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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 17 जुलाई 2020 (19:39 IST)

Vikas Dubey Encounter: गैंगस्टर विकास दुबे के कफन में जाने के साथ ही कई राज भी दफन, एनकाउंटर पर भी उठे सवाल?

विकास दुबे के एनकाउंटर पर कांग्रेस ने उठाए सवाल ?

Vikas Dubey Encounter: गैंगस्टर विकास दुबे के कफन में जाने के साथ ही कई राज भी दफन, एनकाउंटर पर भी उठे सवाल? - kanpur encounter main accused Vikas Dubey encounter
कुख्यात अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद कानपुर मुठभेड़ से जुड़े ऐसे राज भी अब हमेशा के लिए दफन हो गए जिसको  विकास के कबूलनामे से पूरा देश जनाना  चाह रहा था। 2-3 जुलाई की रात विकास दुबे ने अपने गांव में जिस तरह 8 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या कर दी थी और आराम से वहां से फरार हो गया था, इसके 7 दिन बाद उत्तर प्रदेश की हाईटेक पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हुए वह कैसे कानपुर से करीब 700 किलोमीटर मध्यप्रदेश के उज्जैन पहुंचा गया, यह सवाल भी अब विकास दुबे की मौत के साथ दफन हो गया है।

जिस कुख्यात अपराधी विकास दुबे की तलाश में उत्तर प्रदेश पुलिस की सैंकड़ों टीमें खाक छान रही थी, वह कैसे 8 पुलिसकर्मियों की हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश की सीमा के बाहर निकलने में कामयाब हो गया? क्या विकास दुबे को पुलिसकर्मियों की हत्याकांड के बाद भी राजनीतिक संरक्षण मिला हआ था? क्या अब भी यूपी पुलिस के हर मूवमेंट की जानकारी विकास दुबे को पहले से मिल जा रही थी? 60 जघन्य अपराधों में आरोपी विकास दुबे किनकी मदद से करीब 30 साल तक बैखोफ होकर अपनी सत्ता चलाता रहा है? यह कुछ ऐसे सवाल है जिनके जवाब मोस्टवांटेड विकास दुबे के कफन में जाने के साथ दफन हो गए है।
 

विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर कानपुर पुलिस के आधिकारिक बयान के मुताबिक उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान भौंती के पास जिस गाड़ी में विकास सवार था वह हादसे का शिकार हो गई है। हादसे में घायल होने के बाद कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने पुलिसकर्मी की पिस्टल छीन कर भागने की कोशिश की, इस दौरान पुलिस की टीम ने उसको घेरकर आत्मसर्मपण करने को कहा इस पर उसने जवाबी फायरिंग कर दी, एसटीएफ की फायरिंग में विकास दुबे गंभीर रूप से घायल हुआ जिसके बाद उसे इलाज के लिए कानपुर के हैलेट अस्पताल में जाया गया जहां इलाज के दौरान विकास की मौत हो गई।

कानपुर पुलिस ने एनकाउंटर को लेकर जो थ्योरी पेश की है उस पर एक नहीं कई सवाल खड़े हो गए। पहला बड़ा सवाल जिस दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर के एक निजी कंपनी के गार्ड ने पकड़ लिया था और जिसने अपनी गिरफ्तारी के बाद खुद चिल्ला-चिल्ला कर बताया था मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला। वह आखिर भागने की कोशिश क्यों करेगा? दूसरा पुलिस के मुताबिक हादसे के बाद विकास दुबे ने ऐसे वक्त भागने की कोशिश की जब वह अकेला था और हथियाबंद एसटीएफ के जवान बड़ी संख्या तो क्या शातिर विकास दुबे ऐसी गलती कर सकता है यह भी सवालों के घेरे में है। 
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विकास दुबे के एकनाउंटर के बाद अब सियासत भी तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि जिसका शक था वह हो गया। विकास दुबे का किन किन राजनैतिक लोगों से, पुलिस व अन्य शासकीय अधिकारियों से उसका संपर्क था, अब उजागर नहीं हो पाएगा। पिछले 3-4 दिनों में विकास दुबे के 2 अन्य साथियों का भी एनकाउंटर हुआ है लेकिन तीनों एनकाउंटर का पैटर्न एक समान क्यों है? यह पता लगाना आवश्यक है विकास दुबे ने मध्यप्रदेश के उज्जैन महाकाल मंदिर को सरेंडर के लिए क्यों चुना? मध्यप्रदेश के कौन से प्रभावशाली व्यक्ति के भरोसे वो यहाँ उत्तर प्रदेश पुलिस के एनकाउंटर से बचने आया था?
 

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा कि दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है।

बहराहाल अब मोस्टवांटेड विकास दुबे और उसके कारनामे इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए है लेकिन बहुत से ऐसे राज जो विकास दुबे पुलिस पूछताछ में सामने आ सकते थे वह अब भी राज ही बनकर रह गए है।