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Last Modified: मुंबई , गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024 (18:50 IST)

RBI का अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान

Shaktikanta Das, Governor RBI
  • 3 से 5 अप्रैल को होगी मौद्रिक नीति समिति की बैठक 
  • जीडीपी की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान
  • निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में सुधार के संकेत
Inflation expected to be 4.5 percent : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अगले वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जो चालू वित्त वर्ष 2023-24 के 5.4 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में कम है। इसके पहली तिमाही में 5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
 
केंद्र सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रहे। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पाया कि घरेलू आर्थिक गतिविधियां अच्छी है। निवेश की मांग में तेजी, आशावादी व्यापारिक भावनाओं तथा बढ़ते उपभोक्ता विश्वास से इसको समर्थन मिलेगा।
 
मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दर निर्धारित करती है। उन्होंने कहा, मुद्रास्फीति के मोर्चे पर बड़े तथा बार-बार आने वाले खाद्य मूल्यों के झटके महंगाई में कमी की गति को बाधित कर रहे हैं जो मुख्य मुद्रास्फीति को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा, अगले साल मानसून के सामान्य रहने पर 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
 
उन्होंने कहा, इसके पहली तिमाही में पांच प्रतिशत, दूसरी तिमाही में चार प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम दोनों तरफ बराबर है। दास ने महंगाई को कम करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि एमपीसी ने रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत रखने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, एमपीसी मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप लाने को लेकर प्रतिबद्ध है।

आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक नीति की मुख्य बातें :
  • नीतिगत दर या रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार।
  • वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो चालू वित्त वर्ष के 7.3 प्रतिशत के अनुमान से कम है।
  • चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 5.4 प्रतिशत रहेगी। 2024-25 में यह घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ जाएगी।
  • ब्याज दरों में कटौती का लाभ अभी पूरी तरह उपभोक्ताओं को नहीं मिला है।
  • मौजूदा आर्थिक गति अगले वित्त वर्ष में भी बरकरार रहेगी।
  • रबी बुवाई में सुधार, विनिर्माण क्षेत्र में निरंतर लाभप्रदता, 2024-25 में आर्थिक गतिविधि का समर्थन करने के लिए सेवाएं मजबूत।
  • निवेश चक्र गति पकड़ रहा है, निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में सुधार के संकेत।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत, निरंतर वृद्धि पथ पर आत्मविश्वास से प्रगति कर रही है।
  • सरकार राजकोषीय के सुदृढ़ीकरण पथ पर कायम है, घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत।
  • खाद्य पदार्थों की कीमतों में अनिश्चितता का मुख्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव जारी है।
  • भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ रहा है, जिससे जिंस की कीमतों पर दबाव पड़ रहा है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार 622.5 अरब अमेरिकी डॉलर; विदेशी दायित्वों को पूरा करने के लिए संतोषजनक।
  • घरेलू वित्तीय प्रणाली स्वस्थ ‘बही-खाते’ के साथ मजबूत बनी हुई है।
  • विनियमित संस्थाओं को अनुपालन, उपभोक्ता हित संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • आरबीआई खराब या सीमित इंटरनेट संपर्क वाले क्षेत्रों में लेनदेन के लिए ‘सीबीडीसी-रिटेल’ में एक ऑफलाइन कार्यक्षमता शुरू करेगा।
  • चालू वित्त वर्ष में भारतीय रुपए की विनिमय दर काफी स्थिर रही।
  • मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक 3 से 5 अप्रैल को होगी। (इनपुट भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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