Inside story: योगी सरकार की एंटी-मुस्लिम छवि पर संघ प्रमुख मोहन भागवत का डैमेज कंट्रोल?
सवाल- मुस्लिम वोटरों का ध्रुवीकरण रोक पाएगा भागवत का DNA वाला बयान
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत के हिंदु-मुस्लिम वाले बयान को लेकर राजनीति गरमा गई है। संघ प्रमुख भागवत का बयान ऐसे समय आया जब देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी मोड में आ चुका है। भागवत के डीएनए और मॉब लिंचिग वाले बयान के कई सियासी मयाने निकाले जा रहे है। वैसे भी देश के चुनावी इतिहास से DNA का जिक्र कई बार हो चुका है,बिहार विधानसभा चुनाव में भी DNA के बयान ने काफी सुर्खियां बटोरी थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को गाजियाबाद में एक कार्यक्रम में कहा कि हिंदू- मुस्लिम दोनों अलग नहीं बल्कि एक है क्योंकि सभी भारतीयों का डीएनए एक है और मुसलमानों को डर के इस चक्र में नहीं फंसना चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग मुसलमानों से देश छोड़ने को कहते हैं, वे खुद को हिन्दू नहीं कह सकते। इसके साथ ही संघ प्रमुख ने मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों पर हमला बोलते हुए कहा कि इसमें शामिल होने वाले लोग हिंदुत्व के खिलाफ है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति को पांच दशक से देख रहे वरिष्ठ पत्रकार और बीबीसी उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रमुख रामदत्त त्रिपाठी संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान को सीधे उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से जोड़ते हुए कहते हैं कि असल में भाजपा और संघ दोनों ही बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद बहुत फूंक-फूंककर उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी चालें चल रही है। बंगाल में भाजपा यह देख चुके है कि उसके कट्टर हिंदुत्व के कार्ड के खिलाफ मुस्लिम वोटर एक जुट होकर सीधे ममता बनर्जी के साथ चला गया और बंगाल में भाजपा का सरकार बनाने का सपना-सपना ही रहा गया।
वह आगे कहते हैं ककि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ही नहीं भाजपा के साथ संघ और उससे जुड़े संगठनों ने जो एंटी मुस्लिम छवि गढ़ने का काम किया है उससे भाजपा को पूरा अंदेशा कि उत्तर प्रदेश में 18.5 फीसदी वोट बैंक वाला मुस्लिम वोटर कहीं एक जुट होकर किसी पार्टी के साथ नहीं चला जाए ऐसे में मोहन भागवत ने अपने बयान के जरिए मुस्लिम विरोधी धार को कम करने की कोशिश की है।
रामदत्त त्रिपाठी आगे कहते हैं कि असल में समस्या कट्टर हिंदुत्व से नहीं सरकार और सत्तारुढ़ पार्टी के एंटी मुस्लिम छवि को लेकर होने लगी है। पिछले साढ़े चार साल में कई मौके पर जैसे सीएए कानून (नागरिकता कानून) के विरोध प्रदर्शन का समय हो या अन्य घटना उन पर चाहे प्रशासन की कार्रवाई रही हो या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान उसने एक एंटी मुस्लिम छवि को गढ़ने का काम किया है।
रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि इस बार यूपी विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है। वह कहते कि भाजपा की असली चुनौती पश्चिम उत्तर प्रदेश को लेकर हो रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की थी लेकिन पिछले साढ़े चार सालों में पश्चिम उत्तर प्रदेश का सियासी परिदृश्य काफी बदल चुका है। अब पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट और मुस्लिम एक साथ आ गया है और अखिलेश और चंद्रशेखर के भी एक साथ आने की चर्चा है। ऐसे में मोहन भागवत का बयान उसकी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देना एक रणनीतिक सोच को दर्शाता है।
भागवत पर हमलावर विरोधी- भागवत के इस बयान पर एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा कि देश में यह नफरत हिंदुत्व की देन है। ओवैसी ने एक के बाद एक ट्वीट करके कहा कि आरएसएस के भागवत ने कहा लिंचिंग करने वाले हिन्दू विरोधी। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फ़र्क़ नहीं पता होगा, लेकिन क़त्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक़, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे। ये नफरत हिन्दुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है।
वहीं भागवत के बयान पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भागवत को नसीहत देते हुए कहा कि यह बात उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और बीजेपी के मुख्यमंत्रियों, बजरंग दल और वीएचपी, संघ प्रचारकों को भी समझाने की जरूरत है। उन्होंने सवाल किया कि क्या मोहन भागवत ये विचार उन सभी को भी देंगे।