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Last Modified: रविवार, 29 अगस्त 2021 (17:29 IST)

Jammu and Kashmir : सुरक्षाबलों के निशाने पर 'वॉइट कॉलर जिहादी', बताया बंदूक वाले आतंकियों से ज्यादा खतरनाक

Jammu and Kashmir : सुरक्षाबलों के निशाने पर 'वॉइट कॉलर जिहादी', बताया बंदूक वाले आतंकियों से ज्यादा खतरनाक - jammu kashmir cops cracking down on white collar jihadis term them worst terrorists
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर पुलिस साइबर आतंकवादियों पर नकेल कस रही है, जिन्हें ‘सफेदपोश जिहादियों’ के रूप में भी जाना जाता है और क्योंकि पुलिस की नजरों में वे ‘सबसे बुरे किस्म के आतंकवादी’ हैं जो गुमनाम रहते हैं, लेकिन वे युवाओं की सोच को प्रभावित कर बड़े नुकसान का कारण बनते है। अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी।
 
जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह, वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और सुरक्षा प्रतिष्ठान के अधिकारियों द्वारा प्रदत्त आकलन के अनुसार, इस बात का डर है कि ये ‘सफेदपोश जिहादी’ सांप्रदायिक दंगे भड़का सकते हैं या सोशल मीडिया पर झूठी और गलत खबरों के जरिये कुछ युवाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
 
युद्ध का मैदान नया है जहां पारंपरिक हथियारों और संकरी गलियों और जंगलों के युद्ध क्षेत्रों का स्थान कंप्यूटर और स्मार्टफोन ने ले लिया है ताकि वे अपनी सुविधानुसार अपने घरों या सड़कों से कश्मीर या इससे बाहर कहीं से भी युद्ध छेड़ सकें।
 
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें ‘सफेदपोश जिहादी’ करार दिया, जो सोशल मीडिया पर झूठ बोलकर और अलगाववादियों या आतंकवादी समूहों के अनुकूल स्थिति को तोड़-मरोड़कर युवाओं और आम जनता को गुमराह करते हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हाल में पांच संदिग्ध ‘सफेदपोश जिहादियों’ को गिरफ्तार किया है, जो देश की संप्रभुत्ता के बारे में झूठ फैलाने के अभियान में शामिल थे।
 
पुलिस के अनुसार, उन्हें लोगों में डर पैदा करने के लिए सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की रणनीतिक सूची तैयार करने का काम सौंपा गया था। 
 
डीजीपी सिंह ने कहा कि एक साइबर आतंकवादी वास्तव में एक वास्तविक आतंकवादी की तुलना में घातक होता है क्योंकि एक तो, वह छिपा हुआ है और दूसरा, वह बिलकुल अज्ञात है और आप तब तक अज्ञात है जब तक कुछ बहुत ही विशिष्ट विवरणों में शामिल नहीं हो जाते।
 
उन्होंने कहा कि उन प्रकार के विवरणों और डिजिटल दुनिया में वास्तव में उस विशेष पहचान का उपयोग कौन कर रहा है, का पता लगाना बहुत मुश्किल है। लोगों ने साइबर दुनिया में गुमनामी का फायदा उठाया है और इसीलिए वे इस तरह की गतिविधियों में लिप्त हैं।
 
सिंह साइबर आतंकवादियों पर रोक लगाने पर विशेष जोर दे रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे ‘‘सबसे बुरे प्रकार के आतंकवादी हैं और वे अज्ञात हैं, लेकिन वे युवाओं की सोच को प्रभावित करके बड़ा नुकसान पहुंचाते है।’’
 
उन्होंने कहा कि ये वे लोग हैं जो भर्ती के लिए जिम्मेदार हैं, वे वही हैं जो सोशल मीडिया पर कुछ प्रकार की टिप्पणियां और बयान देते हैं जिससे वे विभिन्न समुदायों के बीच, हिंदुओं और मुसलमानों और अन्य लोगों के बीच एक सांप्रदायिक दरार पैदा करते हैं। 
 
सिंह ने हाल में कहा कि इसलिए, उन्हें काबू में करना बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए हम उस मोर्चे पर काम कर रहे हैं और कुछ क्षेत्रों में कुछ सफलता हासिल की है। ऐसे लोगों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हम इस संबंध में जो भी आवश्यक है वह करना जारी रखेंगे। 
 
पुलिस प्रमुख ने इस साल की शुरुआत में नौगाम में एक मुठभेड़ का हवाला दिया और कहा कि अचानक एक ट्वीट आया जिसमें दावा किया गया कि एक अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति ने सुरक्षा एजेंसी को वहां आतंकवादी होने की जानकारी दी थी। सिंह ने कहा, ‘‘यह बिल्कुल झूठ और निरर्थक बात थी।’’ सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग केवल सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने के उद्देश्य से किया गया था।
 
जम्मू और कश्मीर पुलिस ने इंटरनेट पर पुलिस के लिए स्वयंसेवियों के रूप में निजी नागरिकों का पंजीकरण शुरू कर दिया है जो इंटरनेट पर नजर रखेंगे और संदिग्ध साइबर अपराधों की रिपोर्ट देंगे। इस साल फरवरी में शुरू की गई इस पहल में स्वयंसेवियों की तीन श्रेणियां हैं - 'गैरकानूनी सामग्री फ्लैगर्स', ‘साइबर जागरूकता प्रमोटर’ और ‘साइबर विशेषज्ञ’।
 
पुलिस के अनुसार, गैरकानूनी सामग्री फ्लैगर्स ‘‘बलात्कार / सामूहिक बलात्कार, आतंकवाद, कट्टरता, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों जैसी ऑनलाइन अवैध / गैरकानूनी सामग्री की पहचान करने में भूमिका निभाएंगे।

साइबर जागरूकता प्रमोटर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों, ग्रामीण आबादी जैसे कमजोर समूहों सहित नागरिकों के बीच साइबर अपराध के बारे में जागरूकता पैदा करेंगे, जबकि साइबर विशेषज्ञ साइबर अपराधों से निपटेंगे। (भाषा)
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