल पर सीधे 1,000 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, पतंग का धागा यूपी से आता था, किंतु यूपी के माल की सप्लाय कम होने से चकरी-धागा के रेट भी बढ़ गए हैं।
रिटेलर की स्थिति भी खराब : यही स्थिति पतंग बाजार के रिटेल व्यापारियों की भी है। अहमदाबाद की रिटेलर लीला बेन ने बताया कि इस बार ग्राहकी हर साल की तरह नहीं है। पहले तो दिवाली से ही पतंग बाजार में रौनक आ जाती थी, लेकिन इस बार जनवरी का प्रथम सप्ताह बीत जाने के बाद भी ग्राहकी कमजोर है।
इस बार खिलौने वाली पतंगों का मार्केट भी ठंडा है। दूसरी ओर रात का कर्फ्यू होने के कारण त्योहार की रौनक फीकी पड़ गई है, क्योंकि गुजरात में रात के समय पतंग व धागे की बिक्री खूब होती है। यहां रिवाज है कि लोग झुंड के रूप में रात दो-तीन बजे तक पतंग व चकरी-धागा खरीदते हैं। वहीं चाट, नाश्ता कर मस्ती के साथ पतंग व धागा लेकर लौटते हैं, लेकिन कर्फ्यू के चलते सब बंद है।
अन्य राज्यों व विदेश से नहीं आएंगे मेहमान : गुजरात में मकर संक्रांति के दौरान पतंग महोत्सव देखने, रिश्तेदारों की छत से पतंगबाजी करने के लिए देश के अन्य राज्यों से मेहमान आते हैं। वहीं, विदेश से आने वाले भी हजारों की संख्या में होते हैं। इसके चलते एक महीने पहले ही शहर के प्रमुख क्षेत्रों में स्थित घरों की छतें बुक हो जाती हैं।
इन छतों का दो दिन का किराया अंदाजन 15 से लेकर 25 हजार रुपए तक होता है। यानी कि दो दिन के लिए आप रिश्तेदारों-दोस्तों के साथ पतंगबाजी कर सकते हैं। इस दौरान छत किराए से देने वाला आपको पतंग, धागा, खाना, नाश्ता और चाय सब मुफ्त में देता है। यानी आप छत बुक कराकर सीधे पतंग उड़ने पहुंच जाएं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते कोई छत बुक नहीं हुई है।
ऐसा है कोरोना का डर : अहमदाबाद का कोट एरिया (पुराना शहर) हर तरह के त्योहार के आकर्षण का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यानी किसी भी त्योहार का पूर्ण आनंद लेना हो तो कोट एरिया में चले जाएं। इस वर्ष यहां के लोग बाहरी लोगों को छत किराए पर देना नहीं चाहते। उन्हें डर है कि कहीं कोई कोरोना संक्रमण लेकर न आ जाए। वहीं, बाहरी लोग भी इसी डर से छत लेने नहीं आ रहे हैं कि कहीं वे कोरोना प्रभावित के संपर्क में न आ जाएं। यही कारण है कि इस बार संक्रांति पर दिन में पतंगबाजी और रात में आतिशबाजी का आनंद लेते हुए जो एनआरआई दिखते थे, वे इस बार नजर नहीं आएंगे। (फोटो : वृषिका भावसार)