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Last Updated : सोमवार, 25 फ़रवरी 2019 (09:15 IST)

सरकार ने बढ़ाया अर्द्धसैनिक बलों के जवानों का जोखिम और कठिनाई भत्ता

सरकार ने बढ़ाया अर्द्धसैनिक बलों के जवानों का जोखिम और कठिनाई भत्ता - Increased risk and difficulty allowance of paramilitary forces
नई दिल्ली। सरकार ने जम्मू कश्मीर में तैनात अर्द्धसैनिक बल के जवानों के जोखिम और कठिनाई भत्ते को बढ़ा दिया है। निचले स्तर के अधिकारियों का भत्ता विशेष लाभ के साथ हर महीने 7,600 रुपए और उच्च अधिकारियों का भत्ता 8,100 रुपए तक बढ़ा दिया गया है।
 
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के एक सप्ताह बाद गृह मंत्रालय का यह फैसला आया है। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) या अर्द्धसैनिक बल के जवानों के लिए जोखिम और कठिनाई भत्ते को बढ़ा दिया गया है। 
 
इंस्पेक्टर रैंक तक के जवानों के लिए भत्ते को 9,700 रुपए से बढ़ाकर 17,300 रुपए कर दिया गया है जबकि अधिकारियों का भत्ता 16,900 रुपए से बढ़ाकर 25,000 रुपए कर दिया गया है। बढ़ा हुआ भत्ता जम्मू-कश्मीर तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात सभी अर्द्धसैनिकों पर लागू होगा। यह निर्णय अगस्त 2017 से लंबित था।
 
वर्ष 2017 में सीएपीएफ में जोखिम और कठिनाई भत्ते के मामले को देखने और समीक्षा करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया था।
 
बडगाम, पुलवामा और अनंतनाग जैसे दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों और बारामुला तथा कुपवाड़ा जैसे अन्य संवेदनशील स्थानों पर तैनात सैनिकों को अब बढ़ा हुआ भत्ता मिलेगा। जोखिम और कठिनाई भत्ते के तहत आने वाले नए क्षेत्रों में कुलगाम, शोपियां, किश्तवाड़, डोडा, रामबन तथा उधमपुर और तेलंगाना में एक जिला शामिल हैं।
 
ज्यादातर क्षेत्रों में कोई बदलाव नहीं हुआ है जहां अर्द्धसैनिक बल तैनात है लेकिन जम्मू और कश्मीर में नए जिलों को जोड़ा गया है ताकि अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास जम्मू में कुछ क्षेत्रों को छोड़कर लगभग पूरे राज्य को कवर किया जा सके। हालांकि जम्मू क्षेत्र में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पड़ने वाले क्षेत्र इसमें शामिल हैं।
 
सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, बस्तर (छत्तीसगढ़), लातेहार (झारखंड), गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) और मल्कानगिरि (ओडिशा) जैसे नक्सल प्रभावित जिलों को भी इसमें शामिल किया गया है। 
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