कर्नाटक में किसी को बहुमत नहीं, सबकी नजरें राज्यपाल पर, बनेगी किसकी सरकार
बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन वह बहुमत से नौ सीटें दूर रह गई। उधर कांग्रेस ने भगवा पार्टी को सत्ता से दूर रखने के लिए नाटकीय रूप से चुनाव बाद गठबंधन के तहत तीसरे नंबर की पार्टी जद (एस) को अपना समर्थन दे दिया। यह गठबंधन बनाने की स्थिति में है लेकिन सबकी नजरें इस समय राज्यपाल वजुभाई वाला पर टिकी हुई है। वह भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे या जदएस-कांग्रेस गठबंधन को।
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आम परिपाटी के अनुसार राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी या चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में उसे सदन में बहुमत साबित करने को कहता है। चूंकि कांग्रेस और जद (एस) का चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं है इसलिये यह देखने वाली बात है कि क्या राज्यपाल कुमारस्वामी को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित करते हैं अथवा नहीं।
राज्य की 224 में से 222 विधानसभा सीटों पर 12 मई को मतदान हुआ था। आर आर नगर सीट पर कथित चुनावी कदाचार की वजह से चुनाव टाल दिया गया जबकि जयनगर सीट पर भाजपा प्रत्याशी के निधन के कारण चुनाव स्थगित किया गया।
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चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणाम के अनुसार जिन 222 विधानसभा सीटों पर चुनाव कराए गए थे उसमें से भाजपा ने 104 सीटों पर जीत हासिल की है। भाजपा को 2013 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले 64 सीटों का फायदा हो रहा है। वहीं, कांग्रेस ने 78 सीटों पर जीत दर्ज की है। उसे पिछले चुनाव की तुलना में 44 सीटों का नुकसान हुआ है। हालांकि, उसे हासिल मतों का प्रतिशत भगवा पार्टी से लगभग दो फीसदी अधिक है।
जद (एस) ने 37 सीटों पर जीत हासिल की है। उसे तीन सीटों का नुकसान हुआ है। जबकि उसकी सहयोगी बसपा ने एक सीट अपनी झोली में डाली है। केपीजेपी को एक सीट मिली है जबकि एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के सिर पर जीत का सेहरा बंधा है।