Strait of Hormuz: इजराइल से जारी जंग के बीच ईरान की संसद ने रविवार को होर्मुज की खाड़ी को बंद करने का फैसला लिया है। ईरान के इस कदम से तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। ईरान के इस फैसले का भारत कितना असर होगा, इसे लेकर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का बयान सामने आया है। पुरी ने कहा कि इस मामले में किसी भी चिंता का कोई कारण नहीं है। हम सामने आने वाली स्थिति पर नजर रखेंगे और प्रधानमंत्री पहले ही सभी प्रमुख नेताओं से बात कर चुके हैं।
क्या बोले केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि जहां तक वैश्विक स्थिति का सवाल है, मध्य पूर्व में तनाव का बढ़ना पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं था। हमने इसका पूर्वानुमान लगाया था। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार लगातार स्थिति की समीक्षा कर रही है, जिसमें होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने की संभावना भी शामिल है। हमने आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाई है।
कितना तेल होमुर्ज जलडमरूमध्य से
भारत में प्रतिदिन खपत होने वाले 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल में से लगभग 1.5-2 मिलियन होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से आते हैं। हम अन्य मार्गों से लगभग 4 मिलियन बैरल आयात करते हैं। हमारी तेल विपणन कंपनियों के पास पर्याप्त स्टॉक है। उनमें से अधिकांश के पास तीन सप्ताह तक का स्टॉक है। उनमें से एक के पास 25 दिनों का स्टॉक है। हम अन्य मार्गों से कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ा सकते हैं... इस मामले में किसी भी चिंता का कोई कारण नहीं है। हम सामने आने वाली स्थिति पर नज़र रखेंगे, और प्रधानमंत्री पहले ही सभी प्रमुख नेताओं से बात कर चुके हैं।
उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति से तनाव कम करने के लिए लंबी बातचीत की है। यह हमारी आशा है, और हम सभी अपेक्षा करते हैं कि स्थिति और अधिक बिगड़ने के बजाय शांत हो जाएगी और तनाव कम हो जाएगा। इस बीच, हम बदलती स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
दुनिया के देशों ने की समाधान की अपील
ईरान पर अमेरिकी हमलों के बाद व्यापक संघर्ष की आशंका की पृष्ठभूमि में अमेरिका के कई करीबी देशों ने वार्ता की मेज पर लौटने की अपील की है और तेहरान के परमाणु कार्यक्रम से खतरा होने का भी जिक्र किया है। कुछ देशों और संगठनों ने इस कदम की निंदा की तथा तनाव कम करने की भी अपील की। उनमें ऐसे देश एवं संगठन हैं जो ईरान का समर्थन करते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा था कि वह ईरान के खिलाफ युद्ध में इजराइल का साथ देने के बारे में दो सप्ताह में फैसला करेंगे। लेकिन महज दो दिन में अमेरिका ने इजराइल के अभियान में शामिल होते हुए रविवार तड़के तीन ईरानी परमाणु स्थलों पर हमला कर दिया।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि अमेरिका ने “एक लक्ष्मण रेखा पार कर ली है”, कूटनीति का समय समाप्त हो गया है और ईरान को अपनी रक्षा करने का अधिकार है।
संयुक्त राष्ट्र भी चिंतित
कुछ लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या कमज़ोर ईरान झुक जाएगा या विरोधी रुख बरकरार रखेगा और खाड़ी क्षेत्र में फैले अमेरिकी ठिकानों पर सहयोगियों के साथ हमला करना शुरू कर देगा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि वह ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के बम हमलों से बेहद चिंतित हैं।
गुतारेस ने एक्स पर एक बयान में कहा, इस बात का जोखिम है कि यह संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर जा सकता है जिसके नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
