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Last Modified: शनिवार, 10 मई 2025 (22:32 IST)

भारत का मोस्टवांटेड आतंकी यूसुफ अजहर हवाई हमले में ढेर, कंधार विमान अपहरण कांड का था मुख्य षड्यंत्रकर्ता

India's most wanted terrorist Yusuf Azhar killed
Operation Sindoor News : यूसुफ अजहर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर स्थित मुख्यालय पर किए गए भारत के हवाई हमले में मारे गए 5 आतंकवादियों में से एक था। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 1999 में विमान (उड़ान आईसी-814) के अपहरण के जिम्मेदार मुख्य षड्यंत्रकर्ताओं में शामिल यूसुफ इस आतंकी संगठन के प्रमुख मसूद अजहर का बहनोई था। वह गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत भी एक नामित आतंकवादी था और दिसंबर 1999 में कंधार जाने वाले इंडियन एयरलाइन के विमान के अपहरण के लिए वांछित था।
 
अधिकारियों ने बताया कि यूसुफ (करीब 50 वर्ष) 1998 में अपहरण से एक वर्ष पहले उस फर्जी पासपोर्ट के आधार पर भारत में घुसा था जिसकी व्यवस्था उसके सहयोगी अब्दुल लतीफ ने की थी। यूसुफ के खिलाफ इंटरपोल का रेड नोटिस जारी था। वर्ष 2002 में भारत ने उसका नाम पाकिस्तान को वांछित आतंकवादी के रूप में सौंप दिया।
वह गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत भी एक नामित आतंकवादी था और दिसंबर 1999 में कंधार जाने वाले इंडियन एयरलाइन के विमान के अपहरण के लिए वांछित था। इसका अंत भारत द्वारा यात्रियों और चालक दल के बदले में जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर और दो अन्य आतंकवादियों, उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा करने के साथ हुआ।
 
अधिकारियों ने बताया कि यूसुफ ने जम्मू जेल से मसूद अजहर को छुड़ाने के लिए कई बार योजना बनाई थी। वर्ष 1999 में वह लतीफ के साथ ढाका गया और विभिन्न स्थानों पर मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ और इब्राहिम अतहर भी उसके साथ शामिल हुए। अधिकारियों ने बताया कि रऊफ ने ढाका की छावनी में आलीशान आवास की व्यवस्था की थी।
अतहर ने काठमांडू में काफी समय बिताया था और हवाई अड्डे की सुरक्षा व्यवस्था में कमजोरियों को देखने के बाद उसके दिमाग में इंडियन एयरलाइन के विमान को अगवा करने का विचार आया। रऊफ के पास हरकत उल मुजाहिदीन से प्राप्त एक खाका था जिसके आधार पर विमान का अपहरण करके बदले में मसूद अजहर तथा अन्य आतंकवादियों की रिहाई की मांग की गई।
 
24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली जा रहे विमान (आईसी-814 उड़ान) को, पांच पाकिस्तानी आतंकवादियों (अतहर, शाहिद अख्तर सईद, सनी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर) ने अपहरण कर लिया था। इस विमान में 179 यात्री और 11 चालक दल के सदस्य सवार थे।
 
अमृतसर, लाहौर और अबू धाबी में कुछ देर रुकने के बाद इसे कंधार ले जाया गया, जहां इसे 31 दिसंबर 1999 तक रखा गया। लेकिन इस घटना के 26 साल बाद यूसुफ अजहर की कहानी खत्म हो गई। जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के बहावलपुर मदरसे को भारतीय हमलों से कई दिन पहले खाली करा दिया गया था। यह हमला सात मई की सुबह पहलगाम में आतंकी हमले के प्रतिशोध में किया गया था जिसमें 26 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
यूसुफ अजहर उन पांच शीर्ष आतंकवादियों में शामिल था जिनकी हमलों में मौत हो गई। इस हमले में मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा के ठिकाने को भी निशाना बनाया गया। अन्य मारे गए आतंकियों की पहचान मुदस्सर खादियान खास उर्फ ​​अबू जुंदाल और खालिद उर्फ ​​अबू अकाशा (लश्कर-ए-तैयबा), हाफिज मुहम्मद जमील और मोहम्मद हसन खान (जेईएम) के रूप में हुई। जब ये हमले हुए तब मसूद अजहर के परिवार के सदस्य, जिनमें उसकी बहन और बहनोई यूसुफ भी शामिल थे, बहावलपुर स्थित केंद्र सुभानअल्लाह में ही रह रहे थे।
 
मसूद अजहर ने स्वीकार किया है कि बहावलपुर में संगठन के मुख्यालय पर हुए मिसाइल हमले में उसके परिवार के 10 सदस्य और चार करीबी सहयोगी मारे गए। अधिकारियों ने बताया कि फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले की साजिश इसी शिविर में बनाई गई थी, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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