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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: शुक्रवार, 19 जून 2020 (09:50 IST)

चीन सीमा पर भारत करेगा सड़कों का निर्माण, और बढ़ेगी तनातनी

चीन सीमा पर भारत करेगा सड़कों का निर्माण, और बढ़ेगी तनातनी - India to construct roads on China border
जम्मू। आने वाले दिनों में चीन से सटी सीमा पर तनातनी के और बढ़ने की आशंका इसलिए जताई जाने लगी है क्योंकि भारत सरकार ने हालत को मद्देनजर रखते हुए चीन सीमा से सटे इलाकों और चीन सीमा तक पहुंचने की खातिर हजारो किमी लंबे सड़कों के संजाल को तत्काल पूरा करने की रणनीति बनाई है।
 
यह सच है कि चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब सड़कें बनने से ही तिलमिलाया हुआ है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश को लद्दाख से जोड़ने वाली नीमो पदम-दारचा सड़क की तरह पठानकोट-सूरल बटोरी-पदम सड़क भी लेह व करगिल जिलों में दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाने के लिए भारतीय सेना की ताकत बन सकती है। 
नीमो पदम-दारचा सड़क लगभग पूरी हो चुकी है, जबकि पठानकोट-सूरल बटोरी-पदम सड़क का करीब 50 किलोमीटर का सर्वे होने के बाद इसे भी शुरू किया जा सकता है। चीन के नापाक मंसूबों से आशंकित लद्दाखी लोग भी चाहते हैं कि लद्दाख में सेना का बुनियादी ढांचा इतना मजबूत हो कि दुश्मन कुछ न कर पाए।
 
पूर्वी लद्दाख में चीन की हरकतों से उपजे हालात में पठानकोट-सूरल बटोरी सड़क के निमार्ण को समय की जरूर करार देते हुए अधिकारी कहते हैं कि इसके बनने से सेना पठानकोट से एक ही दिन में लेह पहुंच सकती है। इस सड़क से लेह पहुंचने का सफर महज 350 किलोमीटर होगा। इस समय श्रीनगर और मनाली के रास्ते से लद्दाख पहुंचने में 3 दिन का समय लगता है। करगिल युद्ध में दुश्मन ने राष्ट्रीय राजमार्ग को निशाना बनाया था। ऐसे में सुरक्षित नए राष्ट्रीय राजमार्ग बनाना भी समय की मांग है।
 
हालांकि यह सड़कों का संजाल कश्मीर के लद्दाख सेक्टर के इंदिरा कोल प्वाइंट से आरंभ होकर अरूणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है पर सबसे अधिक तनातनी लद्दाख में ही पैदा होने की आशंका इसलिए है क्योंकि लद्दाख में चीन से सटी कुल 840 किमी लंबी सीमा में 525 किमी का इलाका एलएसी अर्थात लाइन आफ एक्चुयल कंट्रोल का है जिस पर दोनों मुल्क अपना-अपना दावा ठोंकते हैं।
 
सैन्य सूत्रों के अनुसार, अगले कुछ दिनों में सड़कों के इस संजाल को पूरा करने का कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। हालांकि वे कहते थे कि कुछ साल पहले भी सड़कों को बिछाने के कार्य को लेकर दमचोक के इलाके में भारतीय-चीनी सेना आमने-सामने आ गई थीं और माहौल बहुत ही गर्मा गया था।
 
सूत्र कहते हैं कि पूर्व के हालात के मद्देनजर तथा सीमा की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए उन इलाकों में एलएसी के पास सड़कों का निर्माण कोई खाला जी का घर नहीं होगा क्योंकि चीनी सेना आए दिन इन इलाकों से भारतीय जवानों को इलाका खाली करने के लिए धमकाती आ रही है।
 
एक अधिकारी के बकौल, अगर चीन सीमा पर निगरानी तंत्र को मजबूत करना है तो सड़कों के जाल की तत्काल आवश्यकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ अरसा पहले दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में जब कई दिनों तक चीनी सेना डटी रही थी तो उस समय सड़कों की कमी के कारण भारतीय सेना को शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी।
 
ऐसा इसलिए महसूस किया गया था क्योंकि जिस इलाके में चीनी सेना ने कई दिनों तक कब्जा कर रखा था वहां तक पहुंचने में भारतीय जवानों को तीन दिन पैदल चलना पड़ता था और चीनी सेना मात्र आधे घंटे में ही सीमा को लांघ कर भीतर घुस आई थी।
 
इतना जरूर था कि चीन सीमा पर सड़कों के संजाल के कार्य में तेजी लाने का जो फैसला किया गया है वह बहुत ही देरी से हुआ है। यही नहीं चीन सीमा पर सिर्फ गर्मियों में ही काम होता है और अब काम करने के मात्र 3 महीने ही बचे हैं। ऐसे में इतने कम समय में कितने किमी लंबी सड़कें चीन सीमा पर बन पाएंगी कहना मुश्किल है। जबकि सबसे बड़ी चिंता चीनी सेना की धमकी है जो बार-बार सीमा के आसपास के इलाकों में कई-कई किमी तक अपना धावा ठोंकते हुए कोई भी निर्माण न करने को चेता चुकी है।
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