उन्होंने एक्स पर लिखा,मैं सदस्य देशों से तनाव कम करने की अपील करता हूं। इसका कोई सैन्य समाधान नहीं है, कूटनीति से ही कोई हल निकल सकता है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर ने इस संघर्ष के पश्चिम एशिया के पार फैलने के प्रति चेतावनी जारी की। उन्होंने संकट का कूटनीतिक रूप से समाधान करने के लिए ईरान से वार्ता की मेज पर लौटने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अस्थिर क्षेत्र में स्थिरता लाना प्राथमिकता होनी चाहिए। पिछले सप्ताह ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ, फ्रांस और जर्मनी संग जिनेवा में ईरान के साथ कूटनीतिक समाधान निकालने का प्रयास किया था, जो सफल नहीं हो सका।
स्टार्मर ने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
उन्होंने कहा कि ईरान को कभी भी परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और अमेरिका ने उस खतरे को कम करने के लिए कार्रवाई की है।
परमाणु हथियार देने को तैयार
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि कई देश तेहरान को परमाणु हथियार देने के लिए तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि ये देश कौन से हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी हमले से बहुत कम नुकसान हुआ है और इससे तेहरान को परमाणु हथियार बनाने से नहीं रोका जा सकेगा।
रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह हवाई हमलों की “कड़ी निंदा” करता है। उसने इसे “अंतर्राष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन” बताया। इराक सरकार ने अमेरिकी हमलों की निंदा करते हुए कहा कि सैन्य कार्रवाई से पश्चिम एशिया में शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
उसने कहा कि इससे क्षेत्रीय स्थिरता को गंभीर खतरा है और संकट को कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों का आह्वान किया। सऊदी अरब, जिसने पहले ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों और सैन्य नेताओं पर इजराइल के हमलों की निंदा की थी, ने अमेरिकी हवाई हमलों के बारे में “गहरी चिंता” व्यक्त की, लेकिन उसकी निंदा करने से परहेज किया।
क्या बोले लेबनान के राष्ट्रपति
लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने कहा कि अमेरिकी बमबारी से क्षेत्रीय संघर्ष भड़क सकता है, जिसे कोई भी देश झेल नहीं सकता। उन्होंने बातचीत का आह्वान किया। औन ने एक्स पर एक बयान में कहा, लेबनान, इसके नेता, पार्टियां और लोग आज पहले से कहीं ज़्यादा इस बात से अवगत हैं कि इस देश ने अपनी जमीन और क्षेत्र में छिड़े युद्धों की भारी कीमत चुकाई है।
लेबनान के प्रधानमंत्री नवाफ सलाम ने कहा कि संघर्ष पूरे क्षेत्र में फैलने पर उनके देश को इससे दूर रहने की जरूरत है। सलाम ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, हमारे लिए सर्वोच्च राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखना सबसे महत्वपूर्ण है। लेबनान को किसी भी तरह के क्षेत्रीय टकराव में शामिल होने से बचाने की जरूरत है।
न्यूजीलैंड ने बताया अब तक का गंभीर संकट
न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने रविवार को 'सभी पक्षों से वार्ता की मेज पर लौटने का आह्वान किया। उन्होंने संवाददाताओं को यह नहीं बताया कि न्यूजीलैंड राष्ट्रपति ट्रंप की कार्रवाई का समर्थन करता है या नहीं।
पीटर्स ने कहा कि यह संकट, अब तक का सबसे गंभीर संकट है और इसे आगे बढ़ने से रोका जाए।उन्होंने कहा कि कूटनीति सैन्य कार्रवाई की तुलना में अधिक स्थायी समाधान प्रदान करेगी।”
हमास और हुती ने खाई कसम
यमन के हूती विद्रोहियों और हमास दोनों ने अमेरिकी हमलों की निंदा की है। हूतियों ने “इजराइली और अमेरिकी आक्रामकता” के खिलाफ लड़ाई में ईरान का समर्थन करने का संकल्प जताया है। रविवार को एक बयान में, हूती विद्रोहियों के राजनीतिक ब्यूरो ने मुस्लिम देशों से 'इजराइली-अमेरिकी अहंकार के खिलाफ एक मोर्चे के रूप में जिहाद एवं प्रतिरोध' में शामिल होने का आह्वान किया। हमास और हूती ईरान के समर्थक रहे हैं। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma