श्रीनगर। कश्मीर आने के लिए कोई भी कारण दिमाग में रखा जा सकता है। धरती पर जन्नत देखनी है तो कश्मीर, अप्रैल-मई के अंत तक बर्फ देखनी है तो कश्मीर, झीलों के पानी पर तैरते हाउसबोटों और शिकारों में बैठकर चांदनी रात में चांद को निहराना है तो भी कश्मीर। और न जाने कितने कारण हैं जिनकी गिनती करते-करते आप थक जाएंगे।
माना कि वर्ष 1989 के मध्य में शुरू हुए पाक प्रायोजित आतंकवाद ने कश्मीर को पर्यटन स्थलों की सूची से कभी दूर कर दिया था, पर आंकड़े बताते हैं कि बमों के धमाकों और गोलियों की बरसात के बीच भी कश्मीर आने वालों के कदम कभी रुके नहीं थे। आखिर रुकते भी कैसे, क्योंकि कश्मीर में आतंकवाद का जितना डर आज बाकी है उससे कहीं ज्यादा तो देश के बड़े-बड़े शहरों में है। अब इक्का-दुक्का घटना को नजरअंदाज किया जाने लगा है सिर्फ स्थानीय लोगों द्वारा ही नहीं बल्कि कश्मीर आने वाले लाखों पर्यटकों द्वारा भी।
कश्मीर आने वालों का आकर्षण सिर्फ बर्फ ही नहीं है बल्कि सारा साल कश्मीर आने वालों का अब तांता लगा रहता है। देशभर में जब गर्मियां अपने यौवन पर होती हैं तो पहाड़ों की ठंडक लेने की खातिर कश्मीर वादी की ओर मुड़ने वाले पर्यटकों के कदम जल्द वापस जाने को तैयार ही नहीं होते। यही कारण है कि 2-4 दिन का कार्यक्रम बनाकर कश्मीर आने वाले अक्सर अपने कार्यक्रम में बदलाव कर इसे अब 7 से 8 दिनों तक ले जाने लगे हैं। कारण स्पष्ट है कि कश्मीर में सिर्फ राजधानी शहर श्रीनगर ही खूबसूरत नहीं है बल्कि खूबसूरत और रमणीक स्थलों की सूची बहुत लंबी है।
कश्मीर में अनेक ऐसे स्थान हैं जिनका चक्कर लगाए बगैर कश्मीर की यात्रा पूरी नहीं हो सकती। श्रीनगर शहर को ही अगर अच्छी तरह से देखना हो या फिर विश्वप्रसिद्ध डल झील में ही नौका विहार या हाउसबोट का मजा लेना हो तो 2 दिन भी कम पड़ते हैं। ऐसे में कश्मीर आकर बर्फ का नजारा लेने के लिए गुलमर्ग की सैर किए बिना धरती के स्वर्ग की यात्रा कभी पूरी नहीं हो सकती।
विश्व के प्रसिद्ध हिल स्टेशनों में गुलमर्ग एक माना जाता है। अगर सोनमर्ग को सोने की घाटी कहा जाता है तो इसे फूलों की घाटी कहा जा सकता है और यहीं पर देश के सर्दियों की खेलें होती हैं, क्योंकि यह अपनी बर्फ के लिए भी प्रसिद्ध है। हालांकि सारा साल आप जहां जा सकते हैं लेकिन अक्टूबर से मार्च का मौसम सबसे बढ़िया रहता है।
गुलमर्ग में अब तो बर्फ के नजारे लगभग सारा साल ही रहने लगे हैं, क्योंकि गंडोला के कारण आने वाले पर्यटक भारत-पाक नियंत्रण रेखा के करीब तक जा सकते हैं, जहां सारा साल बर्फ ही बर्फ होती है। यह तो कुछ भी नहीं, मौसम के बदलते मिजाज के कारण अक्सर जून में भी गुलमर्ग में बर्फबारी का नजारा लिया जा सकता है।
एक समय था कि भयानक सर्दी के मौसम में गुलमर्ग आने वाले नाममात्र के ही होते थे, पर अब तो भयानक बर्फबारी देखने के लिए एकत्र होने वाली भीड़ का आलम यह है कि दिसंबर और जनवरी में भी गुलमर्ग में कमरों की कमी खलने लगी है।
मात्र एक गुलमर्ग ही नहीं है कश्मीर वादी अर्थात धरती के स्वर्ग पर पर्यटकों के लिए। बर्फ से लदी पहाड़ियां, फूलों से गुलजार बाग-बगीचे, दिल को मोह लेने वाला ट्यूलिप गार्डन, हरी-भरी वादियां, झीलें और झरने- ये सब धरती के स्वर्ग में बहुतायत में होने के कारण ही आज भी कश्मीर को 'जन्नत' कहा जाता है।
अगर वह सब कुछ आपको कश्मीर में मिल रहा है जिसकी तस्वीर आपके जेहन में बसी है तो फिर देर किस बात की है? चले आइए कश्मीर में स्वर्ग-सा आनंद और जन्नत का नजारा लेने की खातिर। बर्फ अभी भी है पहाड़ों पर और वह शायद आपका ही इंतजार कर रही है!