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Last Modified: चेन्नई , सोमवार, 25 जुलाई 2016 (18:03 IST)

वायुसेना के विमान का सुराग नहीं

National news
चेन्नई। भारतीय वायुसेना का मालवाही विमान AN-32 लापता हो गया है जो कि प्रतिदिन कूरियर के तौर पर काम करता था। AN-32 विमान चेन्नई के तांबरम से पोर्ट ब्लेयर जा रहा था। इसमें चालक दल के 6 लोगों समेत कुल 29 यात्री सवार थे। अभी इनके बारे में कोई सूचना नहीं मिल रही है। इस विमान की खोज अभियान की अहम जानकारी हासिल करने के लिए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिवर स्वयं ताम्बरम पहुंच चुके हैं।
सुबह 8:30 को रवाना : वायुसेना सूत्रों का कहना है कि विमान अपने निर्धारित समय से सुबह 8:30 रवाना हुआ था। इसे साढ़े 11 बजे पोर्ट ब्लेयर पहुंचना था। विमान का आखिरी संपर्क 8:46 बजे हुआ जब विमान 23000 फ़ीट की ऊंचाई और 1375 किमी की दूरी पर था। विमान की तलाश की कोशिशें तेज कर दी गई हैं और सभी संभावित स्थानों पर बचाव दल सक्रिय हो गए हैं। बंगाल की खाड़ी में सर्च ऑपरेशन चल रहा है जिसमे नेवी, एयर फोर्स और कोस्ट गार्ड के तीनों बलों के लोग  शामिल हुए हैं। बंगाल की खाड़ी में जलसेना ने जो तलाशी अभियान चलाया है, उसमें 1 पी81, 1डोर्नियर, 4 जहाजों समेत कई तरह के तलाशी हेलिकॉप्टर शामिल हैं।
 
चेन्नई से 200 नॉटिकल मील दूर : वायुसेना सूत्रों का कहना है कि यह मालवाही विमान ताम्बरम (चेन्नई) से करीब 200 नॉटिकल माइल दूरी पर एकाएक राडार से गायब हो गया। इसकी खोज में जहां कोस्ट गार्ड के 4 पोत इस काम में लगाए गए हैं। एक विशेष P8 1 विमान और दो मानवरहित विमानों को भी खोज में लगाया गया है। चेन्नई से 200 नॉटिकल मील दूर विमान लापता हुआ था। 
 
चार घंटें का ईंधन : वायुसेना के सूत्रों का कहना है कि विमान में चार घंटे से ज्यादा उड़ने का ईंधन नहीं था। परिणामस्वरूप इसके बारे में यह आशंका बढ़ती जा रही है कि यह इस स्थान के आसपास ही कहीं दुर्घटनाग्रस्त होकर गिर गया हैं। बताया जा रहा है कि इसमें सैनिक बल के जवान थे और यह सैनिको को लेकर जाने वाली एक साप्ताहिक फ्लाइट थी।
 
इस विमान की विशेषताएं : इस रूसी विमान को एयर फोर्स के सबसे भरोसेमंद विमानों में शामिल  किया जाता है। एयर फोर्स के पास ऐसे पांच मालवाही एयरक्राफ्ट हैं। ऐंटोनोव AN-32 एक रूसी विमान है, जिसमें दो इंजन होते हैं और इसे टर्बोप्रॉप मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट कहा जाता है।
 
AN-32 विमान पूर्ववर्ती AN-26 का बेहतर वर्जन है। इंदिरा गांधी की सरकार के समय इसे वायुसेना में शामिल किया गया था। यह विमान AN-26 की तुलना में खराब मौसम में भी बेहतर उड़ान भर सकता है। बांग्लादेश, कोलम्बिया, अंगोला, क्रोएशिया, इक्विटोरियल जेनेवा, भारत, इराक, मेक्सिको, पेरू, श्रीलंका और सूडान जैसे देशों की वायुसेनाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता है। देश में युद्ध और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में इस विमान ने इंडियन एयरफोर्स का बहुत साथ निभाया है। 
 
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे : करगिल युद्ध के दौरान यह विमान जवानों को दुर्गम स्थानों पर भेजने में अहम साबित हुआ था और यह पहली बार नहीं है, जब इस तरह का हादसा सामने आया है। इससे पहले आईएएफ का AN-32 एयरक्राफ्ट दो बार दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है। 
 
पहली बार 25 मार्च 1986 को हिन्द महासागर के ऊपर लापता हुआ जिस समय यह विमान सोवियत यूनियन से ओमान के रास्ते होते हुए भारत वापस आ रहा था। उस समय इसमें चालक दल के तीन सदस्य और चार यात्री सवार थे। तब इस विमान और इन लोगों का कोई सुराग नहीं मिला था।
 
दूसरी बार 10 जून 2009 में अरुणाचल प्रदेश के मेचुका से उड़ान भरने के बाद विमान क्रैश हो गया था। तब इस विमान में 13 लोग सवार थे और सभी के मारे जाने की खबर आई थी। AN-32 के बाद रूस ने AN-32A, AN-32B, AN-32B-100, AN-32B-110, AN-32B-120, AN-32B-300, AN-32LL, AN-32MP, AN-32P Firekiller, AN-32V-200, AN-32 RE, AN-132 विमान भी बनाए हैं। 
 
हाल में लापता हुए विमान में 29 लोग सवार था जिसमें 8 नागरिकों समेत आर्मी, नेवी, कोस्ट गार्ड और एयर फोर्स के जवान शामिल हैं। इस बीच सेनाओं के कई दल सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हैं। विशाखापट्नम, चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर से टीमें सर्च ऑपरेशन में जुटी है लेकिन समाचार लिखे जाने तक विमान का कोई सुराग नहीं मिला है।
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