आकाश सोनी
भारत के खिलाफ चीन एक नया चक्रव्यूह रच रहा है। वो दुनिया के सबसे ऊंची पर्वत माला यानी हिमालय को हिलाने की तैयारी में है। चीन हिमालय के ठीक नीचे एक सुरंग बनाने जा रहा है। करीब 13 अरब डॉलर के खर्च से ये सुरंग चीन के तिब्बत को सीधे नेपाल के काठमांडू से जोड़ सकती है। हिमालय पर्वत करीब ढाई हजार किलोमीटर में फैले हुए हैं और इनमें दुनिया की सबसे ऊंची और सबसे खतरनाक चोटियां भी शामिल हैं।
चीन हिमालय के नीचे इस सुरंग से ट्रेन चलाएगा और इसी बहाने भारत को मुंह चिढ़ाएगा। हालांकि, भारी खर्च और बहुत ज्यादा जोखिम को देखते हुए सुरंग के प्लान को अभी अंतिम मंजूरी नहीं मिली है। लेकिन अगर ये सुरंग बन गई तो वहां से गुजरने वाली ट्रेन भारत के लिए खतरे की सीटी बजाएगी।
भारत के लिए चिंता की वजह है चीन सिर्फ इसलिए नहीं की उसने हिमालय में सुरंग खोदने की तैयारी कर ली है, सिर्फ इसलिए भी नहीं कि उसने हिमालय के नीचे से रेल दौड़ाने की तैयारी कर ली है, डर ये है कि इसके जरिए वो नेपाल को लुभा रहा है। चर्चा है कि चीन ये सुरंग 2020 का पूरी कर लेगा।
क्या है इस चीनी प्रोजेक्ट की खासियत... पढ़ें अगले पेज पर...
बताया जा रहा है कि--
1. ये रेल पटरी दुनिया की सबसे ऊंची रेल पटरी होगी।
2. पिछले साल दिसंबर में चीन के विदेश मंत्री ने बाकायदा नेपाल की यात्रा की और इस रेल लाइन के ब्लू प्रिंट पर भी बातचीत हुई।
3. हिमालय के नीचे सुरंग खोदकर चीन तिब्बत की राजधानी ल्हासा को सीधे नेपाल के काठमांडू से जोड़ेगा।
4. इस रेल लाइन की लंबाई करीब 540 किलोमीटर की होगी।
4. चीन ने पहले से ही क्विनगई और तिब्बत के बीच रेल लाइन बना रखी है, नेपाल की रेल लाइन इसी से जुड़ेगी।
5. चीन की सरकारी इंजीनियरिंग एकेडमी का आकलन है कि हिमालय में सुरंग खोदकर रेल लाइन बनाने में करीब 13 अरब डॉलर का खर्चा आएगा।
बेहद बड़े प्रोजेक्ट्स के पुराने अनुभव कहते हैं कि तिब्बत में ये प्रोजेक्ट बेहद मुश्किल होगा। हिमालय में ऐसी सुरंग के लिए हर किलोमीटर खुदाई पर करीब एक अरब रुपए का खर्च आएगा। शायद ये खर्च कम ही हो। इतने दाम देने के बाद भी ज्यादातर कंपनियां इस सुरंग को बनाने से हिचकिचा रही हैं।
बताया जा रहा है कि हिमालय में सुरंग बनाकर नेपाल तक रेल ले जाने का ये चीनी प्रोजेक्ट खटाई में भी पड़ सकता है। क्योंकि इसमें आ रहा भारी खर्चा उठाने को अभी चीनी सरकार तैयार नहीं है। शायद इसीलिए अभी तक इस सुरंग के काम के लिए टेंडर भी नहीं जारी किए गए हैं। तो फिर हिमालय में सुरंग बनाने का प्लान क्यों बनाया था चीन ने। क्या उसके पीछे कोई दूसरी साजिश है?
भारत को घेरने की एक और चीनी साजिश है यह... पढ़ें अगले पेज पर....
बताया जा रहा है कि चीन ने हिमालय के नीचे सुरंग बनाने के काम को पूरा करने के लिए स्विट्जरलैंड के आल्प्स पर्वतों के नीचे 35 मील लंबी गॉटहार्ड टनल बनाने वालों से राय भी मांगी है। ये सुरंग 2013 में पूरी कर ली गई थी और 2016 से उसमें से होकर यूरोरेल गुजरना शुरू कर देगी, लेकिन हिमालय के नीचे सुरंग बनाना आसान नहीं।
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक हिमालय में सुरंग बनाने पर विचार किया जा रहा था, लेकिन खबर पहले ही लीक हो गई। बताया जा रहा है कि चीन में रेलवे के कई बड़े प्रोजेक्ट पैसे की कमी के चलते कछुए की रफ्तार से चल रहे हैं, वैसे भी हिमालय में इतनी ऊंचाई जहां पर इंसान का जिंदा रहना नामुमकिन हो जाता है, जहां ऑक्सीजन का स्तर भी लगातार गिरता रहता है, उस हिमालय के नीचे सुरंग खोदना बेहद बड़ी चुनौती है।
इससे पहले भी तिब्बत तक रेल पहुंचाने के चक्कर में इतनी ऊंचाई पर काम कर रहे चीन के 100 मजदूर अलग-अलग हादसों में मर चुके हैं। लेकिन चीन की विदेश नीति बनाने वालों का दबाव लगातार जारी है। भारत को घेरने के लिए नेपाल के साथ उसके दूसरे पड़ोसियों को साथ लेने में चीन अव्वल रहा है।
चीन ने अपने इलाके काशगर से सीधे इस्लामाबाद तक बीस साल की मेहनत से काराकोरम हाइवे तक बना डाला है। 1200 किलोमीटर लंबा ये हाइवे बेहद दुर्गम इलाके से गुजरता है और चीन को सीधे पाकिस्तान से जोड़ता है। इस हाइवे को चीन और पाकिस्तान के मजबूत होते रिश्तों की बुनियाद माना जाता है।
इतना ही नहीं चीन ने श्रीलंका, मालदीव पर भी डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। सो सावधान इंडिया! हिमालय को लांघने की चीन की इस कोशिश से अलर्ट रहना होगा। चीन सड़क और रेल नेटवर्क के जरिए भारत को उसके पड़ोसियों की शह पर घेरने की कोशिश में लगा हुआ है। (khabar.ibnlive.com से)